मुंबई। अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा है कि रूस से भारत का ऊर्जा आयात बहुत कम है और यह रेखांकित करना महत्वपूर्ण होगा कि एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में भारत को अपने हितों के हिसाब से फैसले लेने होंगे। उन्होंने कहा कि लेकिन भारत को यह बात दृढ़ता से स्पष्ट करनी चाहिए कि यूक्रेन के खिलाफ रूस के हमले पूरी तरह गलत हैं। चीन के साथ सीमा पर भारत के गतिरोध को ‘बहुत परेशानी वाला’ करार देते हुए उन्होंने कहा कि इस विषय पर और अधिक ध्यान देना होगा तथा भारत अपनी रक्षा के लिए जो भी करता है, अमेरिका उसका समर्थन करता है। हिलेरी ने इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए यह बात कही।
अमेरिका इससे पहले भी भारत को दृढ़ता के साथ रूस के यूक्रेन पर हमलों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए जोर डाल चुका है। कई बार इसे लेकर अपरोक्ष रूप से दबाव बनाने की कोशिश भी हुई, लेकिन भारत अब तक अपने रुख पर कायम रहा है।
इस मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के शीर्ष आर्थिक सलाहकार ब्रायन डीज ने कहा था कि रूस से गठबंधन की भारत को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। डीज ने कहा था कि यूक्रेन संकट पर भारत और चीन ने जिस तरह तटस्था दिखाई है उससे अमेरिका काफी निराश हुआ है। ब्रायन डीज ने कहा कि, मॉस्को के साथ अधिक रणनीतिक गठबंधन के परिणाम दीर्घकालिक होंगे। एक तरफ अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा रखे हैं तो दूसरी तरफ भारत ने इन प्रतिबंधों को मानने से इनकार कर दिया।
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह ने भारत की यात्रा के दौरान कहा था कि यदि चीन एलएसी का उल्लंघन करता है तो भारत यह उम्मीद न रखे कि रूस उसके बचाव में उतरेगा, क्योंकि रूस और चीन के बीच अब साझेदारी की कोई सीमा नहीं है। उन्होंने यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत की प्रतिक्रिया के संदर्भ में यह बात कही थी।