दिवंगत बिजनेसमैन रतन टाटा को गुजरे करीबन 1 माह होने वाले हैं। अब उनकी वसीयत से जुड़ी एक खबर सामने आ रही है, जिसमें उन्होंने अपनी वसीयत अपने पालतू डॉग, स्टाफ, परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों को दान कर दिया है।भारत में ऐसी खबरें काफी दुलर्भ हैं, जबकि ये पश्चिमी देशों में आम बात है। बता दें कि रतन टाटा की कुल संपत्ति का अनुमान 10,000 करोड़ रुपये से अधिक लगाया जा रहा है, रतन टाटा ने अपनी संपत्ति अपने फाउंडेशन, भाई जिमी टाटा, सौतेली बहनें शिरीन और डीना जीजीभॉय, घरेलू कर्मचारियों और अन्य लोगों को भी दान कर दिया है।
डॉग टिटो की देखभाल के लिए चुना
TOI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रतन टाटा ने अपनी वसीयत में साफ तौर पर कहा है कि उनके पालतू डॉग टिटो की असीमित देखभाल उनके लंबे समय के रसोइए राजन शॉ करेंगे। बता दें कि टाटा ने अपने पिछले डॉग की मौत के बाद 5 या 6 साल पहले टिटो को गोद लिया था। वसीयत में उनके बटलर सुब्बैया के लिए भी कुछ धन छोड़ा गया है, इनके साथ टाटा का तीन दशक पुराना रिश्ता था। रतन टाटा विदेश यात्रा के दौरान उनके लिए डिज़ाइनर कपड़े खरीदते थे।
वसीयत में शांतनु नायडू का नाम भी
इसके अलावा, टाटा ने अपने एग्जीक्यूटिव असिस्टेंट शांतनु नायडू का नाम भी वसीयत में शामिल किया है। उन्होंने नायडू के कंपनियनशिप वेंचर गुडफेलो में अपनी हिस्सेदारी छोड़ दी और नायडू के विदेश में पढ़ाई का खर्च भी माफ कर दिया है।
संपत्ति में क्या-क्या?
रतन टाटा की संपत्तियों में अलीबाग में 2,000 वर्ग फुट का समुद्र तट बंगला, मुंबई में जुहू तारा रोड पर 2 मंजिला घर, 350 करोड़ रुपये से अधिक की एफडी और 165 अरब डॉलर के टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में 0.83% हिस्सेदारी शामिल है, जिसे रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन (आरटीईएफ) को ट्रांसफर किया जाएगा। टाटा समूह की चैरिटेबल ट्रस्टों को शेयर देने की परंपरा को ध्यान में रखते हुए, उनकी हिस्सेदारी रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन (RTEF) को ट्रांसफर की जाएगी। सूत्रों की मानें तो टाटा संस के प्रमुख एन चंद्रशेखरन RTEF की अध्यक्षता कर सकते हैं।
हेलकाई हाउस में रहते थे टाटा
कोलाबा में हेलकाई हाउस का स्वामित्व ईवार्ट इन्वेस्टमेंट्स के पास है, यहीं रतन टाटा अपने निधन तक रहते थे, ईवार्ट इन्वेस्टमेंट्स टाटा संस की 100% सहायक कंपनी है। इसका भविष्य ईवार्ट द्वारा तय किया जाएगा। रतन टाटा ने खुद हेलकाई हाउस और अलीबाग बंगले दोनों को डिज़ाइन किया था, हालाँकि अलीबाग संपत्ति का भाग्य अभी भी काल के गर्भ में है। वहीं, जुहू स्थित यह घर, जो समुद्र तट के सामने है और एक चौथाई एकड़ के भूखंड पर स्थित है, रतन टाटा और उनके परिवार - भाई जिमी, सौतेले भाई नोएल टाटा और सौतेली माँ सिमोन टाटा को उनके पिता नवल टाटा की मृत्यु के बाद विरासत में मिला था। सूत्रों का कहना है कि यह दो दशकों से अधिक समय से बंद है, और अब इस संपत्ति को बेचने का प्लान है।
दी जाएगी आरटीईएफ को संपत्ति
टाटा संस के शेयरों के अलावा, टाटा मोटर्स सहित टाटा समूह की अन्य कंपनियों में रतन टाटा की हिस्सेदारी भी आरटीईएफ को ट्रांसफर की जाएगी। 2022 में स्थापित, आरटीईएफ एक सेक्शन 8 कंपनी है जो गैर-लाभकारी कारणों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। इसने 2023 के आईपीओ से ठीक पहले टाटा मोटर्स से 147 करोड़ रुपये में टाटा टेक्नोलॉजीज के शेयर खरीदकर अपना पहला इक्विटी निवेश किया और इसके बाद टाटा डिजिटल में मामूली हिस्सेदारी हासिल की, जो टाटा न्यू ऐप का संचालन करती है। आरएनटी एसोसिएट्स और आरएनटी एडवाइजर्स के माध्यम से स्टार्टअप्स में उनके निवेश को खत्म कर दिया जाएगा, जिससे मिली राशि आरटीईएफ को दी जाएगी।
20-30 कारों का काफिला
रतन टाटा के पास 20-30 कारों का बड़ा काफिला है, जिसमें कई लग्जरी मॉडल भी शामिल हैं। यह काफिला फिलहाल हेलकाई निवास और कोलाबा में ताज वेलिंगटन म्यूज़ सर्विस अपार्टमेंट में रखा हुआ है। इनपर भी अभी विचार किया जा रहा है।
पुरस्कार भी दिए जाएंगे दान
इसके अलावा, रतन टाटा के कई पुरस्कार और सम्मान टाटा सेंट्रल आर्काइव्स को दान कर दिए जाएंगे, ताकि उनकी विरासत भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रहे। 100 बिलियन डॉलर से ज़्यादा के टाटा समूह का नेतृत्व करने के बावजूद, रतन टाटा समूह की कंपनियों में अपनी सीमित निजी हिस्सेदारी के कारण अमीरों की लिस्ट में नहीं आए। उनकी वसीयत को बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा प्रमाणित किए जाने की उम्मीद है, इस प्रक्रिया में अभी कई महीने लग सकता है।
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