![Religious Freedom Report, US Religious Freedom Report- India TV Hindi](https://resize.indiatv.in/resize/newbucket/1200_675/2024/06/randhir-jaiswal-and-antony-blinken-1719585157.webp)
नई दिल्ली: भारत ने अमेरिका के विदेश मंत्रालय द्वारा अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रतता पर जारी रिपोर्ट में की गई आलोचना को सिरे से खारिज कर दिया है। इस रिपोर्ट पर लताड़ लगाते हुए भारत ने कहा कि यह पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण और वोट बैंक की सोच से प्रेरित है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि रिपोर्ट में भारत के खिलाफ पूर्वाग्रहपूर्ण बयान को आगे बढ़ाने के लिए चुनिंदा घटनाओं को शामिल किया गया है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने रिपोर्ट जारी करने के मौके पर कहा था कि भारत में धर्मांतरण विरोधी कानूनों, घृणा भाषण और अल्पसंख्यक समुदायों के घरों और पूजा स्थलों को ध्वस्त करने की घटनाओं में ‘चिंताजनक वृद्धि’ हुई है।
‘यह रिपोर्ट निर्देशात्मक दृष्टिकोण से प्रेरित’
जायसवाल ने कहा,‘अतीत की तरह, यह रिपोर्ट भी अत्यधिक पक्षपातपूर्ण है, इसमें भारत के सामाजिक ताने-बाने की समझ का अभाव है तथा यह स्पष्ट रूप से वोट बैंक की सोच और निर्देशात्मक दृष्टिकोण से प्रेरित है। इसलिए हम इसे खारिज करते हैं। यह प्रक्रिया अपने आप में आरोप-प्रत्यारोप, गलतबयानी, तथ्यों के चयनात्मक उपयोग, पक्षपातपूर्ण स्रोतों पर निर्भरता और मुद्दों को एकतरफा तरीके से पेश करने का मिश्रण है। इसने पूर्वाग्रह आधारित विचार को आगे बढ़ाने के लिए चुनिंदा घटनाओं को चुना है। कुछ मामलों में, रिपोर्ट में कानूनों और नियमों की वैधता पर ही सवाल उठाए गए हैं।’ जायसवाल ने कहा कि ऐसा लगता है कि रिपोर्ट में भारतीय अदालतों द्वारा दिए गए कुछ फैसलों की ईमानदारी को भी चुनौती दी गई है।
रिपोर्ट में अपनी सीमा लांघ गया अमेरिका?
बता दें कि अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर विदेश विभाग की वार्षिक रिपोर्ट जारी करने के मौके पर बुधवार को कहा था कि दुनियाभर में लोग धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए काफी जद्दोजहद कर रहे हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों ने 2023 में भारत के अपने समकक्षों के साथ धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दों के बारे में लगातार चिंताएं व्यक्त कीं। इस वर्ष की रिपोर्ट में अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि भारत में ईसाइयों और मुस्लिमों को जबरन धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाने वाले कानूनों के तहत गिरफ्तार किया गया। रिपोर्ट में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को झूठे आरोपो में जेल में डालने की बात भी कही गई है। (भाषा)