नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गुरुवार को लोकसभा में चंद्रयान-3 और आदित्य एल1 मिशन पर बोल रहे थे तभी उनकी कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी से नोकझोंक हो गई। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस नेता को जवाब देते हुए कहा कि वह सदन में चीन के विषय पर ‘सीना चौड़ा करके’ चर्चा के लिए तैयार हैं। उन्होंने सदन में यह टिप्पणी उस वक्त की जब अधीर रंजन चौधरी ने यह चुनौती दी कि क्या उनमें चीन के बारे में चर्चा करने की हिम्मत है। सिंह चंद्रयान-3 की सफलता के विषय पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए अपनी बात रख रहे थे और उसी दौरान चौधरी ने उन्हें यह चुनौती दी। इस पर सिंह ने कहा, ‘‘पूरी हिम्मत है...अधीर रंजन जी, इतिहास में मत ले जाइए।’’ इसके बाद रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘चर्चा करने को तैयार हूं, सीना चौड़ा करके चर्चा को तैयार हूं।’’ इस दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों में नोकझोंक भी हुई।
पहले मुस्कुराए फिर दिया जवाब
आज सदन में रक्षा मंत्री जैसे ही बोलने के लिए खड़े हुए तो कई विपक्षी सदस्यों ने सवाल करना शुरू कर दिया। कई सदस्यों ने कहा कि चीन ने हमारी सीमा में कितना कब्जा किया? कांग्रेस सांसद अधीर रंजन ने उन्हें रोकते हुए पूछ लिया कि चीन पर चर्चा करने की हिम्मत है? इस पर राजनाथ पहले मुस्कुराए फिर कुछ पल खामोश रहने के बाद उन्होंने कहा कि अधीर रंजन जी, इतिहास में मत ले जाओ। मैं चर्चा करने को तैयार हूं और सीना चौड़ा करके मैं चर्चा करने के लिए तैयार हूं। इस पर सत्तापक्ष के सदस्य मेज थपथपाने लगे।
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‘चंद्रयान-3’ की सफलता के लिए ISRO को दी बधाई
इससे पहले सिंह ने ‘चंद्रयान-3’ की सफलता के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), वैज्ञानिकों और देशावासियों को बधाई दी और कहा कि संस्कृति एवं विज्ञान एक दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हैं। उन्होंने लोकसभा में ‘चंद्रयान-3 की सफलता और अंतरिक्ष क्षेत्र में हमारे राष्ट्र की उपलब्धियों के बारे में चर्चा’ मे हस्तक्षेप करते हुए यह भी कहा कि ‘चंद्रयान-3’ की सफलता उन सभी लोगों के लिए गर्व का विषय है जो अपने राष्ट्र और राष्ट्र की उपलब्धियों पर गर्व करते हैं। सिंह ने कहा, ‘‘चंद्रयान-3 की सफलता हमारे लिए निश्चित रूप से एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। क्योंकि एक तरफ दुनिया के अधिकांश विकसित देश हैं, जो हमसे कहीं अधिक संसाधन-संपन्न होते हुए भी, चांद पर पहुंचने के लिए प्रयासरत हैं, तो वहीं दूसरी तरफ हम बेहद सीमित संसाधनों से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाले दुनिया के पहले देश बने हैं।’’
'संस्कृति और विज्ञान एक दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हैं'
रक्षा मंत्री ने वैज्ञानिक चेतना का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘जब मैं यहां वैज्ञानिक चेतना की बात कर रहा हूं, तो उससे मेरा मतलब केवल कुछ वैज्ञानिक उपकरणों के विकास कर लेने भर से नहीं है। वैज्ञानिक चेतना से मेरा आशय है कि वैज्ञानिकता और तार्किकता हमारी सोच में हो, वह हमारे बात व्यवहार में हो, और वह हमारे स्वभाव में हो।’’ उनका कहना था, ‘‘संस्कृति के बगैर विज्ञान, और विज्ञान के बगैर संस्कृति अधूरी है। संस्कृति और विज्ञान दोनों एक दूसरे से जुड़ने के बाद ही पूर्णता प्राप्त कर सकते हैं। दोनों को एक दूसरे का पूरक कहा जा सकता है, क्योंकि दोनों ही मनुष्यता के लिए जरूरी हैं।’’ सिंह ने कहा कि संस्कृति के बगैर विज्ञान और विज्ञान के बगैर संस्कृति अधूरी है, संस्कृति और विज्ञान दोनों एक दूसरे से जुड़ने के बाद ही पूर्णता प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों को एक दूसरे का पूरक कहा जा सकता है, क्योंकि दोनों ही मनुष्यता के लिए जरूरी हैं।
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