Highlights
- ऐसी कोई भी चीज देने के लिए तैयार है जिसे भारत खरीदना चाहता है: सर्गेई लावरोव
- लावरोव ने कहा कि डॉलर आधारित भुगतान प्रणाली से दूर होने के प्रयास तेज किए जाएंगे।
- लावरोव ने कहा कि अतीत में कई मुश्किल मौकों पर भी दोनों देशों के बीच संबंध चिरस्थायी बने रहे।
नयी दिल्ली: रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शुक्रवार को कहा कि उनका देश ऐसी कोई भी चीज देने के लिए तैयार है जिसे भारत खरीदना चाहता है। दरअसल, लावरोव भारत द्वारा रियायती दर पर तेल खरीदे जाने की योजना के बारे में किए गए सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने इसके साथ ही कहा कि रूस ने भारत जैसे देशों के साथ राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार करने के लिए एक प्रणाली विकसित की है और डॉलर आधारित भुगतान प्रणाली से दूर होने के प्रयास तेज किए जाएंगे। बता दें कि अमेरिका इस तरह की कवायद का जमकर विरोध कर रहा है।
‘बाधाओं को दूर करने के तरीके तलाश रहे हैं हम’
विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बातचीत के तुरंत बाद लावरोव ने कहा कि रूस अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ द्विपक्षीय व्यापार के लिए बाधाओं को दूर करने के तरीके तलाश रहा है। लावरोव ने कहा कि भारत के साथ व्यापार के लिए रुपया-रूबल पेमेंट सिस्टम पहले भी लागू किया गया था तथा इसे और मजबूत किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘अधिक से अधिक लेनदेन राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करके और डॉलर-आधारित प्रणाली को दरकिनार करते हुए किया जाएगा।’ यदि इस पेमेंट सिस्टम पर बात आगे बढ़ जाती है तो निश्चित तौर पर यह अमेरिका के लिए एक बड़ा झटका होगा।
‘एक स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करता है भारत’
रूस से रियायती दरों पर तेल खरीदने की भारत की योजना के बारे में पूछे जाने पर लावरोव ने कहा कि मॉस्को वह कुछ भी प्रदान करने के लिए तैयार है जो भारत खरीदना चाहता है। रूस के विदेश मंत्री ने यूक्रेन संकट पर भारत के रुख की सराहना करते हुए कहा कि वह एक स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करता है। लावरोव ने साथ ही कहा कहा कि रूस की विदेश नीति भी भारतीय विदेश नीति के सिद्धांतों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि हम दोनों बड़े देशों के बीच दोस्ताना संबंध है और हम एक-दूसरे के भरोसेमंद साझेदार हैं।
‘दोनों देशों के संबंध चिरस्थायी बने रहे हैं’
इससे पहले विदेश मंत्री एस़. जयशंकर ने लावरोव के साथ मुलाकात के बाद कहा कि भारत ने अपने ‘एजेंडे’ का विस्तार करते हुए सहयोग में विविधता लाने की कोशिश की है। जयशंकर ने कहा कि हमारी आज की बैठक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्याप्त तनावपूर्ण स्थिति में हो रही है और भारत हमेशा से मतभेदों या विवादों को बातचीत तथा कूटनीति के जरिये सुलझाने का पक्षधर रहा है। वहीं, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि अतीत में कई मुश्किल मौकों पर भी दोनों देशों के बीच संबंध चिरस्थायी बने रहे।
रूस से लेन-देन पर अमेरिका ने किया था आगाह
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने जयशंकर के साथ वार्ता के दौरान मौजूदा स्थिति में भारत के रुख की सराहना की। जयशंकर एवं लावरोव के बीच यह बैठक ऐसे समय में हुई जब एक दिन पहले ही अमेरिका ने आगाह किया कि रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों में गतिरोध पैदा करने वाले देशों को अंजाम भुगतने पड़ेंगे। भारत और रूस के बीच यह उच्च-स्तरीय बैठक उन संकेतों की पृष्ठभूमि में हुई जिसमें व्यापक छूट पर रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीदने की भारत की संभवनाओं तथा द्विपक्षीय व्यापार के लिए रुपये-रूबल की विनिमय व्यवस्था की बात सामने आई।
‘गतिरोध पैदा करने वाले देशों को भुगतने होंगे अंजाम’
रूसी विदेश मंत्री लावरोव के भारत पहुंचने से कुछ ही घंटे पहले अमेरिका के उपराष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (डिप्टी एनएसए) दलीप सिंह ने आगाह किया था कि रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों में गतिरोध पैदा करने वाले देशों को अंजाम भुगतने पड़ेंगे। विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला सहित भारतीय वार्ताकारों के साथ कई बैठकें करने के बाद सिंह ने यह भी कहा था कि अमेरिका किसी भी देश को रूसी केंद्रीय बैंक के साथ वित्तीय लेनदेन में शामिल होते नहीं देखना चाहेगा।