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Sharjeel Imam: शरजील इमाम को राजद्रोह केस में मिल गई जमानत, लेकिन फिर भी जेल में ही रहना होगा

Sharjeel Imam: राजद्रोह के एक मामले में शरजील इमाम को आज दिल्ली की एक अदालत से जमानत मिल गई। लेकिन शरजील को अभी जेल में ही रहना होगा। इमाम को दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों की साजिश के मामले में अभी तक जमानत नहीं मिली है।

Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published : Sep 30, 2022 20:36 IST, Updated : Sep 30, 2022 20:36 IST
Sharjeel Imam gets bail in sedition case
Image Source : FILE PHOTO Sharjeel Imam gets bail in a sedition case

Highlights

  • शरजील इमाम को कोर्ट से मिली जमानत
  • दिल्ली दंगों के मामले में जमानत मिलना बाकी
  • लगभग ढाई साल से जेल में बंद है शरजील इमाम

Sharjeel Imam: शरजील इमाम को दिल्ली की एक अदालत ने राजद्रोह के एक मामले में राहत देते हुए शुक्रवार को जमानत दे दी। शरजील पर 2019 में जामिया में दंगे भड़काने का आरोप लगाया गया था। लेकिन ये राहत इतनी भी नहीं कि इमाम को आजाद करा दे। दरअसल, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के पूर्व छात्र शरजील इमाम को अभी जेल में ही रहना होगा, क्योंकि उसे दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों की साजिश के मामले में अभी तक जमानत नहीं मिली है।

 
जमानत देते हुए जज ने क्या कहा
लगभग ढाई साल की कैद के बाद छात्र कार्यकर्ता को जमानत देते हुए, अदालत ने 22 अक्टूबर, 2021 की अपनी टिप्पणियों का भी उल्लेख किया कि इमाम के भाषण को सुनने के बाद दंगाइयों के कार्रवाई करने का कोई सबूत नहीं था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनुज अग्रवाल ने कहा, ‘‘इसके मद्देनजर और वर्तमान मामले के गुण-दोष पर टिप्पणी किए बिना, आवेदक या आरोपी शरजील इमाम को 30,000 रुपये की जमानत राशि के साथ ही इतनी ही राशि के निजी मुचलके पर जमानत दी जाती है।’’ 

कोर्ट ने जमानत के लिए रखी ये शर्त
न्यायाधीश ने कहा कि जमानत इस शर्त के अधीन दी जाती है कि इमाम हमेशा मोबाइल पर उपलब्ध रहेगा और संबंधित जांच अधिकारी (आईओ) को पते में बदलाव की सूचना देगा। इस साल मई में पारित एक अंतरिम आदेश में, सुप्रीम कोर्ट ने एक अभूतपूर्व आदेश के तहत देशभर में राजद्रोह के मामलों में सभी कार्यवाहियों पर तब तक के लिए रोक लगा दी थी, जब तक कोई ‘उचित’ सरकारी मंच इसका पुन: परीक्षण नहीं कर लेता। शीर्ष अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को आजादी के पहले के इस कानून के तहत कोई नई प्राथमिकी दर्ज नहीं करने के निर्देश भी दिये थे। 

राजद्रोह के मामलों में कार्यवाही पर रोक
तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने व्यवस्था दी थी कि प्राथमिकी दर्ज कराने के अलावा, देशभर में राजद्रोह संबंधी कानून के तहत चल रही जांचों, लंबित मुकदमों और सभी कार्यवाहियों पर भी रोक रहेगी। दिल्ली की अदालत ने शुक्रवार को कहा कि उसने इमाम की याचिका को भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (राजद्रोह) और 153 ए (वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत आरोपों को ध्यान में रखते हुए खारिज कर दिया था। 

शरजील इमाम पर लगी कई धाराएं 
न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी 31 महीने से अधिक समय से हिरासत में है और उसे वर्तमान मामले में 17 फरवरी, 2020 को गिरफ्तार किया गया था। अपराध शाखा ने इमाम को उसके कथित भड़काऊ भाषण से जामिया में दंगे भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया था। जांच के दौरान पुलिस ने उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 124ए और 153ए लगाई थी। इमाम पर आईपीसी के विभिन्न प्रावधानों के तहत भी आरोप लगाया गया था, जिसमें दंगा, घातक हथियार से लैस, सरकारी कर्मचारी को ड्यूटी से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल, हत्या का प्रयास शामिल हैं। सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की रोकथाम अधिनियम और शस्त्र अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत भी आरोप लगाये गये थे।

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