Highlights
- बेरोजगारी और आर्थिक असमानता पर RSS चिंतित
- कहा - 'गरीबी देश के सामने राक्षस जैसी चुनौती'
- कुछ दिन पहले नितिन गडकरी ने भी कही थी यही बातें
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने रविवार को देश में बेरोजगारी और आय में बढ़ती असमानता पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि गरीबी देश के सामने एक राक्षस जैसी चुनौती के रूप में सामने आ रही है। हालांकि, होसबाले ने कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिए पिछले कुछ वर्षों में कई कदम उठाए गए हैं। होसबाले ने संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच (SJM) द्वारा आयोजित एक वेबिनार में कहा, ''हमें इस बात का दुख होना चाहिए कि 20 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं और 23 करोड़ लोग प्रतिदिन 375 रुपये से भी कम कमा रहे हैं। गरीबी हमारे सामने एक राक्षस-जैसी चुनौती है। यह महत्वपूर्ण है कि इस दानव को खत्म किया जाए।''
आर्थिक असमानता भी बड़ी चुनौती
आरएसएस नेता ने कहा कि गरीबी के अलावा असमानता और बेरोजगारी दो चुनौतियां हैं, जिनसे निपटने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ''देश में चार करोड़ बेरोजगार हैं, जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में 2.2 करोड़ और शहरी क्षेत्रों में 1.8 करोड़ बेरोजगार हैं। श्रम बल सर्वेक्षण में बेरोजगारी दर 7.6 प्रतिशत आंकी गई है। हमें रोजगार पैदा करने के लिए न केवल अखिल भारतीय योजनाओं की आवश्यकता है, बल्कि स्थानीय योजनाओं की भी आवश्यकता है।''
होसबाले ने कुटीर उद्योगों को पुनर्जीवित करने और ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए कौशल विकास क्षेत्र में और अधिक पहल करने का भी सुझाव दिया। आर्थिक असमानता के संदर्भ को लेकर होसबाले ने सवाल किया कि क्या यह अच्छा है कि शीर्ष 6 अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के बावजूद, देश की आधी आबादी को कुल आय का केवल 13 प्रतिशत ही मिलता है।
नितिन गडकरी ने भी कही थी यही बातें
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को कहा कि भारत के दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने और एक समृद्ध देश होने के बावजूद इसकी जनसंख्या गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, जातिवाद, अस्पृश्यता और महंगाई का सामना कर रही है। गडकरी ने नागपुर में एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए कहा कि देश के भीतर अमीर एवं गरीब के बीच की खाई गहरी हो रही है जिसे पाटने की जरूरत है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा, ‘‘हम दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था हैं और पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। हम एक अमीर देश हैं जिसकी आबादी गरीब है। हमारा देश समृद्ध है लेकिन इसकी जनसंख्या गरीब है जो भुखमरी, बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, जातिवाद, अस्पृश्यता और कई अन्य मुद्दों का सामना कर रही है जो समाज की प्रगति के लिए ठीक नहीं हैं।’