संभल हिंसा के करीब 15 दिन बाद आज एडवोकेट कमिश्नर की सर्वे रिपोर्ट संभल ट्रायल कोर्ट में जमा हो सकती है। बता दें कि संभल ट्रायल कोर्ट द्वारा दिया गया 10 दिन का समय आज यानी सोमवार को खत्म हो रहा है। ऐसे में आज संभल की शाही मस्जिद पर एडवोकेट कमिश्नर की सर्वे रिपोर्ट जमा हो सकती है या फिर एडवोकेट कमिश्नर कोर्ट से कुछ दिन और मांग सकते हैं।
एडवोकेट कमिश्नर ने कही ये बात
एएनआई से बात करते हुए संभल शाही जामा मस्जिद सर्वे रिपोर्ट पर एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने कहा, "मुझे पिछले 3-4 दिनों से बुखार आ रहा है और स्वास्थ्य समस्याओं के कारण मैंने इसका विश्लेषण नहीं किया है। मैं अदालत से अनुरोध करूंगा कि मुझे 15 दिन का समय दिया जाए और मैं निर्देशों के अनुसार रिपोर्ट पेश करूंगा। रिपोर्ट एक सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत की जाएगी। रिपोर्ट लगभग तैयार है, यह अंतिम चरण में है।"
एडवोकेट कमिश्नर रमेश राघव ने इस बार में जानकारी देते हुए रविवार को कहा, "कोर्ट ने सर्वे रिपोर्ट पूरी करने के लिए 10 दिन का समय दिया था। यह समय सीमा सोमवार को खत्म हो रही है।"
सुप्रीम कोर्ट दे चुका है यह आदेश
हालांकि 24 नवंबर को संभल में हुई हिंसा में चार लोगों की मौत के बाद, 29 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने संभल ट्रायल कोर्ट को मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के सर्वे से संबंधित कोई भी आदेश पारित न करने का आदेश दिया था, साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को हिंसा प्रभावित शहर में शांति और सद्भाव बनाए रखने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया था कि जब तक इलाहाबाद हाईकोर्ट मस्जिद समिति की याचिका पर सुनवाई नहीं कर लेता, तब तक सर्वे रिपोर्ट को सीलबंद रखा जाए।
जानें क्या-क्या हुआ था
जानकारी दे दें कि सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन की याचिका के बाद सिविल जजों (सीनियर डिवीजन) की कोर्ट ने 19 नवंबर को शाही मस्जिद का सर्वे करने के लिए रमेश राघव को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया। फिर एडवोकेट कमिश्नर ने 19 नवंबर की शाम को जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया और जिला पुलिस प्रमुख केके बिश्नोई की उपस्थिति में मस्जिद का प्रारंभिक सर्वे किया।
दूसरे सर्वे के दौरान हुई हिंसा
फिर सर्वे का दूसरा चरण 24 नवंबर को शुरू हुआ, जिसके कारण विरोध प्रदर्शन और हिंसा भड़क उठी जिसमें 4 लोगों की जान चली गई। फिर 29 नवंबर को अगली सुनवाई में कोर्ट ने रिपोर्ट पूरी करने के लिए 10 दिन का समय दिया था।
हिंसा की जांच लिए सरकार ने बनाए थे आयोग
वहीं, 28 नवंबर को उत्तर प्रदेश सरकार ने संभल में 24 नवंबर की हिंसा की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग के गठन की घोषणा की। आयोग को अधिसूचना की तारीख से दो महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया है। इस समयसीमा को बढ़ाने के लिए सरकार से मंजूरी लेनी होगी। 28 नवंबर को जारी अधिसूचना में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने "जनहित में और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए गहन जांच" करने की आवश्यकता पर जोर दिया। जांच आयोग का नेतृत्व इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर जज जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोड़ा कर रहे हैं। अधिसूचना में कहा गया है कि अन्य सदस्य रिटायर आईएएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद और रिटायर आईपीएस अधिकारी अरविंद कुमार जैन हैं।
याचिका में क्या कहा गया?
विष्णु शंकर जैन की याचिका में दावा किया गया था कि शाही मस्जिद एक हिंदू मंदिर- हरि हर मंदिर है, जो भगवान कल्कि को समर्पित है। जैन ने इस मामले में छह पक्ष बनाए हैं, जिनमें गृह मंत्रालय के माध्यम से भारत सरकार, संस्कृति मंत्रालय के माध्यम से भारत सरकार, एएसआई के डायरेक्टर, मेरठ मंडल के एएसआई अधीक्षक, संभल के जिला मजिस्ट्रेट और जामा मस्जिद, संभल की प्रबंधन समिति शामिल हैं।
मुस्लिम समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल, शाही मस्जिद का निर्माण 16वीं शताब्दी के आसपास मुगल सेनापति मीर हिंदू बेग द्वारा किया गया माना जाता है। यह शहर के बीचोबीच मोहल्ला कोट पूर्वी में स्थित है। जानकारी दे दें कि शाही मस्जिद एक संरक्षित स्मारक है जिसे 22 दिसंबर 1920 को प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 की धारा 3, उपधारा (3) के तहत नोटिफाई किया गया था। इसके साथ ही यह एएसआई की वेबसाइट (मुरादाबाद डिवीजन) पर केंद्रीय संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल है।