बेंगलुरू में तीन और पाकिस्तानी मूल के नागरिक पकड़े गए हैं। ये तीनों अपनी असली पहचान छिपाकर रह रहे थे। इन तीनों की गिरफ्तारी के साथ ही चेन्नई और बेंगलुरु में गिरफ्तार हुए पाकिस्तानी नागरिकों की कुल संख्या 11 हो गई है। हाल ही में बेंगलुरु ग्रामीण पुलिस ने जिगनी इलाके में शंकर शर्मा के नाम से रह रहे पाकिस्तानी नागरिक राशिद अली सिद्दीक सहित 4 लोगों को गिरफ्तार किया था। इनसे की गई पूछताछ के आधार पर पुलिस ने पीणिया इलाके से तीन संदिग्ध पाकिस्तानी नागरिकों को गिरफ्तार किया है। ये लोग 8 साल पहले अवैध तरीके से भारत में घुसपैठ करके आए थे।
जिगनी पुलिस ने गुरुवार दोपहर को पीणिया इलाके में उनके घर की तलाशी ली। जहां से तारिक सईद, उसकी पत्नी अनिला सईद और 17 साल की बेटी को अरेस्ट किया गया। इन तीनों की मेडिकल जांच करवाई गई, कोर्ट में पेश किया गया और कोर्ट ने पुलिस को जांच के लिए इनकी 10 दिन की कस्टडी दे दी।
कल्ट सुफिज्म का प्रचार कर रहे आरोपी
राज्य पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां इस बात की जांच कर रही है कि और कितने लोग अपनी पहचान बदलकर यहां रह रहे हैं। पहले गिरफ्तार हुए राशिद अली सिद्दीक की तरह तारिक सईद के बारे में भी ये बताया गया है कि वो 8 साल पहले परिवार के साथ अवैध तरीके से भारत में दाखिल हुआ। पहले कोच्चि में और बाद में बेंगलुरु में रहकर वो मेहदी फाउंडेशन के यू ट्यूब चैनल के जरिये कल्ट सुफिज्म का प्रचार कर रहा था।
असली पहचान छिपाई, बन गए हिंदू
पुलिस सूत्रों के मुताबिक बेंगलुरु में तारिक सईद हिन्दू बनकर सनी चौहान के नाम से रह रहा था जबकि उसकी पत्नी अनिला सईद दीपाली चौहान के नाम पर रह रही थी, उनकी 17 साल की बेटी भी हिन्दू बनकर बेंगलुरु में पढ़ाई कर रही है। पुलिस और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों की अब तक की पूछताछ में ये बात पुख्ता हुई है कि मेहदी फाउंडेशन जिसके लिए आरोपी धार्मिक प्रचार का काम कर रहे थे, उन्हीं के लोगों ने भारत में आरोपियों को घर दिलाया और आर्थिक तौर पर हर तरीके से मदद की। अब एजेंसियां इस बात की जांच कर रही है कि पाकिस्तानी नागरिकों को अवैध तरीके से भारत लाने में मेहदी फाउंडेशन की कोई भूमिका तो नहीं है?