नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि मुस्लिम महिला दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 के तहत अपने पति से भरण-पोषण की मांग कर सकती है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि 'धर्म तटस्थ' प्रावधान सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होता है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। जस्टिस बी. वी. नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेच ने एक अलग लेकिन सहमति वाले फैसले में कहा, '(अ) CrPC की धारा 125 मुस्लिम विवाहित महिलाओं सहित सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होती है। (ब) CrPC की धारा 125 सभी गैर-मुस्लिम तलाकशुदा महिलाओं पर लागू होती है।' लेकिन सवाल यह है कि अब तो CrPC की जगह देश में BNSS लागू हो गया है, ऐसे में महिलाएं गुजारे भत्ते की मांग कैसे करेंगी? आइए बताते हैं।
BNSS की धारा 144 के जरिए मांगा जा सकेगा गुजारा भत्ता
CrPC यानि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 में गुजारा भत्ता का जिक्र था हालांकि अब ये कानून खत्म हो गया है। अब CrPC की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता यानि BNSS ने ले लिया है, जिसकी धारा 144 में भरण पोषण का प्रावधान है। इसके अनुसार कोई भी व्यक्ति जिसके पास अपना भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त साधन हैं, वह पत्नी, बच्चों और माता-पिता को भरण-पोषण देने से इनकार नहीं कर सकता। BNSS के अलग-अलग खंडों में अलग-अलग स्थितियों में भरण पोषण की शर्तों का जिक्र किया गया। बता दें कि भरण-पोषण के दायरे में पति-पत्नी के अलावा माता-पिता और बच्चे (नाजायज बच्चों समेत) तक शामिल हैं।
किन स्थितियों में पत्नी को नहीं मिलेगा गुजारा भत्ता
- अगर वो किसी दूसरे पार्टनर के साथ हो
- बिना किसी सही कारण के अपने पति के साथ रहने से मना कर दे
- यदि पति-पत्नी आपसी सहमति से अलग रह रहे हैं
यानी कि अगर पत्नी किसी दूसरे पार्टनर के साथ रह रही हो, या बिना किसी सही कारण के अपने पति के साथ रहने से मना कर दे, या पति-पत्नी आपसी सहमति से अलग रह रहे हैं तो ऐसी कंडीशन में क्लेम की डिमांड नहीं की जा सकती है।