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Same Sex Marriage: समलैंगिक शादियों के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने 18 अप्रैल के लिए लिस्ट किया, संवैधानिक बेंच करेगी सुनवाई

समलैंगिक शादियों के मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले में आर्टिकल 145(3) का इस्तेमाल किया है। इस मामले की सुनवाई संवैधानिक बेंच करेगी, जिसमें 5 जज होंगे।

Reported By : Gonika Arora Edited By : Rituraj Tripathi Updated on: March 13, 2023 16:17 IST
Supreme Court- India TV Hindi
Image Source : FILE सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: समलैंगिक शादियों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई है। इस दौरान केंद्र सरकार ने सुनवाई को अप्रैल महीने में करने का अनुरोध किया। इसके बाद SC ने इस मामले को 18 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध किया है। कोर्ट ने इस मामले में आर्टिकल 145(3) का इस्तेमाल किया है। इस मामले की सुनवाई संवैधानिक बेंच करेगी, जिसमें 5 जज होंगे। 

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने देश में समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने का विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने सरकार ने हलफनामा दायर करके कहा है कि वो समलैंगिकों की शादी को कानून मान्यता देने के पक्ष में नहीं है। 

इससे पहले केंद्र सरकार का हलफनामा बताता है कि सरकार इसके पक्ष में नहीं है। केंद्र ने रविवार को कोर्ट में 56 पेज का हलफनामा दाखिल किया जिसमें कहा गया कि सेम सेक्स मैरिज भारतीय परंपरा के मुताबिक नहीं है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले को लेकर दिल्ली समेत अलग-अलग हाईकोर्ट में दाखिल सभी याचिकाओं की सुनवाई एक साथ करने का फैसला किया था। कोर्ट ने 6 जनवरी को इस मुद्दे से जुड़ी सभी याचिकाएं अपने पास ट्रांसफर कर ली थीं। 

कानून में पति-पत्नी की जैविक परिभाषा तय: केंद्र

हलफनामे में सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने अपने कई फैसलों में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की व्याख्या स्पष्ट की है। इन फैसलों के आधार पर भी इस याचिका को खारिज कर देना चाहिए क्योंकि उसमें सुनवाई करने लायक कोई तथ्य नहीं है। मेरिट के आधार पर भी उसे खारिज किया जाना ही उचित है।

सरकार ने कहा है कि कानून के मुताबिक भी समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं दी जा सकती क्योंकि उसमें पति और पत्नी की परिभाषा जैविक तौर पर दी गई है। उसी के मुताबिक दोनों के कानूनी अधिकार भी हैं। समलैंगिक विवाह में विवाद की स्थिति में पति और पत्नी को कैसे अलग-अलग माना जा सकेगा?

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