राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने रविवार को कहा कि इस्लामिक आक्रमण के कारण भारतीय समाज में बाल विवाह, सती प्रथा, विधवा पुनर्विवाह पर प्रतिबंध जैसी सामाजिक बुराइयां उत्पन्न हुईं, जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं का दमन किया गया। आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी कृष्ण गोपाल ने दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित 'नारी शक्ति संगम' नामक एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मध्यकाल में महिलाओं और लड़कियों को आक्रमणकारियों से बचाने के लिए उन पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए थे।
संघ नेता का बड़ा बयान
उन्होंने मध्यकाल को एक बहुत ही कठिन समय बताते हुए कहा, ‘‘पूरा देश पराधीनता से जूझ रहा था। मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया, बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों को नष्ट कर दिया गया और महिलाओं को खतरे में डाल दिया गया। दुनिया भर में लाखों महिलाओं का अपहरण कर उन्हें बाजारों में बेच दिया गया। चाहे वह अहमद शाह अब्दाली, मुहम्मद गौरी या महमूद गजनी हो, इन सभी ने यहां से महिलाओं को ले जाकर दुनिया भर के बाजारों में बेचा। वह अत्यंत अपमान का युग था।’’ उन्होंने कहा कि इसलिए, महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के लिए हमारे समाज द्वारा उन पर कई प्रतिबंध लगाए गए और इसके परिणामस्वरूप उन्होंने स्कूलों, गुरुकुलों में जाना बंद कर दिया और अशिक्षित हो गईं।
सनातन धर्म पर विवादित बयान
गौरतलब है कि इससे पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एनके स्टालिन के बेटे और राज्य सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को लेकर विवादित बयान दिया था। उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना मलेरिया, डेंगू और कोरोना वायरस से करते हुए कहा था कि इन चीजों का विरोध नहीं करना चाहिए बल्कि इन्हें नष्ट कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सनातनम क्या है? ये संस्कृत भाषा से आया शब्द है। सनातन समानता और सामाजिक न्याय के खिलाफ होने के अलावा और कुछ नहीं है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक स्टालिन ने सनातन धर्म को खत्म करने की बात कही थी।
(इनपुट-भाषा)