Highlights
- आज के ही दिन भारत ने पाकिस्तान पर ऐतिहासिक जीत की थी हासिल
- राजनाथ सिंह ने कहा-आज हम बहुत खुश हैं कि पिछले 50 वर्षों में बांग्लादेश विकास के पथ पर आगे बढ़ा है
- राजनाथ सिंह ने कहा-आतंकवाद को जड़ से ख़त्म करने की दिशा में चल रहा है काम
नई दिल्लीः केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को 'स्वर्णिम विजय पर्व' के उद्घाटन समारोह को संबोधित किया। यह आयोजन 1971 के युद्ध में भारत की ऐतिहासिक जीत और भारत-बांग्लादेश दोस्ती के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में किया जाता है। इस दौरान राजनाथ सिंह ने 'स्वर्णिम विजय पर्व' के उद्घाटन समारोह में सैन्य उपकरणों के प्रदर्शन का जायजा भी लिया।
समारोह को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि आज का दिन भारतीय सेनाओं के लिए काफी खास है। आज के ही दिन भारत ने पाकिस्तान पर ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। राजनाथ सिंह ने कहा, जनरल बिपिन रावत,उनकी पत्नी तथा 11 बहादुर जवानों के असामयिक निधन के बाद इस पर्व को सादगी के साथ मनाने का निर्णय लिया गया। मैं सभी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
आज के दिन मैं भारतीय सेना के हर उस सैनिक के शौर्य, पराक्रम और बलिदान को नमन करता हूं, जिनकी वजह से 1971 के युद्ध मे भारत ने विजय हासिल की।" उन्होंने कहा कि, आज हम बहुत खुश हैं कि पिछले 50 वर्षों में बांग्लादेश विकास के पथ पर आगे बढ़ा है। भारतीय सेनाओं ने 1971 में उसके मंसूबों को नाकाम किया और अब आतंकवाद को भी जड़ से ख़त्म करने की दिशा में काम चल रहा है। हम प्रत्यक्ष युद्ध में जीत दर्ज कर चुके हैं, परोक्ष युद्ध में भी विजय हमारी ही होगी। ये पर्व देश के सेनाओं के प्रति हर भारतीय के लिए सम्मान का पर्व है।
उन्होंने कहा कि 1971 का युद्द दुनिया ने सबसे निर्णायक युद्धों में गिना जाएगा। यह युद्द बताता है कि मज़हब के आधार पर हुआ भारत का विभाजन एक ऐतिहासिक गलती थी।
पाकिस्तान का जन्म एक मज़हब के नाम पर हुआ मगर वह एक नहीं रह सका। 1971 की हार के बाद पाकिस्तान, भारत में लगातार एक छद्म युद्द लड़ रहा है। भारत विरोध की भावना पाकिस्तान में कितनी बलवती है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगता है कि जिन आक्रांताओं ने भारत पर हमले किए उनके नाम पर वे अपनी मिसाइलों के नाम रखते हैं। गोरी, ग़जनवी, अब्दाली! उनसे पूछना चाहिए कि इन्होंने तो आज के पाकिस्तानी भूभाग पर भी हमला किया था।
आगे उन्होंने कहा कि कभी-कभी मैं सोचता हूं कि हमारे बंगाली बहनों और भाइयों का कसूर आखिर क्या था? बस यहीं कि वे अपने अधिकारों की मांग कर रहे थे? अपनी कला, संस्कृति और भाषा के संरक्षण की मांग कर रहे थे? वह राजनीति और शासन में अपने उचित प्रतिनिधित्व की बात कर रहे थे? हमारे बंगाली बहनों और भाइयों पर होने वाला अन्याय और अत्याचार किसी न किसी रूप में संपूर्ण मानवता के लिए ख़तरा था।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, 1971 के युद्ध के दौरान इस्तेमाल किए गए प्रमुख हथियारों और उपकरणों को प्रमुख लड़ाइयों के अंशों के साथ प्रदर्शित किया जाएगा। उद्घाटन के बाद यह कार्यक्रम आम लोगों के लिए खुला रहेगा। समापन समारोह 13 दिसंबर को होगा, जिसमें राजनाथ सिंह शामिल होंगे। बांग्लादेश सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहेंग