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'गरीबों और वंचितों की सेवा सबसे बड़ा धर्म', महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती कार्यक्रम में बोले पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा जब महर्षि दयानंद का जन्म हुआ था तब देश सदियों की गुलामी से कमजोर पड़ कर अपनी आभा, अपना तेज, अपना आत्मविश्वास सब कुछ खोता चला जा रहा था।

Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Updated on: February 12, 2023 13:40 IST
PM Modi- India TV Hindi
Image Source : TWITTER पीएम मोदी

नई दिल्ली: आर्यसमाज के संस्थापक और समाज सुधारक महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह अवसर ऐतिहासिक है और भविष्य के इतिहास को निर्मित करने का है। यह पूरे विश्व के मानवता के भविष्य के लिए प्रेरणा का फल है। स्वामी दयानंद जी और उनका आदर्श था हम पूरे विश्व को श्रेष्ठ बनाए। 

स्वामी दयानंद ने वेदों को पुनर्जीवित किया 

पीएम मोदी ने कहा जब महर्षि दयानंद का जन्म हुआ था तब देश सदियों की गुलामी से कमजोर पड़ कर अपनी आभा, अपना तेज, अपना आत्मविश्वास सब कुछ खोता चला जा रहा था। प्रति क्षण हमारे संस्कार, आदर्श को चूर-चूर करने का प्रयास होता था। महर्षि दयानंद सरस्वती ने आगे आकर वेदों के बोध को समाज में पुनर्जीवित किया। उन्होंने सामाजिक भेदभाव, ऊंच-नीच, छुआछूत जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ सशक्त अभियान चलाया।

 पीएम मोदी

Image Source : FILE
पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि स्वामी दयानंद ने आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ गुरुकुलों के जरिए भारतीय परिवेश में ढली शिक्षा व्यवस्था की भी वकालत की थी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए देश ने अब इसकी भी बुनियाद मजबूत की है। स्वामी दयानंद ने हमें जीवन जीने का एक और मंत्र दिया था। उन्होंने बहुत ही सरल शब्दों में बताया था कि आखिर परिपक्व कौन होता है, आप किसको परिपक्व कहेंगे? उनका कहना था कि जो व्यक्ति सबसे कम ग्रहण करता है और सबसे अधिक योगदान देता है, वही परिपक्व है।

स्वामी दयानंद का रोपा हुआ बिज पूरे समाज को छाया दे रहा - पीएम मोदी 

स्वामी दयानंद सरस्वती ने अपने जीवन में केवल एक मार्ग ही नहीं बनाया, बल्कि अनेक संस्थाओं का भी सृजन किया। वो अपने जीवन काल में क्रांतिकारी विचारों को लेकर के चले, उनको जिया और लोगों को जीने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने हर विचार को व्यवस्था के साथ जोड़ा। जो बीज स्वामी जी ने रोपा था, वो आज विशाल वटवृक्ष के रूप में पूरी मानवता को छाया दे रहा है। आजादी के अमृतकाल में आज देश उन सुधारों का साक्षी बन रहा है, जो स्वामी दयानंद जी की प्राथमिकताओं में थे। आज देश पूरे गर्व के साथ ‘अपनी विरासत पर गर्व’ का आह्वान कर रहा है। आज देश पूरे आत्मविश्वास के साथ कह रहा है कि हम देश में आधुनिकता लाने के साथ ही अपनी परंपराओं को भी समृद्ध करेंगे।

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