नई दिल्ली: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने इंडिया टीवी से खास बातचीत की है। उन्होंने कहा कि गर्भगृह में 2 घंटे का कार्यक्रम होगा। प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी शिव मंदिर में पूजा करेंगे। कार्यक्रम के बाद पीएम नरेंद्र मोदी का संबोधन होगा। इस दौरान पीएम मोदी जूते-चप्पल नहीं पहनेंगे।
सभी मूर्तिकारों को बराबर मिलेगा सम्मान: नृपेंद्र मिश्रा
नृपेंद्र ने कहा, 'रामलला की तीनों मूर्तियां ट्रस्ट ने ले ली हैं। नई मूर्ति में सरलता, मर्यादा, आराधना का भाव है। मूर्ति के वर्ण पर काफी चर्चा के बाद निर्णय हुआ। दो श्यामवर्ण और एक मकराना मार्बल पर मूर्ति बनी है। प्रधानमंत्री मोदी की राय और मार्गदर्शन मिलता रहा है।'
2000 करोड़ रुपये के बजट का अनुमान था, 3500 करोड़ मिला दान: नृपेंद्र मिश्रा
उन्होंने कहा, 'मंदिर का पहला नक्शा सिर्फ एक मंजिल का था। प्रधानमंत्री मोदी ने मंदिर को भव्य बनाने की राय दी। प्रधानमंत्री की राय के बाद दूसरा और तीसरा तल बना। मंदिर का निर्माण दैवीय आशीर्वाद से पूरा हुआ। 2000 करोड़ रुपये के बजट का अनुमान लगाया गया था। 5 लाख से ज्यादा गांवों से 3500 करोड़ रुपये दान मिला। मंदिर निर्माण में सरकार का एक पैसा भी नहीं लगाया गया।'
उन्होंने कहा, 'देश का गौरव बढ़ाने वाले हर किसी को निमंत्रण दिया गया है। उत्तर और दक्षिण भारत के मंदिर में कोई भेद नहीं है। सभी धर्मों के लोगों को प्राण प्रतिष्ठा में आमंत्रित किया गया। प्रधानमंत्री चाहते थे, राम मंदिर सभी लोगों का होना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने खुद अनुष्ठान करने का फैसला लिया।'
कहां आया ज्यादा खर्च?
नृपेंद्र मिश्रा ने कहा, '795 मीटर लंबा परकोटा बनाने में मंदिर से ज्यादा खर्च आया। मंदिर के सबसे ऊंचे शिखर के ठीक नीचे रामलला की मूर्ति है। 31 दिसंबर 2024 तक मंदिर निर्माण पूरा हो जाएगा। रामनवमी के दिन रामलला के माथे पर सूर्य की किरणें पड़ेंगी। 12 बजे दिन में रामलला के माथे पर सूर्य की किरणें पड़ेंगी। मंदिर निर्माण में टेक्नोलॉजी का भरपूर इस्तेमाल किया गया है। प्रधानमंत्री का ज़ोर था, विरासत और विकास साथ चले। 2 से 3 साल में अयोध्या की अर्थव्यवस्था बदल जाएगी।'
ऐसा राम मंदिर बन जाएगा, मुझे भरोसा नहीं था: नृपेंद्र मिश्रा
उन्होंने कहा, 'राम मंदिर ऐसा बनेगा, मुझे कभी भरोसा नहीं था। पुराने दिन देखने के बाद आज का दिन देखना बहुत सुखद है। कौन चाहता गर्भगृह बनने के बाद भी प्रभु अस्थाई जगह रहें। भगवान को लेकर किसी तरह का विवाद अनावश्यक है। भव्य मंदिर निर्माण कार्य से जुड़े लोगों की मेहनत का फल है।'