Highlights
- रामनाथ कोविंद का 14वें राष्ट्रपति के तौर पर कार्यकाल पूरा
- कोविंद ने 25 जुलाई 2017 को ली थी राष्ट्रपति पद की शपथ
- कार्यकाल के दौरान 6 देशों ने दिया सर्वोच्च राजकीय सम्मान
Ram Nath Kovind: जमीनी स्तर के नेता से लेकर देश के शीर्ष पद राष्ट्रपति तक का सफर तय करने वाले रामनाथ कोविंद समाज में समतावाद और समग्रता के पैरोकार रहे हैं। देश के 14वें राष्ट्रपति के तौर पर 25 जुलाई 2017 को शपथ लेने वाले कोविंद पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद रविवार को राष्ट्रपति भवन से विदाई लेंगे। उनके कार्यकाल के दौरान ही कोरोना वायरस महामारी का दौर आया। कोविंद ने जमीनी स्तर से लेकर सुप्रीम कोर्ट और संसद तक काम के अपने वृहद अनुभव से राष्ट्रपति कार्यालय को समृद्ध किया। झारखंड की पूर्व राज्यपाल और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू देश की अगली राष्ट्रपति होंगी।
राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भागीदारी पर जोर
द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति चुनाव में पराजित किया है। मुर्मू आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली देश की पहली महिला राष्ट्रपति हैं। कोविंद सामाजिक सशक्तिकरण के लिए एक उपकरण के रूप में शिक्षा का इस्तेमाल करने के हिमायती रहे हैं। उन्होंने राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की बड़ी भागीदारी का भी सक्रियता से समर्थन किया है और लगातार आह्वान किया कि समाज के कमजोर तबकों, खासकर, दिव्यांग और अनाथों के लिए अधिक मौके बनाए।
दूरदृष्टि और प्रतिबद्धता की झलक
राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद कोविंद के भाषण में देश के विकास के प्रति उनकी दूरदृष्टि और प्रतिबद्धता की झलक मिली थी। तब अपने संबोधन में कोविंद ने अपनी साधारण पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए कहा था कि वह एक छोटे से गांव में मिट्टी के घर में पले-बढ़े और राष्ट्रपति पद तक पहुंचने की उनकी यात्रा एक लंबा सफर है। कोविंद ने तब कहा था कि भारत की कामयाबी की कुंजी उसकी विविधता है।
छह देशों ने दिया सर्वोच्च राजकीय सम्मान
रामनाथ कोविंद ने 25 जुलाई 2017 को कहा था, “हमारी विविधता ही वह मूल है जो हमें इतना विशिष्ट बनाती है। इस भूमि में हम राज्यों और क्षेत्रों, धर्मों, भाषाओं, संस्कृतियों, जीवन शैली और बहुत कुछ का मिश्रण पाते हैं। हम इतने अलग हैं और फिर भी इतने समान और एकजुट हैं।” शीर्ष संवैधानिक पद के लिए चुने जाने के बाद 76 साल के कोविंद ने दूरदर्शिता और विनम्रता से भारत के पहले नागरिक के तौर पर अपने कर्तव्यों का निर्वाह किया। राष्ट्रपति भवन के मुताबिक, उन्होंने जून तक 33 देशों की यात्रा की थी और भारत की वैश्विक पहुंच और प्रभाव को बढ़ाया। इन देशों की यात्रा के दौरान कोविंद ने शांति, प्रगति और सद्भाव का भारत का संदेश दिया। भारत के राष्ट्रपति के रूप में, उन्हें छह देशों - मेडागास्कर, इक्वेटोरियल गिनी, एस्वातीनी, क्रोएशिया, बोलीविया और गिनी गणराज्य से सर्वोच्च राजकीय सम्मान प्राप्त हुए।
एक वकील से देश के राष्ट्रपति तक का सफर
कोविंद ने भारत के सशस्त्र बलों के सुप्रीम कमांडर के तौर पर मई 2018 में लद्दाख के सियाचिन में दुनिया के सबसे ऊंचे रण ‘कुमार पोस्ट’ की ऐतिहासिक यात्रा की थी। उनका जन्म उत्तर प्रदेश में कानपुर जिले के गांव परौंख में सामान्य परिवार में हुआ था। वह अपनी कड़ी मेहनत से वकील बने, सांसद बने और फिर बिहार के राज्यपाल बने। इसके बाद वह राष्ट्रपति बने। उन्होंने 1971 में दिल्ली बार काउंसिल में वकील के तौर पर पंजीकरण कराया था। वह 1977 से 1979 तक दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार के वकील रहे।
वह 1978 में सुप्रीम कोर्ट में ‘एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड’ बने। 1980 से 1993 तक शीर्ष अदालत में केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता रहे। कोविंद 1994 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य बने। वह लगातार दो कार्यकाल के लिए मार्च 2006 तक उच्च सदन के सदस्य रहे। इसके बाद कोविंद को आठ अगस्त 2015 को बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया। वह शीर्ष संवैधानिक पद पर पहुंचने वाले दूसरे दलित हैं। इससे पहले 25 जुलाई 1997 से 25 जुलाई 2002 तक के आर नारायण राष्ट्रपति रह चुके हैं। कोविंद की पत्नी सविता कोविंद हैं और उनका एक बेटा और एक बेटी है।