Highlights
- 'किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं'
- 'पैगंबर मोहम्मद साहब ने हमेशा अमन का पैगाम दिया है'
- 'शिया समुदाय के किसी अन्य व्यक्ति का राय देना ठीक नहीं'
Salman Rushdie Attacked: अमेरिका के न्यूयार्क में शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान मशहूर लेखक सलमान रुश्दी पर जानलेवा हमला हुआ। रुश्दी पर हुए हमले को लेकर मुस्लिम धर्मगुरुओं ने प्रतिक्रिया दी है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (The All India Muslim Personal Law Board-AIMPLB) के वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य और लखनऊ के शहर मुफ्ती मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कहा कि शरीयत की नजर में किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है, लिहाजा इस घटना को सही नहीं ठहराया जा सकता।
उन्होंने कहा कि इस्लाम में पैगंबर मोहम्मद साहब ने हमेशा अमन का पैगाम दिया है, इसलिए मुसलमानों को उन्हीं के बताए रास्ते पर चलना चाहिए। दूसरी ओर ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Shia Personal Law Board) के अध्यक्ष मौलाना सायम मेहंदी ने कहा, "तीन दशक पहले ईरान के शिया धर्मगुरु मौलाना खुमैनी ने रुश्दी के खिलाफ फतवा जारी किया था, ऐसे में अब इस घटना पर शिया समुदाय के किसी अन्य व्यक्ति का राय देना ठीक नहीं है।"
रुश्दी के शरीर पर चाकू के हमले के कई निशान थे: डॉक्टर
मशहूर लेखक सलमान रुश्दी पर हुए हमले के बाद उनका इलाज करने वाले डॉक्टर ने कहा कि रुश्दी के शरीर पर चाकू के हमले के कई निशान थे, जिनमें से एक उनकी गर्दन के दाहिनी ओर था और वह खून से लथपथ पड़े हुए थे। रिपोर्ट के मुताबिक, रुश्दी जिस कार्यक्रम में संबोधित करने वाले थे वहां मौजूद एंडोक्रिनोलॉजिस्ट रीटा लैंडमैन ने मंच पर जाकर रुश्दी का प्राथमिक इलाज किया। रीटा ने कहा कि रुश्दी के शरीर पर चाकू के हमले के कई निशान थे जिनमें से एक उनकी गर्दन के दाहिनी ओर था और वह खून से लथपथ पड़े हुए थे। लेकिन वह जीवित प्रतीत हो रहे थे और सीपीआर नहीं ले रहे थे। रीटा ने कहा, "वहां मौजूद लोग कह रहे थे कि उनकी धड़कन चल रही है।" सलमान रुश्दी के एजेंट ने जानकारी दी कि वे वेंटिलेटर पर हैं और उनकी एक आंख खोने की आशंका है। चाकू से हमले के बाद उनका लीवर भी क्षतिग्रस्त हो गया है।
हमलावर ने लेखक सलमान रुश्दी पर क्यों किया हमला?
गौरतलब है कि मुंबई में जन्मे विवादास्पद लेखक, जिन्हें "द सैटेनिक वर्सेज" लिखने के बाद वर्षों तक इस्लामवादियों से मौत की धमकियों का सामना करना पड़ा, को न्यूजर्सी निवासी 24 वर्षीय हदी मतार ने शुक्रवार को मंच पर चाकू मार दिया, जब वह एक कार्यक्रम को संबोधित करने जा रहे थे। रुश्दी को कार्यक्रम स्थल से सटे एक मैदान से उत्तर-पश्चिमी पेंसिल्वेनिया के एक अस्पताल में ले जाया गया, जहां 75 वर्षीय लेखक सलमान रुश्दी की सर्जरी हुई। लेखक ने अपने उपन्यास "मिडनाइट्स चिल्ड्रन" के लिए बुकर पुरस्कार भी जीता है। वहीं, अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि हमलावर हदी मतार ने लेखक पर क्यों हमला किया।
ईरान की मीडिया ने इस हमले का कोई मकसद नहीं बताया है
वहीं, ईरान की सरकार एवं उसकी सरकारी मीडिया ने इस हमले का कोई मकसद नहीं बताया है, लेकिन तेहरान में कुछ लोगों ने लेखक पर हमले की सराहना की, क्योंकि उनका मानना है कि रुश्दी ने 1988 में आई अपनी पुस्तक 'द सैटेनिक वर्सेज' इस्लाम धर्म की छवि को नुकसान पहुंचाया है। ईरान की राजधानी तेहरान की गलियों में लोगों के जेहन में अब भी खमैनी का फतवा है। रेजा अमिरी नामक एक व्यक्ति ने कहा, "मैं सलमान रुश्दी को नहीं जानता, लेकिन मुझे यह सुनकर खुशी हुई है कि उन पर हमला किया गया, क्योंकि उन्होंने इस्लाम का अपमान किया है।"
मौत की सजा दिए जाने का फतवा 1989 में जारी किया गया था
तेहरान में रह रहे 34 वर्षीय मोहम्मद महदी मोवाघर ने कहा कि यह सुखद है और यह दिखाता है कि जो लोग हम मुस्लिमों की पवित्र चीजों का अपमान करते हैं उन्हें परलोक में सजा के अलावा इस दुनिया में भी लोगों की ओर से सजा मिलेगी। हालांकि, कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें चिंता है कि ईरान दुनिया से और कट जाएगा। वैसे भी ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर तनाव चल रहा है। भूगोल शिक्षक माहशिद बराती (39) ने कहा, "मैं मानती हूं कि जिन्होंने ऐसा किया है, वे ईरान को अलग-थलग करने का प्रयास कर रहे हैं।" खमनेई ने रुश्दी को मौत की सजा दिए जाने का फतवा 1989 में जारी किया था।