26 जनवरी को भारत ने अपना 75वें गणतंत्र दिवस का समारोह मनाया है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए हैं। इस अवसर पर कर्तव्य पथ पर हो रहे परेड में भाग लेने इमैनुएल मैक्रों राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ पारंपरिक बग्गी में सवार होकर पहुंचे। बता दें कि इस पारंपरिक बग्गी का भी देश में अनोखा इतिहास है। आइए जानते हैं इसके बारे में।
40 साल बाद हुई बग्गी की सवारी
राष्ट्रपति मुर्मू इस साल गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि व उनके फ्रांसीसी समकक्ष इमैनुएल मैक्रों के साथ पारंपरिक बग्गी से कर्तव्य पथ पर पहुंचीं। यह प्रथा 40 वर्षों के अंतराल के बाद इस साल फिर शुरू की गई है। बता दें कि साल 1950 में पहले गणतंत्र दिवस पर देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद इस बग्घी में बैठे थे। ब्रिटिश राज के दौरान वायसराय भी इसका इस्तेमाल करते थे। 1984 तक ये परंपरा चलती रही। हालांकि, पीएम इंदिरा गांधी की हत्या के बाद बग्गी की परंपरा को रोक दिया गया और इसकी जगह कार का इस्तामाल होने लगा।
राष्ट्रपति के अंगरक्षकों ने दी सुरक्षा
जिस बग्गी से राष्ट्रपति मुर्मू और इमैनुएल मैक्रों ने सफर किया उसे राष्ट्रपति के अंगरक्षकों ने सुरक्षा प्रदान की। बता दें कि राष्ट्रपति के अंगरक्षक भारतीय सेना की सबसे वरिष्ठ रेजिमेंट है। यह गणतंत्र दिवस इस विशिष्ट रेजीमेंट के लिए विशेष है क्योंकि ‘अंगरक्षक’ ने 1773 में अपनी स्थापना के बाद से 250 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है।
मैक्रों भव्य कार्यक्रम के गवाह बने
फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में कर्तव्य पथ पर इस भव्य कार्यक्रम के गवाह बने। इसके साथ ही वह विश्व के उन चुनिंदा नेताओं की सूची में शुमार हो गए जिन्होंने पिछले सात दशकों में देश के सबसे बड़े समारोह की शोभा बढ़ाई है। यह छठा मौका था जब कोई फ्रांसीसी नेता गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बना है। (इनपुट: भाषा)
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