Highlights
- 29 जनवरी को 'बीटिंग रिट्रीट' सेरेमनी में बजाई जाने वाली धुनों में भी कई बदलाव किए गए हैं
- खास मौके पर बजाई जाने वाली 'अबाइड विद मी' धुन भी इस साल सुनाई नहीं देगी
- 'बीटिंग रिट्रीट' सेरेमनी में शामिल धुनों में बदलाव कोई पहली बार नहीं किए जा रहे हैं
गणतंत्र दिवस समारोह को लेकर इस बार काफी बदलाव किए जा रहे हैं। इस साल गणतंत्र दिवस समारोह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती यानी 23 जनवरी से शुरू हो रहा है। इसके अलावा इस बार कार्यक्रमों में भी कई बदलाव किए गए हैं। 29 जनवरी को 'बीटिंग रिट्रीट' सेरेमनी में बजाई जाने वाली धुनों में भी बदलाव हुए हैं। खास मौके पर बजाई जाने वाली 'अबाइड विद मी' धुन भी इस साल सुनाई नहीं देगी।
इस धुन को महात्मा गांधी की सबसे पसंदीदा धुन कहा जाता था। कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है और राष्ट्रपिता की विरासत को मिटाने तक का आरोप लगाया है। सरकारी सूत्रों ने इस पर सफाई देते हुए कहा, 'बीटिंग रिट्रीट' सेरेमनी में शामिल धुनों में बदलाव कोई पहली बार नहीं किए जा रहे हैं। पहले हमें ये समझने की जरूरत है कि ये कोई मिलिट्री सेरेमनी नहीं है जो कि आमतौर पर आर्मी डे, नेवी डे या एयरफोर्स डे पर होती है। ये भारत की संस्कृति को दर्शाने वाली सेरेमनी है, जिसमें भारत की संस्कृति की झलक नज़र आती है।
बकौल सरकारी सूत्र, समय के साथ पहले भी कई बदलाव किए गए हैं। उदाहरण के रूप में साल 2012 में हुआ बदलाव भी शामिल है, जब पहली बार शहनाई को 'बीटिंग रिट्रीट' सेरेमनी में शामिल किया गया था। जनवरी 2014 में 'रघुपति राघव राजा राम' और 'जहां डाल डाल पर सोने की चिढ़िया' गीतों की धुन बजाई गई थी। यहां तक कि यूके की बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में भी साल 2001 में बदलाव किया गया था जब 'स्टार वॉर' फिल्म के थीम म्यूजिक को इस समारोह में जगह दी गई थी। जिन्होंने हमें उपनिवेश बनाया, जब वो समय के साथ बदलाव कर रहे हैं तो लुटियंस दिल्ली के चुनिंदा गुलाम मानसिकता वाले लोगों को इससे क्या परेशानी हो रही है, वो भी तब जब भारत आगे बढ़ने की तरफ देख रहा है।
पहले भी हुए हैं बदलाव
याद रहे, 2012 में 7 विदेशी धुनों को बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में स्थान दिया गया था, जबकि 2013 में ये घटकर 5 रह गई थीं। यानी एक साल के अंदर 2 विदेशी धुनों को हटा दिया गया था। धुनों को शामिल करना और हटाना एक प्रक्रिया है जो बिल्कुल भी नई नहीं है। इससे पहले भी कई प्रकार के बदलाव हो चुके हैं। उदाहरण के रूप में 2011 में 'द हाई रोड टू लिंटन' की धुन इस विशेष समारोह में बजाई गई थी, लेकिन 2013 में उसे हटा दिया गया था। ये एक साधारण सी बात है कि अगर अंग्रेजी सरकार के जवान इस धुनों पर गर्व महसूस करते थे तो ये भारतीयों पर जबरन क्यों थोपी जा रही है।
अबाइड विद मी क्यों हटाई गई?
'ऐ मेरे वतन के लोगों' धुन से भारतीयों को ज्यादा गर्व महसूस होगा क्योंकि ये हमारे देश के जवानों के बलिदानों को दर्शाता है। ये 'अबाइड विद मी' के मुकाबले हमारे देश के जवानों के बलिदान को याद करने के लिए ज्यादा उपयुक्त है। ये गीत सभी भारतीयों में देशभक्ति की एक मजबूत भावना पैदा करता है। इसलिए इस साल किए गए बदलाव को भारतीयों को ध्यान में रखते हुए किया गया है।