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Republic Day 2024: क्या हैं आपके मौलिक कर्तव्य, न मानने पर कौन सा दंड मिलेगा? यहां जान लें

भारत के संविधान में मौलिक कर्तव्यों को स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों द्वारा 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 में जोड़ा गया था। मौलिक कर्तव्यों को शामिल करने का उद्देश्य नागरिकों के गिल में देश-हित की भावना को जागृत करना है।

Written By: Subhash Kumar @ImSubhashojha
Updated on: January 26, 2024 8:33 IST
अपने मौलिक कर्तव्यों को जानें। - India TV Hindi
Image Source : PTI अपने मौलिक कर्तव्यों को जानें।

26 जनवरी 2024 को भारत अपना 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। आज के ही दिन साल 1950 में हमारे देश का संविधान लागू हुआ था। देश के पहले राष्‍ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ ध्वजारोहण किया और भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया। किया था। भारत एक लोकतांत्रिक देश है और हमारा का संविधान अपने नागरिकों को हर प्रकार से आजादी और अधिकार देता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश के संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों के साथ ही मौलिक कर्तव्य निर्धारित किए गए हैं। इन मौलिक अधिकारों का पालन न करने पर आपको सजा भी हो सकती है। आइए जानते हैं क्या है ये मौलिक अधिकार और इन्हें न मानने पर दंड का प्रावधान।

जानें मौलिक कर्तव्यों का इतिहास

भारत के संविधान में मौलिक कर्तव्यों का विचार रूस के संविधान (तत्कालीन सोवियत संघ) से प्रेरित है। मौलिक कर्तव्यों को स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों द्वारा 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 में जोड़ा गया था। मूल रूप से मौलिक कर्त्तव्यों की संख्या 10 थी, बाद में 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 के माध्यम से एक और मौलिक कर्तव्य जोड़ा गया। मौलिक कर्तव्य संविधान के अनुच्छेद 51-ए (भाग- IV-ए) में सूचीबद्ध हैं।

ये रही मौलिक कर्तव्यों की लिस्ट-: 

  • संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज एवं राष्ट्रीय गान का आदर करें।
  • स्वतंत्रता के लिये राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोये रखें और उनका पालन करें।
  • भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें तथा उसे अक्षुण्ण रखें।
  • देश की रक्षा करें और आह्वान किये जाने पर राष्ट्र की सेवा करें।
  • भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा व प्रदेश या वर्ग आधारित सभी प्रकार के भेदभाव से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हैं।
  • हमारी सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें।
  • प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्यजीव आते हैं, की रक्षा और संवर्द्धन करें तथा प्राणीमात्र के लिये दया भाव रखें।
  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें।
  • सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहें।
  • व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत् प्रयास करें जिससे राष्ट्र प्रगति की और निरंतर बढ़ते हुए उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को प्राप्त किया जा सके।
  • छह से चौदह वर्ष की आयु के बीच के अपने बच्चे बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करना (इसे 2002 द्वारा जोड़ा गया)।

क्या हैं सजा के प्रावधान?

भारत के संविधान में मौलिक कर्तव्यों को शामिल करने का उद्देश्य नागरिकों के गिल में देश-हित की भावना को जागृत करना है। इन कर्तव्यों का पालन न करने पर सीधे तौर पर किसी दंड का प्रावझान नहीं किया गया है। नागरिकों से ये अपेक्षित है कि वे कर्तव्यों का पालन करें। हालांकि, कई मौलिक कर्तव्य विशेष कानून से संरक्षित भी है। उदाहरण के लिए राष्ट्रध्वज भारतीय झंडा संहिता कानून के तहत संरक्षित है। इसका अपमान करने पर 3 साल की जेल, जुर्माना या फिर दोनों ही हो सकते हैं।

अन्य कर्तव्य भी कानून से संरक्षित

राष्ट्रध्वज के अपमान के अलावा कई अन्य मौलिक कर्तव्य भी कानून द्वारा संरक्षित किए गए हैं। उदाहरण के लिए अगर आप देश की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं तो आप जेल और जुर्माना दोनों से दंडित किए जा सकते हैं। उसी तरह राष्ट्र की अक्षुण्णता बनाए रखने के लिए भा कानून है। देशविरोधी कार्यों के लिए आप पर देशद्रोह का मुकदमा दायर किया जा सकता है।

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