Highlights
- सलमान रुश्दी की विवादित किताब पर लगा था बैन
- राजीव की सरकार में ‘सटेनिक वर्सेज’ हुई थी प्रतिबंधित
- साल 1988 में रुश्दी की किताब पर रोक लगाई गई थी
Salman Rushdie: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार में मंत्री रहे के. नटवर सिंह ने जानेमाने लेखक सलमान रुश्दी की विवादित किताब ‘सटेनिक वर्सेज’ को बैन करने के तत्कालीन सरकार के फैसले का शनिवार को बचाव किया और कहा कि यह फैसला पूरी तरह से कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए लिया गया था। बता दें कि अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान एक व्यक्ति के हमले में घायल हुए अंग्रेजी भाषा के प्रख्यात लेखक सलमान रुश्दी वेंटिलेटर पर हैं।
साल 1988 में रुश्दी की किताब पर लगाई थी रोक
न्यूयॉर्क में शुक्रवार को रुश्दी पर हमला हुआ,जिसके बाद उनकी किताब एक बार फिर चर्चा में आ गई। साल 1988 में इस किताब पर रोक लगाई गई थी, तब के.नटवर सिंह राजीव गांधी सरकार में विदेश राज्यमंत्री थे। उन्होंने कहा कि वह किताब को प्रतिबंधित करने संबंधी फैसले में शामिल थे और उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री से कहा था कि यह किताब कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर स्थिति पैदा कर सकती है क्योंकि लोग आक्रोशित हैं। 91 साल के नटवर सिंह ने आलोचकों के उन आरोपों को ‘बकवास’ करार दिया जिसमें कहा गया कि राजीव गांधी सरकार ने किताब को प्रतिबंधित करने का फैसला मुस्लिम तुष्टिकरण के चलते लिया था।
किताब से कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हुई थी
पूर्व मंत्री नटवर सिंह ने कहा, ‘‘मैं नहीं मानता कि किताब को बैन करने का फैसला गलत था क्योंकि इससे कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हुई थी खासतौर पर कश्मीर में। भारत के अन्य हिस्सों में अशांति पैदा हुई थी।’’ सिंह ने कहा, ‘‘राजीव गांधी ने मुझसे पूछा कि क्या किया जाना चाहिए। मैंने कहा, ‘मैंने पूरी जिंदगी किताबों पर रोक का पुरजोर तरीके से विरोध किया, लेकिन जब कानून व्यवस्था की समस्या आए तो भले रुश्दी जैसे महान लेखक की किताब हो, प्रतिबंधित की जानी चाहिए।’’ उन्होंने जोर दिया कि रुश्दी की किताब ‘मिडनाइट चिल्ड्रेन’ 20वीं सदी के महान उपन्यासों में से एक है, लेकिन ‘सटेनिक वर्सेज’ को बैन करने का फैसला पूरी तरह से कानून -व्यवस्था के कारण था।
रुश्दी की हत्या का फतवा हुआ था जारी
गौरतलब है कि ‘सटेनिक वर्सेज’ किताब के प्रकाशित होने के बाद भारी विवाद हुआ और कई मुस्लिम इसे ईशनिंदा के तौर पर देखते हैं। ईरानी नेता अयातुल्लाह खामनेई ने रुश्दी की हत्या का फतवा जारी किया था। राजीव गांधी सरकार के फैसले का पुरजोर तरीके से बचाव करते हुए सिंह ने कहा, ‘‘मैं इसे पूरी तरह से न्यायोचित मानता हूं क्योंकि यह कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर हालात पैदा कर सकती थी । उस समय भावनाएं चरम पर थीं, खासतौर पर मुसलमानों की।’’ सिंह ने कहा कि वह रुश्दी पर हमले से ‘व्यथित’ हैं। सिंह ने कहा, ‘‘वह 75 साल के व्यक्ति है जो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते और साहित्य में योगदान दे रहे हैं। कोई दुष्ट आता है और उन्हें करीब करीब मार देता है, वह भी तब जब वह न्यूयॉर्क में भाषण दे रहे थे।’’