Friday, November 22, 2024
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RSS नेता का बड़ा बयान, कहा- अब बन रहा है देश के मूल्यों से मेल खाता सही ‘नैरेटिव’

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि भारत में आज एक विमर्श बन रहा है, एक सही विमर्श, जो लंबे समय से चले आ रहे विमर्श के विपरीत है।

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published on: December 02, 2023 12:44 IST
Dattatreya Hosabale, Dattatreya Hosabale RSS- India TV Hindi
Image Source : PTI FILE राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले।

बेंगलुरु: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा है कि ‘राष्ट्र धर्म’ अखबारों का कर्तव्य है और आज देश में एक सही विमर्श या नैरेटिव तैयार हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह नैरेटिव भारत के वास्तविक मूल्यों, संस्कृति तथा इतिहास से मेल खाता है। उन्होंने कहा कि तीन-चार पीढ़ियां इस मिट्टी के सच्चे विचारों से दूर रहीं लेकिन अब देश में एक ऐसा विमर्श बन रहा है जो लंबे समय से चले आ रहे विमर्श के विपरीत है। होसबाले शुक्रवार को बेंगलुरु में साप्ताहिक कन्नड़ अखबार ‘विक्रम’ के डायमंड जुबली सेलीब्रेशन के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

‘सच्चे विचारों से दूर रहीं 3-4 पीढ़ियां’

RSS नेता ने कहा, ‘भारत में आज एक विमर्श बन रहा है, एक सही विमर्श, जो लंबे समय से चले आ रहे विमर्श के विपरीत है। लंबे समय से भारत, हिंदू और यहां की संस्कृति के बारे में देश और दुनिया में एक विकृत विमर्श रचा गया। पाठ्यपुस्तकों, मीडिया, सार्वजनिक प्रवचन, अंतरराष्ट्रीय मंचों, थिंक-टैंक और सिनेमा में इस भूमि के इतिहास और संस्कृति के बारे में भ्रम उत्पन्न किया गया।’ उन्होंने कहा कि ऐसा विमर्श बनाया गया जो भारत के अनुरूप नहीं है और उसके 'धर्म', राष्ट्रवाद, सामाजिक परंपराओं का पूरक नहीं है तथा यह कुछ ऐसा रहा जो विभाजनकारी है और नफरत फैलाता है, जिससे लोगों में भ्रम पैदा हुआ और ‘3-4 पीढ़ियां इस मिट्टी के सच्चे विचारों से दूर रहीं।’

अखबारों पर भी बोले संघ के नेता

होसबाले ने कहा कि उस समय ऐसे लोग थे जिन्होंने इस भूमि और इसकी संस्कृति के मूल विचार को याद दिलाने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा कि उन लोगों को मुख्यधारा के विचारक के रूप में स्वीकार नहीं किया गया और उनके विचारों को गलत कहकर खारिज कर दिया गया। उन्होंने कहा,‘इस मिट्टी की वास्तविक संस्कृति और इतिहास तथा दुनिया और मानवता की भलाई को बढ़ावा देने के विचारों को आज की जरूरतों के हिसाब से सही ढंग से व्यक्त करने की जरूरत है।’ होसबाले ने कहा कि अखबारों पर विमर्शों के टकराव के बीच आज की जरूरतों के अनुसार भारत के सच्चे विचारों को सामने लाने की जिम्मेदारी है तथा ‘राष्ट्र धर्म’ अखबारों का कर्तव्य है। (भाषा)

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