Friday, December 27, 2024
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‘विक्रम-एस’ के बाद अब विक्रम-1 की बारी, एक साल के अंदर अंतरिक्ष में भेजने की योजना

पवन चांदना ने कहा,'अब जब हम पहले निजी रॉकेट विक्रम-एस का प्रक्षेपण कर चुके हैं, हमारी अगली योजना विक्रम-1 का प्रक्षेपण करने की है, जो उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने वाला एक बहुत बड़ा रॉकेट है।

Edited By: Niraj Kumar
Published : Nov 29, 2022 23:27 IST, Updated : Nov 29, 2022 23:27 IST
विक्रम-एस
Image Source : पीटीआई विक्रम-एस

हैदराबाद : हाल में देश के पहले निजी रॉकेट ‘विक्रम-एस’ का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण करने वाली स्काईरूट एयरोस्पेस की एक साल के भीतर उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने के लिए एक विशाल रॉकेट ‘विक्रम-1’ को प्रक्षेपित करने की योजना है। हैदराबाद स्थित अंतरिक्ष स्टार्टअप का लक्ष्य भविष्य में अंतरिक्ष यात्रा की लागत को कम करना भी है। 

विक्रम-एस से बड़ा है विक्रम-1 रॉकेट

कंपनी के सह-संस्थापक पवन चांदना ने कहा,'अब जब हम पहले निजी रॉकेट विक्रम-एस का प्रक्षेपण कर चुके हैं, हमारी अगली योजना विक्रम-1 का प्रक्षेपण करने की है, जो उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने वाला एक बहुत बड़ा रॉकेट है। इसे हम अब से एक साल के भीतर करना चाहते हैं।' स्काईरूट भी दुनिया की उन कुछ पहली कंपनियों में से एक बनना चाहती है जो उपग्रहों को कक्षा में स्थापित कर सकती हैं। 

कंपनी ने छह करोड़ 80 लाख डॉलर जुटाए

चांदना ने कहा कि कंपनी ने लगभग छह करोड़ 80 लाख डॉलर जुटाए हैं, जो भारत में एयरोस्पेस स्टार्टअप क्षेत्र में सर्वाधिक है। उन्होंने कहा कि स्काईरूट अपनी आगे की यात्रा में अधिक पूंजी जुटाना जारी रखेगी और अगले साल से प्रक्षेपण के साथ ही अच्छा खासा राजस्व उत्पन्न करना चाहेगी। यह उल्लेख करते हुए कि अंतरिक्ष यात्रा वर्तमान में महंगी है, उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी का लक्ष्य लागत कम करना, इसे वहनीय बनाना और विश्वसनीयता बढ़ाना है। 

18 नवंबर को ‘विक्रम-एस’ का प्रक्षेपण 

भारत ने 18 नवंबर को निजी तौर पर निर्मित रॉकेट को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था, जिसे स्काईरूट ने तैयार किया था। इस तरह देश के अंतरिक्ष तंत्र में निजी क्षेत्र के प्रवेश की शुरुआत हुई जिसमें अभी सरकार संचालित भारतीय अतंरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का दबदबा है।

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