Highlights
- न्यूड फोटोशूट कराकर घिरे रणवीर सिंह
- एक्टर ने पेपर मैगजीन के लिए कराया शूट
- सोशल मीडिया पर लोगों ने किया ट्रोल
Ranveer Singh Photoshoot: बॉलीवुड एक्टर रणवीर सिंह अपने न्यूड फोटोशूट की वजह से विवादों में घिर गए हैं। उनके खिलाफ पुलिस स्टेशन में शिकायत तो दर्ज हुई ही हैं, साथ ही सोशल मीडिया पर भी खूब ट्रोल किया गया है। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर का एक वीडियो खूब सुर्खियों में रहा, जिसमें रणवीर के शूट को 'मानसिक कचरे' से जोड़ा गया और बकायदा लोगों ने कपड़े दान किए। ट्विटर और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म्स पर तो मीम्स की बाढ़ आ गई। लोग इन तस्वीरों को लेकर जितनी भड़ास निकाल सकते थे, उतनी उन्होंने निकाली। आपको ये बात जानकर भी हैरानी होगी कि कभी उर्फी जावेद या पूनम पांडे जैसी मॉडल्स की तस्वीरों को बड़े चांव से देखने वाले पुरुषों ने ही रणवीर के बिना कपड़ों की तस्वीरों को अश्लीलता, गंदगी और न जाने किन-किन नामों से पुकारा।
इसमें महिलाएं भी पीछे नहीं रहीं, उन्होंने भी ट्रेलिंग में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। ऐसे में कुछ ऐसे लोग भी सोशल मीडिया पर दिखे, जिन्होंने कहा कि जब एक्ट्रेस इस तरह के शूट कराती हैं या कम कपड़े पहनती हैं, तो उनके खिलाफ इतना आक्रोश देखने को क्यों नहीं मिलता? उनकी तस्वीरों को बोल्डनेस से क्यों जोड़ दिया जाता है? बहरहाल सभी चर्चाओं से परे आपको बता दें, रणवीर ने ये न्यूड फोटोशूट अमेरिका की न्यूयॉर्क स्थित पेपर मैगजीन के लिए करवाया है। रनवीर ने जैसे ही अपनी तस्वीरें शेयर कीं, तो मानिए भूचाल सा आ गया। हर तरफ उनकी चर्चा हुई और इसी बीच मुंबई के पुलिस स्टेशन में एफआईआर भी दर्ज हो गई। तो अब ऐसे में हम जान लेते हैं कि क्या रणवीर सिंह ने कानून की धाराओं का उल्लंघन किया है?
आखिर क्यों दर्ज हुईं FIR?
एक वकील और एक एनजीओ चलाने वाले शख्स ने रणवीर के खिलाफ अलग-अलग शिकायत दर्ज कराई हैं। 50 साल के ललित टेकचंदानी की शिकायत पर चेंबुर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। टेकचंदानी ने पुलिस से कहा कि वह एक कॉन्ट्रैक्टर हैं और श्याम मंगरम फाउंडेशन चलाते हैं। जो आत्महत्या करके जान गंवाने वाले किसानों की विधवा पत्नियों और बच्चों के साथ काम करती है। टेंकचंदानी ने पुलिस से कहा कि जब उन्होंने रणवीर की तस्वीरों में से एक को जूम करके देखा, तो उन्हें अहसास हुआ कि एक्टर के निजी अंग दिखाई दे रहे हैं।
शिकायतकर्ता के अनुसार, आगे की जांच करने पर उन्हें पता चला कि रणवीर ने ये फोटोशूट पेपर मैगजीन के लिए करवाया है और इससे उन्होंने बहुत पैसा कमाया होगा। उन्होंने कहा कि इससे इंडस्ट्री (बॉलीवुड) में आने के लिए संघर्ष कर रहे युवा प्रभावित होंगे, वह पैसा कमाने और मशहूर होने के लिए ऐसे ही तरीके अपनाएंगे। इससे पहले पेपर मैगजीन ने नवंबर 2014 में एक्ट्रेस किम कार्दशियन का न्यूड फोटोशूट किया था। वहीं रणवीर सिंह के फोटोशूट को दिवंगत एक्टर बर्ट रेनॉल्ड्स के लिए श्रद्धांजलि देना बताया जा रहा है, जिन्होंने 1972 में कॉस्मोपॉलिटन मैगजीन के लिए न्यूड फोटोशूट कराया था।
पुलिस ने कौन सी धाराएं लगाई हैं?
