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पूरी दुनिया ज्ञान के लिए भारत की ओर देख रही है: RSS प्रमुख मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने बुधवार को कहा कि देश के लोगों को अपना ‘‘स्व’’ समझने की जरूरत है, क्योंकि पूरी दुनिया ज्ञान के लिए भारत की ओर देख रही है।

Edited By: Sushmit Sinha @sushmitsinha_
Published : Sep 14, 2022 22:53 IST, Updated : Sep 22, 2022 19:13 IST
Mohan Bhagwat
Image Source : PTI (FILE PHOTO) Mohan Bhagwat

Highlights

  • 'पूरी दुनिया ज्ञान के लिए भारत की ओर देख रही है'
  • 'देश अपना इतिहास भूल जाते हैं'
  • 'लड़ाइयां सदैव दुख-दर्द को जन्म देती हैं'

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने बुधवार को कहा कि देश के लोगों को अपना ‘‘स्व’’ समझने की जरूरत है, क्योंकि पूरी दुनिया ज्ञान के लिए भारत की ओर देख रही है। वह यहां भारतीय विचार मंच नामक एक संगठन द्वारा ‘स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर बहुआयामी विमर्श’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे। एक विज्ञप्ति के अनुसार भागवत ने कहा, ‘‘अन्य देश मार्गदर्शन के लिए प्राचीन भारतीय दर्शन की ओर आशाभरी निगाहों से देख रहे हैं। हमारे प्राचीन ग्रंथ एवं पुस्तकें सर्वकालिक हैं।

 देश अपना इतिहास भूल जाते हैं

आज भी पूरी दुनिया ज्ञान के लिए भारत की ओर देख रही है। ऐसी स्थिति में हमें अपना ‘स्व’ समझने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा कि यहां तक शीर्ष न्यायाधीशों ने ‘‘उस आधार पर’’ न्यायिक प्रक्रिया में जरूरी बदलाव करने की अपील की थी। संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘यह धर्म ही है जो हमें प्रेम, करूणा, सच्चाई एवं प्रायश्चित का पाठ पढाता है। हमने ज्ञान का कभी स्वदेशी एवं विदेशी के रूप में विभाजन नहीं किया। हमने सदैव सभी दिशाओं से आने वाले अच्छे विचारों को अपनाने में विश्वास किया। जो देश अपना इतिहास भूल जाते हैं, उनका शीघ्र ही अस्तित्व मिट जाना तय होता है।’’

'लड़ाइयां सदैव दुख-दर्द को जन्म देती हैं'

यह संगोष्ठी बस कुछ चुनिंदा अतिथियों के लिए खुली थी। भागवत ने कहा कि भारत तो 1947 में ही स्वाधीन हो गया लेकिन लोगों ने अपना ‘स्व’ समझने में देर कर दी। उन्होंने कहा कि बी आर आंबेडकर ने सही कहा था कि सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक स्वतंत्रता समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘लड़ाइयां सदैव दुख-दर्द को जन्म देती हैं। महाभारत उसका एक उदाहरण है। गांधीजी ने सही ही कहा था कि दुनिया में हरेक के लिए पर्याप्त संसाधन हैं लेकिन हम लालच की वजह से मुश्किलों में फंस जाते हैं।’’

नये विचारों को आज व्यवस्था में जगह मिल रही है

उन्होंने कहा, ‘‘हमें स्वामी विवेकानंद और गांधीजी जैसे विद्वजनों द्वारा लिखी गयी पुस्तकें पढ़ने तथा उसके बाद धर्म को प्रोत्साहित करने की कोशिश करने की जरूरत है। सरकार में भी हम ऐसा बदलाव देख रहे हैं। नये विचारों को आज व्यवस्था में जगह मिल रही है।’’ इस अवसर पर उन्होंने एक मोबाइल अप्लिकेशन की शुरुआत की एवं भारतीय विचार मंच की कुछ पुस्तकों का विमोचन किया।

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