अयोध्या में भव्य राममंदिर के उद्घाटन और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में अब कुछ ही दिन बचे हैं। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि वो अगले 11 दिनों तक कठोर यम नियम का पालन करेंगे। संतों और तपस्वियों ने जो मार्गदर्शन दिया है, उसके मुताबिक अगले 11 दिन तक विशेष अनुष्ठान करेंगे। मोदी ने इस अनुष्ठान की शुरुआत नासिक के कालाराम मंदिर में भगवान राम की आराधना के साथ की। नासिक में मोदी रोड शो करते हुए सीधे कालाराम मंदिर पहुंचे। पंचवटी क्षेत्र में स्थित कालाराम मंदिर की बहुत मान्यता है। इस मंदिर में रामभक्तों की गहरी आस्था है। रामायण के मुताबिक पंचवटी वही स्थान है, जहां 14 साल के वनवास के दौरान, दसवें साल के बाद तकरीबन ढाई साल तक भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण रहे। मोदी ने कालाराम मंदिर में 15 मिनट तक पूजा-अर्चना की,आरती की,भजन मंडली के साथ बैठकर भजन गाया और मंजीरा बजाया। मोदी ने मंदिर में साफ-सफाई की, खुद बाल्टी में पानी लेकर गए और फर्श को साफ किया। मोदी सुबह दिल्ली से ये बताकर निकले थे कि वह अगले 11 दिनों तक विशेष अनुष्ठान करेंगे और इसकी शुरुआत नासिक से होगी। मोदी ने नासिक में गोदावरी नदी के किनारे रामकुंड पर जाकर विधिवत अनुष्ठान की शुरुआत की, पुरोहितों के मार्गदर्शन में वैदिक परंपराओं के मुताबिक, विधि विधान से गोदावरी की पूजा की। मोदी ने एक ऑडियो मैसेज जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि अब राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक पल में सिर्फ 11 दिन बचे हैं, वो इस कार्यक्रम में देश के 140 करोड़ लोगों की ऊर्जा और उनके आशीर्वाद से शामिल होंगे। मोदी ने कहा कि आजकल वो जैसा महसूस कर रहे हैं, जिस तरह से भाव विह्वल हैं, इसे शब्दों में बयां करने में असमर्थ हैं। मोदी ने कहा कि ये मौका पांच सौ सालों के प्रयासों से, सैकड़ों पीढ़ियों के तप से आया है। वो इस पल के साक्षी बन रहे हैं, इसलिए उनके भीतर भावनाओं का ज्वार है। मोदी ने कहा कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले 11 दिनों तक उन्हें जिन परंपराओं का पालन करना है, ईश्वर के यज्ञ के लिए, आराधना के लिए, स्वयं में दैवीय चेतना जाग्रत करनी होती है,शास्त्रों में बताए गए यम नियम का पालन करना है,उसे वो उनका पूरी श्रद्धा, भक्ति और आध्यात्मिक शक्ति के साथ पालन करेंगे। मोदी ने कहा कि जिस पल वो गर्भगृह में जाएंगे, वो पल कैसा होगा, क्या अनूभुति होगी, ये सोचकर वो भावनाओं के समंदर में डूबे हुए हैं। मोदी ने कहा कि जिस पल वो गर्भगृह में प्रवेश करेंगे, उस वक्त देश के 140 करोड़ लोग मन से उनके साथ जुड़े होंगे, वह 140 करोड़ लोगों के भावों को, भक्ति को रामलला के चरणों में समर्पित करेंगे।
नरेंद्र मोदी की आस्था,उनका संकल्प और शास्त्रों में बताए गए कठिन नियमों का पालन करने के उनके निश्चय को देखकर कालाराम मंदिर के पुरोहित भी हैरान थे। कई पुरोहितों का कहना था कि उन्होंने ऐसा प्रधानमंत्री नहीं देखा जो अपने काम के साथ-साथ कठिन व्रत का पालन करता हो। मोदी ने अपने ऑडियो मैसेज में जो कहा, उसका एक एक शब्द देश के करोड़ों लोगों की भावनाओं की अभिव्यक्त करने वाला था। आज दुनिया भर में फैले रामभक्तों में यही भाव है, हर कोई सबसे पहले रामलला के दर्शन करना चाहता है, हर कोई अयोध्या जाकर एक बार भव्य राममंदिर को निहारना चाहता है। ये सही है कि पांच सौ सालों की तपस्या के बाद से एतिहासिक मौका आया है। अयोध्या किसी भी रामभक्त के लिए युद्ध, बर्बरता, अत्याचार, अन्याय या ज़ुल्म का प्रतीक नहीं है। अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि होने के साथ-साथ आपसी सदभाव, आध्यात्म, सनातन संस्कृति और रामराज का प्रतीक है और पांच सौ साल के बाद अयोध्या का यही स्वरूप वापस लौट रहा है। रामलला फिर भव्य मंदिर में विराजमान हो रहे हैं। ये दुनिया भर के हिन्दुओं के लिए गौरव का क्षण है। ये गौरव की बात है कि देश का नेतृत्व इस वक्त ऐसे नेता के हाथ में है जो सनातन परंपराओं को न सिर्फ समझता है बल्कि उनका सम्मान और उनका पालन करता है। मोदी साल में दो बार नवदुर्गा का व्रत रखते हैं। और अब राम मंदिर के उद्घाटन से पहले 11 दिन तक कठिन अनुष्ठान करेंगे। लेकिन ये बात ध्यान रखने वाली है कि इन ग्यारह दिनों में प्रधानमंत्री के तौर पर मोदी की जो दिनचर्या है,जो मीटिंग्स हैं,जो काम हैं,वो नहीं रुकेंगे। इसलिए ये अनुष्ठान और ज्यादा कठिन होगा लेकिन कांग्रेस को इस बात पर एतराज है कि मोदी ये सब क्यों कर रहे हैं? मोदी प्राण प्रतिष्ठा के यजमान क्यों हैं? अयोध्या में होने वाले कार्यक्रम को लेकर बीजेपी के नेता इतने सक्रिय क्यों हैं?
