इंटरनेट के दौर में साइबर फ्रॉड जैसी घटनाएं खूब बढ़ गई हैं। इस दौरान स्कैम का नया ट्रेंड मार्केट में आ चुका है। दरअसल इन दिनों डिजिटल अरेस्ट के खूब मामले देखने को मिल रहे हैं। गृह मंत्रालय के साइबर विंग I4C के सूत्रों की मानें तो पिछले 10 महीने में ही डिजिटल अरेस्ट से साइबर अपराधियों ने 2140 करोड़ रुपये लोगों से ऐंठ लिए हैं। डिजिटल अरेस्ट का शिकार बनाने वाले स्कैमर्स हर महीने करीब 214 करोड़ रुपये से ज्यादा का फ्रॉड कर रहे हैं। MHA के साइबर विंग I4C के मुताबिक, ये ठग फर्जी ईडी, सीबीआई, पुलिस और आरबीआई के अधिकारी बनकर लोगों को फोन करते हैं और लोगों झांसे में लेकर डिजिटल अरेस्ट के जरिए पैसे निकाल लेते हैं।
डिजिटल अरेस्ट को बढ़ रहे मामले
एमएचए के साइबर विंग I4C के मुताबिक, डिजिटल अरेस्ट के सबसे ज्यादा मामले कंबोडिया, म्यांमार, वियतनाम और थाईलैंड जैसे साउथ ईस्ट एशिया के देशों से हो रहा है। साइबर स्लेवरी भी यहीं से की जाती है। हालांकि डिजिटल अरेस्ट के सेंटर्स भारत में भी बने हुए हैं। लगभग 20-40 फीसदी ये मामले भारत से भी देखने को मिल रहे हैं। कंबोडिया में मौजूद चीनी कसीनों में बने कॉल सेंटर धड़ल्ले चल रहे हैं और लोगों को डिजिटल अरेस्ट और साइबर फ्रॉड का शिकार बना रहे हैं।
डिजिटल अरेस्ट होने पर क्या करें?
बता दें कि गृह मंत्रालय के साइबर विंग को इस साल अक्तूबर तक डिजिटल अरेस्ट के कुल मामलों की संख्या का पता चला है। जानकारी के मुताबिक डिजिटल अरेस्ट के अबतक कुल 92,334 मामले देखने को मिले हैं। ऐसे में सलाह यही दी जाती है कि अगर डिजिटल अरेस्ट जैसी किसी भी परिस्थिति में आप अगर फंस जाते हैं या आपको जरा भी भनक लगती है कि सामने बैठा आदमी ऑनलाइन माध्यम के जरिए आपको डराने, धमकाने या ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहा है तो ऐसी स्थिति में तुरंत गृह मंत्रालय के साईबर विंग I4C से संपर्क करें। इनसे संपर्क करने के लिए आप 1930 नंबर पर कॉल भी कर सकते हैं।