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श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक से किया इनकार, इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश बरकरार

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार करते हुए शाही ईदगाह परिसर के कोर्ट सर्वे के आदेश को बरकरार रखा है।

Reported By : Gonika Arora Edited By : Niraj Kumar Published : Dec 15, 2023 13:54 IST, Updated : Dec 15, 2023 15:30 IST
Supreme Court
Image Source : PTI/REPRESENTATIVE सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट से मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने शाही ईदगाह परिसर के कोर्ट सर्वे के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह परिसर के कोर्ट सर्वे की अनुमति दी थी। इसी संदर्भ में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह हाईकोर्ट के सर्वे के आदेश पर कोई रोक नहीं लगा सकता। हां, सर्वे में अगर कुछ बातें निकलकर आती हैं तो फिर उसपर विचार किया जा सकता है।

18 दिसंबर को कोर्ट कमिश्नर सर्वे की रूपरेखा तय होगी

इससे पहले कल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही ईदगाह मस्जिद के परिसर का सर्वेक्षण करने के लिए अदालत की निगरानी में एडवोकेट कमिश्नर या कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की मांग करने वाली याचिका मंजूर कर ली। अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 18 दिसंबर तय की है। 18 दिसंबर को कोर्ट कमिश्नर में कितने मेंबर होंगे, किस तरह सर्वे किया जाएगा, इसकी रूप रेखा तय होगी।

विष्णु शंकर जैन समेत सात याचिकाकर्ता

इलाहाबाद हाईकोर्ट में यह याचिका भगवान श्री कृष्ण विराजमान और सात अन्य लोगों द्वारा अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडेय और देवकी नंदन के जरिए दायर की गई थी जिसमें दावा किया गया है कि भगवान कृष्ण की जन्मस्थली उस मस्जिद के नीचे मौजूद है और ऐसे कई संकेत हैं जो यह साबित करते हैं कि वह मस्जिद एक हिंदू मंदिर है। अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के मुताबिक, इस याचिका में कहा गया है कि वहां कमल के आकार का एक स्तंभ है जोकि हिंदू मंदिरों की एक विशेषता है। इसमें यह भी कहा गया है कि वहां शेषनाग की एक प्रतिकृति है जो हिंदू देवताओं में से एक हैं और जिन्होंने जन्म की रात भगवान कृष्ण की रक्षा की थी। याचिका में यह भी बताया गया कि मस्जिद के स्तंभ के आधार पर हिंदू धार्मिक प्रतीक हैं और नक्काशी में ये साफ दिखते हैं। 

कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति के लिए आवेदन स्वीकार करते हुए अदालत ने कहा, “यहां यह उल्लेख करना उचित है कि इस अदालत द्वारा आयुक्त की नियुक्ति के लिए सुनवाई में प्रतिवादी हिस्सा ले सकते हैं। इसके अलावा, यदि वे आयोग की रिपोर्ट से पीड़ित महसूस करते हैं तो उनके पास उस रिपोर्ट के खिलाफ आपत्ति दाखिल करने का अवसर होगा।” अदालत ने आगे कहा, “आयुक्त द्वारा दाखिल रिपोर्ट हमेशा पक्षकारों के साक्ष्य से संबंधित होती है और यह साक्ष्य में स्वीकार्य है। कोर्ट कमिश्नर  सक्षम गवाह होते हैं और किसी भी पक्ष की इच्छा पर उन्हें सुनवाई के दौरान साक्ष्य के लिए बुलाया जा सकता है। दूसरे पक्ष के पास जिरह करने का हमेशा एक अवसर होगा।” अदालत ने कहा, “यह भी ध्यान रखना होगा कि तीन अधिवक्ताओं के पैनल वाले आयोग की नियुक्ति से किसी भी पक्ष को कोई नुकसान नहीं होगा। कोर्ट कमिश्नर  की रिपोर्ट इस मामले की मेरिट को प्रभावित नहीं करती। 

आयोग के क्रियान्वयन के दौरान परिसर की पवित्रता सख्ती से बनाए रखने का निर्देश दिया जा सकता है।” अदालत ने आगे कहा, “यह भी निर्देश दिया जा सकता है कि किसी भी तरीके से ढांचे को कोई नुकसान ना पहुंचे। आयोग उस संपत्ति की वास्तविक स्थिति के आधार पर अपनी निष्पक्ष रिपोर्ट सौंपने को बाध्य है। वादी और प्रतिवादी के प्रतिनिधि अधिवक्ताओं के पैनल के साथ रहकर उनकी मदद कर सकते हैं जिससे जगह की सही स्थिति इस अदालत के समक्ष लाई जा सके।” इससे पूर्व, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से इस आवेदन काविरोध किया गया था । (इनपुट-एजेंसी)

 

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