शुक्रवार को कांग्रेस के दो प्रवक्ताओं ने प्रेस कांफ्रेंस करके नरेन्द्र मोदी को कोसा। पवन खेड़ा ने कहा कि बीजेपी ने धर्म को तमाशा बना दिया है,आधे-अधूरे मंदिर में, बिना शिखर के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करके मोदी घोर पाप करने जा रहे हैं। एक अन्य प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि महंगाई और बेरोज़गारी जैसे असल मुद्दों की चर्चा न हो, इसलिए बीजेपी राम के नाम पर तमाशा कर रही है और कांग्रेस इसका हिस्सा नहीं बन सकती। कांग्रेस राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में न जाए, यह उनकी आस्था और विश्वास का विषय हो सकता है लेकिन मोदी की आस्था पर सवाल उठाना, दलाल, बिचौलिए जैसे शब्द का इस्तेमाल करना कांग्रेस जैसी पुरानी पार्टी की गरिमा के अनुरूप नहीं है। अगर कोई ये जानना चाहता है कि मोदी का राम मंदिर से क्या सम्बंध है तो उन्हें राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रणेता लालकृष्ण आडवाणी की बात सुननी चाहिए। शुक्रवार को आडवाणी ने कहा कि रथयात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी हर पल मेरे साथ थे। दरअसल मोदी आडवाणी के रथ के सारथी थे। आडवाणी ने कहा राम मंदिर बनना तो नियति ने ही तय कर लिया था , जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे तब वे हमारे भारतवर्ष के प्रत्येक नागरिक का प्रतिनिधित्व करेंगे।राम मंदिर का मुद्दा मोदी के चुनाव घोषणापत्र में था। राम मंदिर जल्दी बनवाने में, भव्य बनवाने में मोदी ने खुद सक्रिय रूप से दिलचस्पी ली। मोदी देश की जनता द्वारा चुने हुए प्रधानमंत्री हैं, देश के करोड़ों लोगों के विश्वास के प्रतीक हैं। अगर राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया तो इस पर कांग्रेस को आपत्ति क्यों? असल में ये आपत्ति धार्मिक नहीं है। कांग्रेस को इस बात से कोई लेना-देना नहीं है कि मंदिर पूरा बना या नहीं। कांग्रेस को इस बात से भी कोई मतलब नहीं है कि विधि-विधान का ध्यान रखा गया या नहीं। कांग्रेस की समस्या तो ये है कि इससे मोदी को लोकसभा चुनाव में फायदा हो जाएगा। ये चिंता आजकल कांग्रेस चलाने वालों को खाए जा रही है।
कांग्रेस में कई पुराने अनुभवी नेता हैं जो ये समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि कांग्रेस राम मंदिर का विरोध करेगी, प्राण प्रतिष्ठा का बॉयकॉट करेगी तो इससे और अधिक नुकसान होगा लेकिन कांग्रेस चलाने वाले मोदी विरोध में इतना गुम हो गए हैं कि वो लोगों को भावनाओं को समझ नहीं पा रहे। मोदी जो भी करें, उनका विरोध करना एक तरह से पॉलिसी हो गई है। मोदी जो भी बनाए, उस पर सवाल उठाना आदत हो गई है । मंदिर है तो शंकराचार्य को क्यों नहीं बुलाया, बॉयकॉट करो। नई संसद का भवन बना तो राष्ट्रपति को क्यों नहीं बुलाया, बॉयकॉट करो। ऐसी बहानेबाजी साफ दिखाई देती है। इसलिए कांग्रेस को अपने उन नेताओं की बात सुननी चाहिए जिन्हें लगता है कि प्राण प्रतिष्ठा के समारोह का बहिष्कार करना, राम मंदिर के निर्माण पर सवाल उठाना दुर्भाग्यपूर्ण है और इसकी कोई जरूरत नहीं थी। कांग्रेस के नेताओं को नहीं जाना था तो उन्हें अपनी पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता डॉ. कर्ण सिंह की बात सुन लेनी चाहिए। डॉ. कर्ण सिंह ने कहा कि रघुवंशी होने के नाते उन्होंने राम मंदिर के लिए 11 लाख रुपये का दान दिया था। कर्ण सिंह ने कहा कि वो खुद अयोध्या जाना चाहते थे लेकिन सेहत साथ नहीं दे रही। 22 जनवरी को वो अपने घर पर एक विशेष आयोजन करेंगे। इतना ही नहीं डॉ. कर्ण सिंह का फैमिली ट्रस्ट 22 जनवरी को जम्मू के प्रसिद्ध रघुनाथ मंदिर में भी बड़ा आयोजन कर रहा है। डॉ. कर्ण सिंह कह रहे हैं कि जब राम मंदिर का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद हो रहा है तो फिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने में हिचक का कोई कारण नहीं है। (रजत शर्मा)
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