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Jaitley Memorial Lecture: बिना समावेश के रियल डेवलपमेंट नहीं है संभव: प्रधानमंत्री मोदी

Jaitley Memorial Lecture: सरकार के मुखिया के तौर पर 20 वर्षों के उनके अनुभव का सार यही है, बिना समावेश के वास्तविक विकास संभव ही नहीं है। और बिना विकास के समावेश का लक्ष्य भी पूरा नहीं किया जा सकता।

Reported By : PTI Edited By : Shailendra Tiwari Published on: July 08, 2022 21:19 IST
PM Narendra Modi (representational Image)- India TV Hindi
Image Source : PTI PM Narendra Modi (representational Image)

Highlights

  • अरुण जेटली स्मृति व्याख्यान में शामिल हुए पीएम
  • "सरकारी नीतियां जनता की जरुरतों और आकांक्षाओं पर है आधारित"
  • साउथ अफ्रीका,ऑस्ट्रेलिया,सिंगापुर और न्यूजीलैंड के आबादी से ज्यादा दिए गए मुफ्त गैस कनेक्शन

Jaitley Memorial Lecture: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि बिना समावेश के वास्तविक विकास संभव ही नहीं है और बिना विकास के समावेश का लक्ष्य भी पूरा नहीं किया जा सकता है। भाजपा के दिवंगत नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली की याद में आयोजित प्रथम अरुण जेटली स्मृति व्याख्यान को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि वर्तमान सरकार की नीतियां जनता की जरुरतों और उनकी आकांक्षाओं पर आधारित होती हैं न कि किसी प्रकार की लोकलुभावन भावनाओं के दबाव में।

"25 सालों का तैयार हो रहा खाका"

मोदी ने कहा कि पहले भारत में बड़े सुधार तभी हुए जब पहले की सरकारों के पास कोई और रास्ता नहीं बचता था लेकिन उनकी सरकार सुधारों को आवश्यक बुराई नहीं बल्कि कामयाबी की पसंद मानती है, जिसमें राष्ट्रहित और जनहित समाहित है। और आज का भारत बाध्य होकर सुधार के कदम उठाने की बजाय दृढ़ विश्वास से सुधार के कदम उठा रहा है और आने वाले 25 सालों का खाका तैयार कर रहा है। 

"बिना विकास के समावेश का लक्ष्य भी पूरा नहीं किया जा सकता"

प्रधानमंत्री ने कहा कि "हमारी नीति निर्माण जनता की नब्ज पर आधारित है। हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को सुनते हैं। उनकी आवश्यकता और उनकी आकांक्षा को समझते हैं। इसलिए हमने नीति को लोकलुभावन भावनाओं के दबाव में नहीं आने दिया।"  सरकार के मुखिया के तौर पर 20 वर्षों के उनके अनुभव का सार यही है, बिना समावेश के वास्तविक विकास संभव ही नहीं है। और बिना विकास के समावेश का लक्ष्य भी पूरा नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि इसलिए उनकी सरकार ने समावेशी विकास का रास्ता अपनाया और सबके समावेश का प्रयास किया। पिछले 8 वर्षों में भारत ने समावेशी विकास के लिए जिस गति के साथ काम किया है और जिस स्तर पर काम किया है, वैसा उदाहरण दुनिया में कहीं भी नहीं मिलता। 

7-8 साल में ही पहले के मुकाबले 4 गुना ज्यादा बन चुके मेडिकल कॉलेज

उन्होंने 9 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन दिए जाने का हवाला देते हुए कहा कि यह संख्या दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, न्यूजीलैंड की आबादी से भी ज्यादा है। इसी प्रकार उन्होंने 10 करोड़ से ज्यादा शौचालय बनाए जाने, 3 करोड़ मुफ्त आवास देने और 45 करोड़ से ज्यादा जनधन खाते खोले जाने की सरकार की उपलब्धियों का जिक्र भी किया और कहा कि यह संख्या कई देशों की आबादी से अधिक है। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि 2014 से पहले के 10 सालों में करीब 50 मेडिकल कॉलेज बना करते थे जबकि भारत में पिछले 7-8 साल में ही पहले के मुकाबले 4 गुना से ज्यादा यानी 209 नए मेडिकल कॉलेज बनाए जा चुके हैं। और बीते 7-8 साल में भारत में स्नातक मेडिकल सीटों में 75 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। भारत में अब मेडिकल सीटों की वार्षिक संख्या बढ़कर लगभग दोगुनी हो चुकी है।

इस व्याख्यान में सिंगापुर की सरकार के वरिष्ठ मंत्री थरमन षणमुगरत्नम भी "समावेशिता के माध्यम से विकास, विकास के माध्यम से समावेशिता" पर भाषण देंगे। इस कार्यक्रम का आयोजन वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग की ओर से अरुण जेटली के राष्ट्र के लिए अमूल्य योगदान को मान्यता देने के क्रम में आयोजित किया गया है। व्याख्यान के बाद एक पैनल चर्चा का आयोजन किया गया है, जिसमें आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के महासचिव माथियास कॉर्मन और कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अरविंद पनगढ़िया शामिल रहे। संबोधन के बाद पीएम ने 3 दिवसीय कार्यक्रम कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन (KEC) में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों के साथ भी बातचीत की। केईसी का आयोजन वित्त मंत्रालय के सहयोग से आर्थिक विकास संस्थान द्वारा किया गया है।

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