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बेटी की शादी के लिए जेल से बाहर आएंगे कुलदीप सेंगर, रेप केस में मिली है उम्रकैद की सजा

सेंगर ने बेटी की शादी में शामिल होने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की थी। सेंगर के वकील ने हाई कोर्ट को ये भी बताया था कि बेटी की शादी के लिए 18 जनवरी से शुरू हो रहे कार्यक्रम 8 फरवरी तक चलने वाला है।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : Jan 16, 2023 13:36 IST, Updated : Jan 16, 2023 13:36 IST
कुलदीप सिंह सेंगर
Image Source : PTI कुलदीप सिंह सेंगर

उन्नाव दुष्कर्म मामले में सजा काट रहे पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाई कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को जमानत दे दी है। सेंगर को 2017 में उन्नाव में एक नाबालिग युवती से रेप के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की पीठ ने यह कहते हुए जमानत दे दी कि सेंगर की बेटी की शादी के कार्यक्रम कुछ दिनों में पूरा हो जाएंगे।

कुलदीप सिंह सेंगर ने बेटी की शादी में शामिल होने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की थी। सेंगर के वकील ने कोर्ट से कहा कि शादी की तारीखें पुजारी की ओर से तय कर दी गई हैं। सेंगर की ओर से दाखिज अर्जी पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने अंतरिम जमानत मंजूर कर ली।

कोर्ट से 2 महीने की मांगी थी जमानत

कुलदीप सिंह सेंगर के वकील ने हाई कोर्ट को ये भी बताया था कि बेटी की शादी के लिए 18 जनवरी से शुरू हो रहे कार्यक्रम 8 फरवरी तक चलने वाला है। सेंगर ने अपनी बेटी की शादी को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट से दो महीने की जमानत मांगी थी। हाई कोर्ट ने 22 दिसंबर, 2022 को नोटिस जारी किया और सीबीआई को सेंगर की जमानत याचिका के तथ्यों को सत्यापित करने और रिकॉर्ड पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।

रेप के मामले में ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ कुलदीप सिंह सेंगर की याचिका हाई कोर्ट में लंबित है, जिसमें उन्होंने ट्रायल कोर्ट के 16 दिसंबर, 2019 के फैसले को रद्द करने जैसी राहत मांगी, जिसमें उन्हें दोषी ठहराया गया था और 20 दिसंबर, 2019 के आदेश में उन्हें बाकी जीवन तक कारावास की सजा सुनाई गई थी।

ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को आईपीसी की धारा 376 (2) सहित विभिन्न प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया था और उन पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। 5 अगस्त, 2019 को सुनवाई शुरू हुई, जब 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने मामले से जुड़े सभी पांच मामलों को उन्नाव से दिल्ली ट्रांसफर करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने रोजाना आधार पर सुनवाई करने और इसे 45 दिनों के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया था।

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