नई दिल्ली। भारत ने पूर्वी यूक्रेन में रूस और यूक्रेन के सैनिकों के बीच स्थानीय संघर्ष विराम का आग्रह किया है, ताकि संघर्ष वाले क्षेत्रों में फंसे भारतीय नागरिकों को निकालने में आसानी हो। साथ ही, भारत ने कहा कि आम आदमी की निकासी के लिए सुरक्षित गलियारे बनाने के बारे में दोनों पक्षों (रूस और यूक्रेन) द्वारा लिए गए फैसले को मूर्त रूप लेते देखना अभी बाकी है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि युद्धग्रस्त देश को लेकर प्रथम परामर्श जारी होने के बाद करीब 20,000 भारतीय सुरक्षित रहने के लिए यूक्रेन की सीमा छोड़ चुके हैं। वहीं, ऐसी खबरें आ रही है कि दिल्ली के एक छात्र को कई गोलियां लगी, लेकिन वह हमले में करिश्माई तरीके से बच गया।
300 भारतीय अभी भी खारकीव में
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन से भारतीयों की सुरक्षित निकासी के लिए चलाए जा रहे अभियान के बीच शुक्रवार को एक और उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, कैबिनेट सचिव राजीव गौबा और प्रधानमंत्री कार्यालय के शीर्ष अधिकारी मौजूद थे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि लगभग 300 भारतीय खारकीव में, 700 सुमी में हैं, जहां भीषण लड़ाई चल रही है। उन्होंने कहा कि खारकीव के उपनगर पिसोचीन से 900 से अधिक भारतीयों को पांच बसों से निकाला गया है। उन्होंने मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि भारत खारकीव और सुमी सहित पूर्वी यूक्रेन से अपने नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने पर मुख्य रूप से ध्यान दे रहा है और युद्ध ग्रस्त देश में फंसे भारतीयों की कुल संख्या करीब 2,000 से 3,000 के बीच है।
विदेश मंत्रालय ने भारतीयों को यूक्रेन में बंधक बनाने का रूसी दावा खारिज
रूसी राष्ट्रपति व्लामदिमीर पुतिन के गुरुवार के इस बयान के बारे में पूछे जाने पर कि कुछ भारतीयों को यूक्रेन के सैनिकों ने बंधक बना लिया है, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक बार फिर इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि भारत के पास ऐसी कोई सूचना या रिपोर्ट नहीं है। यूक्रेन में युद्ध प्रभावित कीव से सुरक्षित निकलने के प्रयास में 31 वर्षीय भारतीय छात्र हरजोत सिंह गोलीबारी का शिकार हो गया और एक गोली सीने में लगने समेत शरीर पर चार गोलियां झेलने के बाद भी खुद के जीवित बचने को उसने खुशनसीबी बताया है। दिल्ली निवासी हरजोत ने 27 फरवरी के घटनाक्रम को याद करते हुए कहा, ‘हम लीव जाने के लिए कैब में बैठे थे। हमें एक बैरिकेड पर रोका गया और तभी गोलियां चलने लगीं। मुझे लगा कि अब अंत समय आ गया है। ईश्वर की कृपा से मैं जीवित बच गया।’ हरजोत का कीव के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है। कुछ दिन के बाद हरजोत के होश में आने पर यहां उसके परिजनों ने राहत की सांस ली, जब उन्हें बताया गया कि वह चमत्कारिक तरीके से गोलियों से बच गया। हरजोत ने दो और लोगों के साथ कीव से बच निकलने के लिए लीव शहर के लिए कैब ली थी। उसने फोन पर बताया, ‘मुझे नहीं पता कि उन लोगों का क्या हुआ जो मेरे साथ थे। मुझे तो लगा था कि मैं अब नहीं बचूंगा।’
भारतीय छात्रों के साथ एक बांग्लादेशी नागरिक को भी निकाला
बागची ने बताया कि भारत ने यूक्रेन में फंसे भारतीयों को वापस लाने के अपने अभियान के तहत एक बांग्लादेशी नागरिक को भी वहां से निकाला है। उन्होंने कहा कि भारत निकासी अभियान पर सभी संबद्ध पक्षों से संपर्क में है और उन्हें बाहर निकालने के लिए संघर्ष वाले क्षेत्र में स्थानीय संघर्ष विराम का आग्रह किया गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत ने संघर्ष वाले क्षेत्रों से आम आदमी की सुरक्षित निकासी में मदद के लिए मानवीय सहायता गलियारा बनाने की जरूरत को लेकर रूस और यूक्रेन के सहमत होने के बारे में बृहस्पतिवार को पता चलने के बाद आगे कोई गतिविधि नहीं देखी है।
बागची ने कहा, ‘हम इसके क्रियावन्यन के संदर्भ में जमीनी स्तर पर कुछ नहीं देख रहे हैं। हम करीबी रूप से इस पर नजर रखे हुए हैं। ’ उन्होंने कहा, ‘यदि ऐसा होता है तो इससे हमारी प्रक्रिया में निश्चित रूप से मदद मिलेगी। हमने दोनों पक्षों से बैर खत्म करने को कहा है।