Sunday, December 22, 2024
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गोंडवाना की रानी दुर्गावती का है अमिट इतिहास, नहीं मानी मुगल शासक अकबर से हार, 10 प्वाइंट्स में जानें सबकुछ

गोंडवाना की रानी दुर्गावती के पराक्रम और शौर्य के चर्चे खूब थे। उन्होंने आखिरी सांस तक मुगलों से लड़ते-लड़ते अपने प्राणों का बलिदान दिया था। उन्होंने युद्ध के मैदान में कटार घोंपकर अपनी जान दे दी थी।

Written By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : Jun 24, 2023 9:37 IST, Updated : Jun 24, 2023 9:46 IST
रानी दुर्गावती की पुण्यतिथि
Image Source : @INDIAHISTORYPIC रानी दुर्गावती की पुण्यतिथि

गोंडवाना की रानी दुर्गावती का इतिहास अमिट हैं। वो वीर नारी थीं, जिन्होंने मुगल शासक अकबर की सेना की नाक में दम कर दिया था। 24 जून को उनका बलिदान दिवस मनाया जाता है। रानी दुर्गावती ने आखिरी दम तक मुगलों से लड़ते-लड़ते अपने प्राणों का बलिदान दिया था। जब रानी दुर्गावती को लगा कि अब वह युद्ध नहीं जीत सकतीं, घायल हो गई हैं, तो उन्होंने अपनी कटार सीने में घोंपकर जान दे दी।

चंदेली परिवार में जन्मी थीं रानी 

मध्य प्रदेस की वो जमीन आज भी रानी दुर्गावती की यादों को संजोकर रखे हैं, जहां उन्होंने मुगलों के छक्के छुड़ाए थे। आज भी गोंडवाना क्षेत्र में उन्हें उनकी वीरता और अदम्य साहस के अलावा उनके किए कए जनकल्याण कार्यों के लिए याद किया जाता है। रानी दुर्गावती का जन्म उत्तर प्रदेश में एक चंदेली परिवार में हुआ था। उनका जन्म बांदा जिले में कलिंजर के चंदेला राजपूत राजा कीर्तिसिंह चंदेल के घर में इकलौती संतान के रूप में हुआ था। उन्होंने 24 जून 1564 को युद्ध के मैदान में कटार घोंपकर जान दे दी थी। आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर हम रानी दुर्गावती और उनकी शानदार विरासत के बारे में 10 प्वॉइंट्स में सबकुछ बता रहे हैं- 

  1. जिस दिन रानी दुर्गावती का जन्म हुआ था उस दिन दुर्गाष्टमी थी, इसलिए उनका नाम दुर्गावती रखा गया।
  2. अपनी शादी से पहले रानी दुर्गावती ने दलपत शाह की वीरता के बारे में सुना था। फिर उन्होंने दलपत शाह को अपना जीवनसाथी बनाने की कामना की और उन्हें एक गुप्त पत्र लिखा। इस घटना के कुछ ही वक्त बाद शाह ने अपने कुलदेवी मंदिर में उनसे शादी कर ली।
  3. पति के निधन के समय रानी दुर्गावती के पुत्र नारायण की उम्र 5 वर्ष की ही थी, इसलिए उन्होंने खुद ही गढ़मंडला का शासन अपने हाथों में ले लिया।
  4. दीवान ब्योहार अधर सिम्हा और मंत्री मान ठाकुर की मदद से रानी दुर्गावती ने 16 वर्षों तक गोंडवाना साम्राज्य पर सफलतापूर्वक शासन किया।
  5. रानी बचपन से घुड़सवारी, तलवारबाजी, तीरंदाजी जैसे युद्ध कलाओं में अच्छी तरह ट्रेंड थीं और वह अपनी मार्शल क्षमताओं के लिए मशहूर थीं। 
  6. रानी का शासन से अधिक उनके पराक्रम और शौर्य के चर्चे थे। कहा जाता है कि कभी उन्हें कहीं शेर के दिखने की खबर होती थी, वे तुरंत शस्त्र उठाकर चल देती थीं और और जब तक उसे मार नहीं लेती, पानी भी नहीं पीती थीं।
  7. रानी दुर्गावती ने मुगल सम्राट अकबर की सेना से युद्ध किया और पहली लड़ाई में उन्हें अपने राज्य से बाहर खदेड़ दिया।
  8. मुगल सेना के साथ आखिरी लड़ाई के दौरान रानी दुर्गावती ने रात में विरोधियों पर हमला करने का इरादा किया, लेकिन उनके लेफ्टिनेंटों ने इनकार कर दिया। अगले दिन मुगल बड़े पैमाने पर हथियार लेकर आ गए।
  9. जब रानी के मंत्रियों ने मुगल सेना की ताकत का जिक्र किया, तो रानी ने जवाब दिया, "आत्मसम्मान के बिना जीने की तुलना में सम्मान के साथ मरना बेहतर है। मैंने अपने देश की सेवा करते हुए लंबा समय बिताया है और इस वक्त मैं इसे कलंकित नहीं होने दूंगा। लड़ने के अलावा कोई चारा नहीं है।"
  10. मध्य प्रदेश सरकार ने 1983 में जबलपुर विश्वविद्यालय को रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय कर दिया। उनका नाम म्यूजियम, डाक टिकटों और रेलवे से भी जुड़ा है।

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