Highlights
- शाहनवाज हुसैन ने निचली अदालत के आदेश को दी थी चुनौती
- हाई कोर्ट ने बीजेपी नेता की इस याचिका को कर दी थी खारिज
- 'मामले पर आगे विचार किए जाने तक आदेश के अमल पर रोक'
Shahnawaz Hussain Rape Case: सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली एक महिला की शिकायत पर बीजेपी के नेता शाहनवाज हुसैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने से जुड़े दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के अमल पर सोमवार को रोक लगा दी। हाई कोर्ट ने 17 अगस्त को हुसैन की वह याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें दिल्ली पुलिस को उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने वाले निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी।
हाई कोर्ट ने कहा था कि निचली अदालत के 2018 के आदेश में कोई गड़बड़ी नहीं है, और उसने आदेश पर अमल पर रोक को लेकर अपने पूर्व के अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया। शीर्ष अदालत ने हुसैन की याचिका पर नोटिस जारी किया और दिल्ली सरकार समेत विभिन्न पक्षों से जवाब मांगा और इसकी सुनवाई सितंबर के तीसरे सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।
इस मामले पर विचार करने की जरुरत है: पीठ
न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति एसआर भट और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि हुसैन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की दलीलें सुनने के बाद प्रथम दृष्टया यह माना जाता है कि इस मामले पर विचार करने की जरुरत है। पीठ ने कहा कि मामले पर आगे विचार किए जाने तक (हाई कोर्ट के) आदेश के अमल पर रोक रहेगी।
गौरतलब है कि दिल्ली की एक महिला ने 2018 में निचली अदालत का रुख करते हुए दुष्कर्म के आरोप में हुसैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया था। एक मजिस्ट्रेट अदालत ने 07 जुलाई 2018 को हुसैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देते हुए कहा था कि महिला की शिकायत से एक संज्ञेय अपराध का मामला बनता है।
बीजेपी नेता के खिलाफ फर्जी आरोप लगाए गए- रोहतगी
बीजेपी नेता ने एक सत्र अदालत में इसे चुनौती दी थी, जिसने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। सोमवार को सुनवाई के दौरान रोहतगी ने कहा कि इस मामले में बीजेपी नेता के खिलाफ बिल्कुल फर्जी आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट इस धारणा पर आगे बढ़ा है कि प्राथमिकी दर्ज होने के बाद ही जांच हो सकती है। उन्होंने कहा कि यह कानून की गलत व्याख्या है। रोहतगी ने कहा कि याचिकाकर्ता एक सार्वजनिक हस्ती हैं और उनके खिलाफ फर्जी आरोप लगाए गए हैं।
महिला की ओर से पेश वकील ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद उसके साथ मारपीट की गई और उसे एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया। शिकायतकर्ता के लिए सुरक्षा की मांग करते हुए, वकील ने आरोप लगाया कि पुलिस आरोपियों के साथ मिलीभगत कर रही है, क्योंकि वे शक्तिशाली हैं।