Highlights
- देखें- सदगुरू ने काशी को लेकर और क्या बोला
- विश्वनाथ कॉरिडोर का पीएम मोदी ने किया है लोकार्पण
- काशी भारत के लिए ही नहीं, दुनिया के लिए महत्वपूर्ण- जग्गी वासुदेव
नयी दिल्ली: भव्य काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण पर आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने खुशी जताई है। सद्गुरु ने कहा कि काशी का पुनरुद्धार न केवल भारत के लिए बल्कि दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है। क्योंकि, काशी धरती का सबसे प्राचीन जिंदा शहर है। यह एक ऐसा द्वार है जिसने हजारों साधकों को मानवीय लालसा की अभिव्यक्ति खोजने में सक्षम बनाया है। सदगुरु ने पीएम मोदी, सीएम योगी और यूपी के लोगों को काशी की पौराणिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए धन्यवाद दिया है।
एक वीडियो संदेश में सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने वाराणसी का नाम कैसे पड़ा इसे लेकर भी बताया है। उन्होंने कहा कि वाराणसी, काशी दो नदियों के मिलन से उत्पन्न शहर है। दो नदियां, वरूणा और अस्सी के मिलने से इस शहर का नाम वाराणसी पड़ा है। काशी दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में से एक है। जब रोम के बारे में किसी ने सोचा भी नहीं होगा तब काशी था। जब मिस्र के पिरामिडों को बनाने के बारे में किसी ने सोचा होगा, तब काशी था।
सदगुरु ने काशी मतलब, रौशनी की इमारत बताया है। उन्होंने कहा कि यहां मनुष्य ईश्वर के साथ खुद को जुड़ा पाता है। जोड़ता है। जग्गी वासुदेव ने कहा कि काशी किसी धर्म विशेष की नगरी नहीं है बल्कि ये मनुष्य का रूपांतरण है।
सोमवार को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र नरेंद्र मोदी ने किया था। इसे बनाने में कुल 800 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आई है। गौरतलब है कि साल 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाशिवरात्रि के अवसर पर ईशा योग केंद्र में "आदियोगी" शिव की 112 फीट ऊंची प्रतिमा का लोकार्पण किया था। भगवान शिव की इस भव्य प्रतिमा को धर्मगुरू जग्गी वासुदेव की संस्था ईशा फाउंडेशन ने बनवाया है।
पीएम मोदी का काशी में दो दिवसीय दौरा था। जिसमें उन्होंने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण से पहले ललित घाट में गंगा स्नान किया और भगवान भोले का जलाभिषेक किया। पूजा-अर्चना बाद शाम में आरती की। वही, यहां से पीएम मोदी ने काशी का महत्व भी बताया। पीएम ने कहा था, "आतातायियों ने इस नगरी पर आक्रमण किए, इसे ध्वस्त करने के प्रयास किए। औरंगजेब के अत्याचार, उसके आतंक का इतिहास साक्षी है। जिसने सभ्यता को तलवार के बल पर बदलने की कोशिश की, जिसने संस्कृति को कट्टरता से कुचलने की कोशिश की। लेकिन इस देश की मिट्टी बाकी दुनिया से कुछ अलग है। सल्तनतें आई और चली गई लेकिन बनारस वही है।"
काशी की धरती पर पीएम मोदी ने आगे कहा था, "यहाँ अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं। अगर कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है तो राजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का अहसास करा देते हैं।"