पुलिस ने रणवीर सिंह पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 292 (अश्लील किताबों आदि की बिक्री), 293 (युवाओं को अश्लील सामग्री की बिक्री) और 509 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से शब्द कहना, इशारा करना या किसी कृत्य को अंजाम देना) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 ए के तहत मामला दर्ज किया है। धारा 292 और 293 दोनों ही औपनिवेशिक युग के प्रावधान हैं। जो अश्लील प्रकाशन अधिनियम 1925 के तहत आते हैं। अब इन सभी कानूनों के बारे में विस्तार से बात कर लेते हैं।
आईपीसी की धारा 292- ये कानून अश्लील सामग्री की बिक्री, उसके प्रदर्शन और सर्कुलेशन पर रोक लगाता है। इसका उल्लंघन करने पर सजा का प्रावधान है। इसके अनुसार, किसी किताब, पेपर, राइटिंग, ड्राइंग, पैम्फ्लेट, फिगर या कोई भी दूसरी चीज तब अश्लील मानी जाएगी, अगर वह कामुक हो या फिर कामुकता बढ़ाए। इसके अलावा अगर इन चीजों का प्रभाव इस तरह पड़े, जिसे सुनकर, पढ़कर या फिर देखकर लोग भ्रष्ट हो सकते हों, तो उन्हें भी अश्लील सामग्री माना जाएगा। अगर ऐसे मामले में कोई दोषी पाया जाता है, तो उसे 2 साल की कैद और 2000 रुपये जुर्माना भरना होता है। अगर कोई दूसरी बार दोषी पाया जाता है, तो 5 साल कैद और 5000 रुपये तक जुर्माने की सजा होती है।
साल 1969 में धारा 292 में संशोधन किया गया। इसमें "सार्वजनिक भलाई" (विज्ञान आदि के हित में) के रूप में उचित साबित हुई सामग्री या "धार्मिक उद्देश्यों" के तहत मूर्तियां या प्राचीन स्मारक जैसी चीजों को लेकर छूट दी गई है।
आईपीसी की धारा 293- अगर कोई 20 साल से कम उम्र के किसी व्यक्ति को अश्लील सामग्री बेचता, दिखाता या फिर बांटता है, तो इस कानून के तहत उसके खिलाफ मामला दर्ज हो सकता है। पहली बार दोषी पाए जाने पर 3 साल कैद होती है और 2000 रुपये जुर्माना भरना पड़ता है। दूसरी बार अगर कोई दोषी पाया जाता है, तो 7 साल कैद की सजा मिलती है और 5 हजार रुपये जुर्माना भरना होता है।
आईपीसी की धारा 509- अगर कोई शख्स किसी महिला की गरिमा (इज्जत) को ठेस पहुंचाने वाली किसी चीज को दिखाता है या फिर कुछ ऐसा बोलता है या फिर करता है, जिससे महिला की गरिमा का अपमान हो, तो इस कानून के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। इसमें दोषी पाए जाने पर 3 साल जेल की कैद होती है। इसके अलावा जुर्माना भी देना पड़ सकता है।
आईटी एक्ट 67 (ए)- कोई शख्स अगर इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किसी ऐसी सामग्री का प्रकाशन करता है, जो या तो कामुक हो या कामुकता को बढ़ावा देने वाली है, तो उसके खिलाफ इस कानून के तहत मामला दर्ज हो सकता है। इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर 5 साल कैद की सजा होती है और 10 लाख रुपये तक जुर्माना भरना पड़ सकता है। अगर कोई दूसरी बार दोषी पाया जाता है, तो उसे 7 साल कैद की सजा और 10 लाख रुपये तक जुर्माना भरना पड़ सकता है।
अश्लीलता क्या है, ये कैसे पता लगाते हैं कोर्ट?
जानकारी के मुताबिक, साल 2014 तक कोर्ट में जज 'हिक्लिन टेस्ट' के जरिए ये तय करते थे कि कौन सी सामग्री अश्लील है और कौन सी नहीं। टेस्ट का नाम साल 1868 में इंग्लैंड में सामने आए एक मामले के आधार पर पड़ा था। ऐसा कहते हैं कि हिक्लिन टेस्ट में ये देखा जाता है कि क्या कोई अश्लील सामग्री किसी व्यक्ति को अनैतिक रूप से प्रभावित कर रही है। हालांकि बाद में इसका इस्तेमाल इसलिए नहीं किया जाने लगा क्योंकि इसमें उस सामग्री को भी अश्लील मान लिया जाता था, जिसने किन्हीं कमजोर मानसिकता वाले लोगों को ही प्रभावित किया हो। यही इस टेस्ट की सबसे बड़ी कमी भी बताई गई थी।
वहीं अमेरिका में रौथ टेस्ट से अश्लीलता का पता लगाया जाता है। अपने ही देश का एक मामला ले लेते हैं। अवीक सरकार बनाम पश्चिम बंगाल राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हिक्लिन टेस्ट के बजाय रौथ टेस्ट की कसौटी पर मामले को परखा था। मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, 'अश्लीलता के सवाल को उस संदर्भ में देखा जाना चाहिए, जिसमें या तो तस्वीर दिखाई गई हो या फिर ये देखना कि वह क्या मैसेज देना चाहती है।' इस टेस्ट में कहा जाता है कि नग्नता को संवेदनशील लोगों के एक समूह के बजाय तात्कालिक सामाजिक मानकों को ध्यान में रखकर एक सामान्य व्यक्ति के नजरिए से मापा जाना चाहिए।
वहीं रणवीर सिंह को सजा की बात करें, तो उन्हें सजा मिलने की संभावना बहुत कम ही है। इस तरह के मामलों में शिकायत दर्ज होने से शिकायत करने वाले के साथ-साथ सेलेब्रिटी दोनों ही खबरों में छा जाते हैं और उन्हें पब्लिसिटी मिल जाती है। शुरुआती दौर में अदालतों से राहत मिल जाती है और मुकदमे का आखिरी फैसला आने में अच्छा खासा वक्त बीत जाता है। इसी प्रक्रिया को आखिरकार सजा मान लिया जाता है और जिसके खिलाफ शिकायत दर्ज होती है, उसे सामान्यत: सजा नहीं होती है।