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Mohan Bhagwat: 'अल्पसंख्यकों को संगठित हिंदुओं से कोई खतरा नहीं', विजय दशमी के उत्सव पर बोले RSS चीफ मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने बुधवार को कहा कि तथाकथित अल्पसंख्यकों में बिना कारण भय का हौवा खड़ा किया जाता है कि उन्हें संघ से या हिन्दुओं से खतरा है।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने बुधवार को कहा कि तथाकथित अल्पसंख्यकों में बिना कारण भ

Edited By: Sushmit Sinha @sushmitsinha_
Published on: October 05, 2022 16:24 IST
RSS Chief Mohan Bhagwat- India TV Hindi
Image Source : PTI RSS Chief Mohan Bhagwat

Highlights

  • अल्पसंख्यकों को संगठित हिंदुओं से कोई खतरा नहीं
  • विजय दशमी के उत्सव पर बोले RSS चीफ मोहन भागवत
  • 'हिंदू राष्ट्र' की अवधारणा को अब गंभीरता से लिया जा रहा है

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने बुधवार को कहा कि तथाकथित अल्पसंख्यकों में बिना कारण भय का हौवा खड़ा किया जाता है कि उन्हें संघ से या हिन्दुओं से खतरा है। लेकिन यह ना तो हिन्दुओं का ना ही संघ का स्वभाव या इतिहास रहा है। भागवत ने जोर देकर कहा कि हमसे या संगठित हिन्दुओं से ना कभी किसी को खतरा हुआ है और ना कभी होगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर स्थित मुख्यालय में विजय दशमी उत्सव पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सरसंघचालक ने कहा, ''संघ पूरी दृढ़ता के साथ आपसी भाईचारे, भद्रता व शांति के पक्ष में खड़ा है।''

उदयपुर जैसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए

असमानता के बारे में बात करते हुए भागवत ने कहा कि जब तक मंदिर, जलाशय और श्मशान सभी हिन्दुओं के लिये नहीं खुलेंगे तब तक समानता की बात पूरी नहीं हो सकती। उन्होंने उदयपुर और अमरावती में भाजपा की एक निलंबित प्रवक्ता का समर्थन करने पर एक दर्जी और एक दवा दुकानदार की हत्या किए जाने की घटनाओं के संदर्भ में कहा कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी पिछले दिनों उदयपुर में एक अत्यंत ही जघन्य एवं दिल दहला देने वाली घटना घटी, जिससे सारा समाज स्तब्ध रह गया।

सबको कानून के दायरे में विरोध प्रकट करना चाहिए

भागवत ने कहा, ''अधिकांश समाज दुखी और आक्रोशित था, ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो यह सुनिश्चित करना होगा क्योंकि ऐसी घटनाओं के मूल में पूरा समाज नहीं होता।'' उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज का एक बड़ा वर्ग ऐसी घटना घटने के बाद हिन्दुओं पर आरोप लगने की स्थिति में मुखरता से विरोध और निषेध व्यक्त करता है। संघ प्रमुख ने कहा कि सबको सदैव क़ानून और संविधान की मर्यादा में रहकर अपना विरोध प्रगट करना चाहिए। उन्होंने कहा, ''समाज जुड़े - टूटे नहीं, झगड़े नहीं, बिखरे नहीं। मन-वचन-कर्म से यह भाव मन में रखकर समाज के सभी सज्जनों को मुखर होना चाहिए।''

'हिंदू राष्ट्र' की अवधारणा को भी गंभीरता से लिया जा रहा है

भागवत ने कहा कि संघ राष्ट्र विचार को मानने वाले सबका यानी हिन्दू समाज का संगठन करने, हिन्दू धर्म, संस्कृति व समाज का संरक्षण कर हिन्दू राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति के लिए काम करता है। उन्होंने कहा कि अब जब संघ को लोगों का भरोसा और प्यार मिल रहा है और वह मजबूत हो रहा है तो ‘हिंदू राष्ट्र’ की अवधारणा को भी गंभीरता से लिया जा रहा है। उन्होंने कहा ''परन्तु हिन्दू शब्द का विरोध करते हुए अन्य शब्दों का उपयोग करने वाले लोग भी हैं, लेकिन हमारा उनसे कोई विरोध नहीं। आशय की स्पष्टता के लिए हम हमारे लिए हिन्दू शब्द का आग्रह रखते रहेंगे।''

उन्होंने कहा कि तथाकथित अल्पसंख्यकों में बिना कारण एक भय का हौवा खड़ा किया जाता है कि हम से अथवा संगठित हिन्दुओं से उन्हें खतरा है। उन्होंने कहा, ''ऐसा न कभी हुआ है, न होगा। न यह हिन्दू का न ही संघ का स्वभाव या इतिहास रहा है।'' उन्होंने कहा कि अन्याय, अत्याचार, द्वेष का सहारा लेकर गुंडागर्दी करने वाले जब समाज में शत्रुता करते हैं तो आत्मरक्षा अथवा आप्तरक्षा सभी का कर्तव्य बन जाता है।

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