नई दिल्ली: वोट के बदले नोट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले फैसले को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि पिछले फैसले से हम सहमत नहीं हैं। अब रिश्वतखोरी मामले में गिरफ्तारी से छूट नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिश्वत लेने पर संसदीय विशेषाधिकार लागू नहीं है।
क्या है पूरा मामला?
मामला ये है कि अगर सांसद पैसे लेकर सदन में वोट या भाषण करते हैं तो उनके खिलाफ केस चलाया जाएगा। इस मामले में उन्हें कोई छूट नहीं मिल पाएगी। दरअसल 1998 में 5 जजों की संविधान पीठ ने 3:2 के बहुमत से तय किया था कि ऐसे मामले में जनप्रतिनिधियों पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इसी फैसले को पलट दिया है।
इसका मतलब साफ है कि अगर कोई सांसद या विधायक सदन में मतदान के लिए रिश्वत लेता है को उस पर मुकदमा होगा। वह कार्रवाई से बच नहीं सकेगा।
चीफ जस्टिस ने क्या कहा?
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने सभी पहलुओं पर निर्णय लिया और विचार किया कि क्या सांसदों को इससे छूट मिलनी चाहिए? हम इस बात से असहमत हैं। इसीलिए बहुमत से इसे खारिज करते हैं। उन्होंने कहा कि हमने पी नरसिम्हा राव मामले में फैसले को खारिज कर दिया है।
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