श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में ‘शौर्य दिवस’ के मौके पर 1947 की जंग में शहीद हुए सैनिकों को याद किया गया। इस मौके पर शहीद जवानों के परिजनों को भी सम्मानित किया गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस दौरान लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आने वाले वक्त में पाकिस्तान को उसके कर्मों का फल जरूर मिलेगा। बता दें कि 26 अक्टूबर 1947 का दिन जम्मू कश्मीर के लिए एक खास महत्व रखता है।
इसी दिन कश्मीर के महाराजा हरी सिंह ने जम्मू कश्मीर को भारत के साथ विलय करने के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद 27 अक्टूबर 1947 को भारतीय सेना ने कश्मीर में अपने पहले कदम रखे थे। सेना की पहली सिख रेजिमेंट की लैंडिंग बड़गाम जिले में हुई थी जहां उन्होंने कश्मीर को कबाइलियों से आजाद कराने के लिए अपनी लंबी लड़ाई शुरू की थी। आज 75 साल पूरे होने पर उन दृश्यों को दोहराया गया। जैसे उस समय की लैंडिंग के दौरान हुआ था।
भारतीय वायु सेना के आज ही के दिन 1947 में श्रीनगर पहुंचने की घटना की याद में ‘शौर्य दिवस’ का आयोजन किया गया। केंद्रीय मंत्री ने POK के लोगों पर पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे अत्याचार को लेकर कहा कि एक दिन पाकिस्तान को इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा।
‘‘आतंकवाद का कोई धर्म नहीं है। आतंकवादियों का एकमात्र उद्देश्य भारत को निशाना बनाना है।’’ इसके साथ ही राजनाथ सिंह ने कहा कि पांच अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अनुच्छेद 370 निरस्त करने के केंद्र के फैसले से जम्मू कश्मीर में लोगों के खिलाफ भेदभाव खत्म हो गया।
शौर्य दिवस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी मौजूद थे। राजनाथ सिंह ने इस मौके पर कहा कि पाकिस्तान ने 1947 में कश्मीर के लोगों के साथ विश्वासघात किया। उन्होंने कहा, ‘मैं बताना चाहता हूं कि आने वाले समय में पाकिस्तान को उसके कर्मों का परिणाम जरूर मिलेगा। हम PoK के लोगों के दर्द को महसूस करते हैं।’
बड़गाम के एयरबेस पर आज उसी सिख रेजिमेंट की एक पार्टी ने उन दृश्यों को लोगों के सामने रखा जब कश्मीर में पहली सिख रेजिमेंट की कबाइलियों से लड़ने और कश्मीरियों की हिफाजत करने के लिए लैंडिंग हुई थी। सिख रेजिमेंट के जवानों ने इंटिया टीवी से कहा कि उन्हें उन वीर जवानो पर गर्व महसूस हो रहा है।