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Shiv Sena News: शिव संवाद यात्रा के तीसरे चरण में आदित्य ठाकरे पहुंचे अलीबाग, शिवसेना की बिगड़ी बनाने के लिए कर रहे बागियों के गढ़ में दौरा

Shiv Sena News: शिंदे खेमे की बगावत के युवा नेता आदित्य ठाकरे अब अपनी पार्टी को बचाने में जुट गए हैं। वह महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं और जिन-जिन जिलों से उनके विधायक उन्हें छोड़कर गए हैं, वहां वह अपने कार्यकर्ताओं से मिलकर उन्हें हिम्मत देने का काम कर रहे हैं।

Written By: Pankaj Yadav
Published : Aug 17, 2022 17:46 IST, Updated : Aug 17, 2022 17:46 IST
Aaditya Thackeray
Aaditya Thackeray

Highlights

  • शिव सवांद यात्रा के तीसरे चरण में आदित्य ठाकरे ने अलीबाग का दौरा किया
  • आदित्य अपनी नई टीम बनाकर कार्यकर्ताओं को आगमी चुनाव के लिए तैयार कर रहे हैं
  • आदित्य उन जगहों पर दौरा कर रहे हैं जहां उनके विधायकों ने बगावत किया था

Shiv Sena News: एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना बहुत ही कमजोर नजर आ रही है। अपनी पार्टी को एक बार फिर से मजबूती से खड़ा करने के उद्देश्य से आदित्य ठाकरे कार्यकर्ताओं से जुड़ने के लिए सड़क पर उतर आए हैं। आज शिव सवांद यात्रा के तीसरे चरण में आदित्य ठाकरे ने अलीबाग में शिवसैनिकों से संवाद किया। आदित्य अपनी पार्टी की खोई हुई प्रतिष्ठा फिर से बरकरार रखने के लिए बिल्कुल एक्शन मोड में दिख रहे हैं। इसी बात से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आदित्य ठाकरे बारिश के समय में भी अपनी शिव संवाद यात्रा को नहीं रोका। वह बारिश में भींगते हुए कार्यकर्ताओं से मिले और उन्हें फिर से एकजुट होने का संदेश दिया। आदित्य ठाकरे अपनी नई टीम बनाकर उन्हें आगामी चुनाव के लिए तैयार कर रहे हैं। उद्धव ठाकरे की तबियत अभी पूरी तरह से ठीक नहीं है जिससे आदित्य ने महाराष्ट्र भ्रमण का जिम्मा अपने सर लिया है।  वह महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों का दौरा कर रहे हैं, खास तौर पर उन निर्वाचन क्षेत्रों में जहां के शिवसेना विधायकों ने बगावत की है।

शिवसेना के अस्तित्व को बचाने के लिए आदित्य ठाकरे कर रहे पुरजोर कोशिश

उद्धव ठाकरे की शिवसेना के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। इसी खतरे को लेकर आदित्य एक बार फिर से महाराष्ट्र में शिवसेना का जनाधार मजबूत करने में जुट गए हैं। वह लगातार बागियों के गढ़ में दौरा कर रहे ताकि एक बार फिर से ठाकरे परिवार का कब्जा और पार्टी की खोई हुई प्रतिष्ठा बरकरार कर सकें। शिवसेना की स्थापना ठाकरे परिवार के पतृ पुरूष स्व. बाला साहेब ठाकरे ने की थी। आदित्य तीसरी पीढ़ी के नेता हैं। हालांकि पार्टी इससे पहले भी कई बार बगावत का सामना कर चुकी है लेकिन इस बार की बगावत से पार्टी बिल्कुल टूट कर बिखर गई है। आदित्य के सामने न केवल पार्टी के विरासत को बचाने की जिम्मेदारी है बल्कि अपने राजनीतिक भविष्य को आकार देने की भी चुनौती है। 

पार्टी को फिर से खड़ी करने के लिए बेटे ने बाहर तो पिता ने घर से संभाली कमान

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस से गठबंधन करने की वजह से उनके पिता को हिंदुत्व के प्रति पार्टी की प्रतिबद्धता पर सवालों का सामना करना पड़ा है। शिवेसना के 55 में से 40 विधायकों ने इस साल जून में पार्टी नेतृत्व से बगावत कर दी थी, जिसकी वजह से उद्धव ठाकरे नीत महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार गिर गई थी। लोकसभा में भी पार्टी के 18 सदस्यों में से 12 ने बागी गुट का नेतृत्व कर रहे एकनाथ शिंदे का समर्थन किया है। कई पूर्व पार्षद और पदाधिकारियों ने भी पाला बदल लिया है जिसके बाद आदित्य ठाकरे को यह बिखराव रोकने के लिए सड़क पर उतरना पड़ा है। स्वास्थ्य कारणों की वजह से बहुत अधिक यात्रा कर पाने में असमर्थ उद्धव ठाकरे भी अपने आवास ‘मातोश्री’ में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं। पिछले साल उद्धव ठाकरे की रीढ़ का ऑपरेशन हुआ था और तब कई सप्ताह तक उन्होंने मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी अपने घर से संभाली थी। बगावत में शिंदे का साथ देने वाले कई विधायकों की शिकायतों की सूची में एक शिकायत यह भी थी कि उद्धव ठाकरे ‘‘उपलब्ध नहीं होते’’ थे। 

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