भारतीय रेलवे में सफर करने वाले लोग हमेशा ही स्टेशन पर अनाउंसमेंट सुनते हैं। ये अनाउंसमेंट अलग-अलग लोगों के लिए और अलग-अलग कारणों से किए जाते हैं। कभी कभार स्टेशन मास्टर किसी कर्मचारी को बुलाने के लिए या कोई काम सौंपने के लिए अनाउंसमेंट करते हैं। कभी खोए हुए लोगों के लिए और अन्य तरह की जानकारी देने के लिए अनाउंसमेंट किया जाता है। हालांकि, इसका सबसे ज्यादा उपयोग यात्रियों को ट्रेन से जुड़ी जानकारी देने के लिए किया जाता है।
अनाउंसमेंट के जरिए ही लोगों को पता चलता है कि उनकी ट्रेन कब आएगी और किस प्लेटफॉर्म पर आएगी। अगर ट्रेन लेट है तो कब तक स्टेशन पहुंचेगी और अगर कोई ट्रेन कैंसिल हुई है तो यात्रियों के पास विकल्प क्या हैं। स्टेशन पर अनाउंसमेंट के दौरान अक्सर लोगों को एक महिला की आवाज सुनाई देती है, लेकिन यह आवाज असल में 24 साल के एक पुरुष की है, जिसका नाम है श्रवण अदोडे।
कौन हैं श्रवण?
"यात्रीगण कृपा ध्यान दें" आप सभी इस आवाज से परिचित होंगे, जो बहुत ही मधुर और स्पष्ट है। हालांकि, यह आवाज श्रवण अदोडे की है , जो भारतीय रेलवे के साथ एक निजी क्षेत्र के कर्मचारी के रूप में काम करते हैं। श्रवण की यात्रा एक संयोग से शुरू हुई। महाराष्ट्र के परली स्टेशन में एक दिन, बिजली की कमी के चलते एक तकनीकी गड़बड़ी हुई। इससे स्वचालित घोषणा प्रणाली में खराबी आ गई। इस वजह से अनाउंसमेंट की जिम्मेदारी श्रवण को दे दी गई। श्रवण ने महिला की आवाज की नकल करते हुए अनाउंसमेंट शुरू किया, जिसका इस्तेमाल पारंपरिक रूप से अनाउंसमेंट के लिए होता था।
श्रवण ने महिला की आवाज की शानदार तरीके से नकल की। उनकी आवाज उस आवाज से पूरी तरह मेल खाती थी, जिसे पुरानी महिला अनाउंसर ने रेकॉर्ड किया था। इस घटना के बाद श्रवण का काम बदल गया। अब वह रेलवे के लिए महिलाओं की आवाज में अनाउंसमेंट करते हैं। देश भर के रेलवे स्टेशनों पर अब श्रवण की आवाज की गूंजती है। अलग-अलग घोषणाओं के लिए उनकी रिकॉर्डिंग के हिस्सों को डिजिटली मिक्स किया जाता है। मुंबई के मध्य रेलवे मुख्यालय के सीनियर अनाउंसर ने उनकी आवाज को सराहा है।
अभिनेता भी हैं श्रवण
रेलवे अनाउंसमेंट का काम करने के अलावा श्रवण वॉयस आर्टिस्ट, युगल गायक और फिल्मों और धारावाहिकों में अभिनेता भी हैं। वैद्यनाथ कॉलेज से स्नातक और बीएचईएल सेकेंडरी स्कूल के छात्र, श्रवण अब मुंबई, महाराष्ट्र में रहते हैं। इस पहचान को हासिल करने के बावजूद, श्रवण की यात्रा चुनौतियों से भरी रही। कॉलेज के दिनों में, उनकी आवाज मजाक का विषय थी, साथी उनका मजाक उड़ाते थे और उन्हें अलग-अलग नाम से बुलाते थे। श्रवण ने नकारात्मकता को नजरंदाज किया और अपने काम पर ध्यान दिया। आज, उनकी आवाज पूरे भारत में लाखों यात्रियों का मार्गदर्शन करती है।