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सेम सेक्स मैरिज को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली मान्यता, फैसले के बाद जानिए किसने क्या कहा

सेम सेक्स मैरिज को देश के सर्वोच्च न्यायालय से मान्यता नहीं मिली है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं। वहीं, याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि हम लंबे समय से लड़ रहे हैं और आगे भी लड़ते रहेंगे।

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published on: October 17, 2023 14:45 IST
Supreme Court- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने आज सेम सेक्स मैरिज पर अपना फैसला दे दिया है। फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक शादी को मान्यता देने से साफ तौर पर इनकार कर दिया है। कोर्ट ने फैसला देते समय यह कहा कि ये अधिकार संसद अधीन है। हालांकि कोर्ट ने समलैंगिकों को बच्चे गोद लेने का अधिकार दिया है। साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों को ये आदेश दिया है कि समलैंगिकों के लिए उचित कदम उठाएं जाएं।

फैसले के बाद जानिए किसने क्या कहा?

फैसला आने के बाद सुप्रीम कोर्ट की वकील करुणा नंदी ने कहा, "आज कुछ अवसर थे जो मुझे लगता है कि विधायकों और केंद्र सरकार के लिए छोड़ दिए गए हैं जिन्होंने विवाह के संबंध में अपना रुख स्पष्ट कर दिया है, हमें उम्मीद है कि उनकी कमेटी यह सुनिश्चित करेगी कि नागरिक संघों को मान्यता दी जाए और विवाह के सहवर्ती तत्वों को कम से कम नागरिक संघों के संबंध में कानून में लाया जाता है।

अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए

वकील करुणा नंदी ने आगे कहा, "मैं यह भी कहूंगी कि कांग्रेस और राज्यों में सत्ता में मौजूद अन्य सरकारों के पास चिकित्सीय निर्णय लेने के लिए साझेदार के अधिकारों की मान्यता को कानून में लाने के कई अवसर हैं क्योंकि वे हेल्थ पर कानून बना सकते हैं, वे रोजगार से जुड़े भेदभाव पर विचार कर सकते हैं।",बहुत कुछ किया जा सकता है...अगर हमने कुछ भी सुना जो सर्वसम्मत था तो वह यह था कि समलैंगिक नागरिकों के अधिकार हैं... समलैंगिक नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए और राज्य सरकारें उनकी रक्षा कर सकती हैं"

"हम लंबे समय से लड़ रहे हैं"

याचिकाकर्ताओं में से एक और कार्यकर्ता अंजलि गोपालन का कहा, "हम लंबे समय से लड़ रहे हैं और आगे भी लड़ते रहेंगे। गोद लेने के संबंध में भी कुछ नहीं किया गया, गोद लेने के संबंध में सीजेआई ने जो कहा वह बहुत अच्छा था लेकिन यह निराशाजनक है कि अन्य न्यायाधीश सहमत नहीं हुए। यह लोकतंत्र है लेकिन हम अपने ही नागरिकों को बुनियादी अधिकारों से वंचित कर रहे हैं"

"साजिश करने वाली ताकतों की हार"

वहीं, इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदीश अग्रवाल ने कहा, ''मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं जहां उन्होंने समलैंगिक विवाह की अनुमति नहीं दी है।'' आगे अग्रवाल ने कहा, यह देश के खिलाफ साजिश करने वाली ताकतों की हार है। कई एजेंसी इसमें शामिल होती है जो भारत को डिस्टेब्लिज करना चाहती है। कोर्ट ने आज साफ कह दिया की संसद ही कानून बना सकती है। कोर्ट को कानून बनने का अधिकार नहीं। CARA adoption संबंधित अमेंडमेंट के बाद यह लगा होगा, अभी कोर्ट ने सिर्फ यह कहा है लेकिन पहले सांसद को कानून में बदलाव करना होगा।

विश्व हिंदू परिषद ने भी रखी अपनी राय

समलैंगिक विवाह व उनके द्वारा गोद लिए जाने को कानूनी मान्यता नहीं दिए जाने के कोर्ट के निर्णय का विश्व हिन्दू परिषद ने स्वागत किया है। विहिप के केन्द्रीय कार्याध्यक्ष व सीनियर वकील आलोक कुमार ने आज कहा है कि हमें संतोष है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने हिन्दू, मुस्लिम व ईसाई मतावलंबियों सहित सभी संबंधित पक्षों को सुनने के बाद यह निर्णय दिया है कि दो समलैंगिकों के बीच संबंध विवाह के रूप में पंजीयन योग्य नहीं है। यह उनका मौलिक अधिकार भी नहीं है। समलैंगिकों को किसी बच्चे को दत्तक लेने का अधिकार भी ना दिया जाना भी एक अच्छा कदम है। आगे उन्होंने कहा कि आम जनता की राय लेकर संसद को इस पर निर्णय लेना चाहिए और कोई कानून बनना चाहिए।

"हम गलत नहीं है"

एलजीबीटी कम्युनिटी के काउंसलर प्रणव ग्रोवर ने कहा कि मैं निराश नही हूं, कुछ तो लेकर जाऊंगा यहां से। हम लोग अलग है, मतलब हम गलत नहीं है। इसके अलावा उन्होंने गोद लेने पर भी अपने विचार रखे।

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