शराब घोटाले के केस में अरविंद केजरीवाल ED के सामने पेश नहीं हुए। उन्होंने ED के समन को मानने से इनकार कर दिया। ED के नोटिस को केजरीवाल ने राजनीति से प्रेरित बताया। ED के सवालों के जवाब देने के बजाय उन्होंने ED पर तमाम तरह के सवाल पूछे। केजरीवाल ने पूछा कि आपने मुझे मुख्यमंत्री के तौर पर बुलाया या आम आदमी पार्टी के संयोजक के तौर पर। केजरीवाल ने पूछा आपने मुझे विटनेस के तौर पर बुलाया या आरोपी के तौर पर। केजरीवाल ने ED की नीयत पर सवाल उठाए और पूछा कि ED ने इंफॉर्मेशन बीजेपी नेताओं को क्यों लीक की? केजरीवाल ने ED से समन वापस लेने को कहा और ये चिट्ठी भेजने के बाद वो चुनाव प्रचार के लिए मध्य प्रदेश के सिंगरौली में रोड शो करने सीएम भगवंत मान के साथ गए। वहां केजरीवाल ने लोगों से कहा कि उन्हें नहीं मालूम कि वो कब तक बाहर हैं, तीन दिसंबर को जब वोटों की गिनती होगी, उस दिन जेल में होंगे या जेल से बाहर, वो नहीं कह सकते। बीजेपी के नेताओं ने केजरीवाल को डरपोक कहा, किसी ने भगोड़ा कहा, किसी ने कहा कि केजरीवाल ED के सवालों से भाग रहे हैं क्योंकि उनके पास जवाब नहीं है। दूसरी तरफ इंडिया अलायन्स की पार्टियां केजरीवाल के पक्ष में खुलकर सामने आईं। अखिलेश यादव ने कहा, बीजेपी जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करके विरोधियों को जेल में डाल रही है। तेजस्वी यादव ने कहा कि जो भी सरकार अच्छा काम करती है, बीजेपी उसके पीछे ED और CBI को लगा देती है लेकिन पंजाब के कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा शराब घोटाला तो हुआ है और केजरीवाल ने इसे पहले दिल्ली में किया और फिर पंजाब में किया, लेकिन ये मामला कितना संगीन है इसके पीछे की राजनीति कितनी गहरी है। इसका इशारा गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया।
छत्तीसगढ़ के कांकेर में एक रैली को संबोधित करते हुए नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कोई कितना भी ताकतवर हो, कितने भी बड़े पद हो, कितना भी बड़ा नेता हो, अगर भ्रष्टाचार किया है, अगर जनता का पैसा खाया है, तो लूट का माल लौटाना ही पड़ेगा, जेल जाना ही पड़ेगा। मोदी ने सीधे सीधे न केजरीवाल का नाम लिया, न शराब घोटाले की बात की। लेकिन उन्होंने आखिर में जो वाक्य जोड़ा कि ‘दिल्ली वालों तक ये आवाज पहुंचनी चाहिए’, इसका मतलब साफ था। अब सवाल ये है कि मोदी ने छत्तीसगढ़ में दिल्ली की बात क्यों की। मैं आपको बता दूं कि छत्तीसगढ़ में भी भूपेश बघेल की सरकार पर भी शराब घोटाले का इल्जाम है। दिल्ली में भी शराब घोटाले के केस में केजरीवाल की पार्टी के तीन बड़े नेता पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं और अब केजरीवाल को नोटिस मिला है। इसीलिए मोदी ने पहले घोटालों की बात की, भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया, फिर कहा कि जनता का पैसा खाने वालों को लूट का माल भी लौटना पड़ेगा और जेल भी जाना पड़ेगा।
मोदी के इस हमले का असर तुरंत सभी विरोधी दलों पर दिखा। अखिलेश यादव ने कहा कि इसमें तो कोई शक नहीं है कि बीजेपी जांच एजेंसियों के ज़रिए विरोधियों को परेशान कर रही है, उन्हें जेल में डाल रही है। जो यूपी में आजम खान के साथ हुआ अब वही दिल्ली में केजरीवाल के साथ हो रहा है, जो भी इस सरकार के ख़िलाफ़ बोलता है, उस पर बीजेपी केस कर देती है, अब चुनाव में जनता इसका जवाब देगी। बिहार से RJD नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि विपक्ष की कोई भी सरकार अच्छा काम करती है, तो बीजेपी उसके पीछे ED, CBI या आयकर विभाग को लगा देती है, आज दिल्ली में ये हो रहा है, कल बिहार में भी होगा क्योंकि बीजेपी असली मुद्दों पर बात नहीं करना चाहती। शिवसेना उद्धव गुट के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि किसी भी नेता को ED नोटिस से घबराना नहीं चाहिए, विपक्ष के सारे नेताओं को समझना होगा कि अगले एक साल तक ऐसे नोटिस आते रहेंगे।
दिलचस्प बात ये है कि कांग्रेस का कोई बड़ा नेता केजरीवाल का न समर्थन कर रहा है, न विरोध। कांग्रेस के नेता खामोश हैं लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू ने साफ साफ कह दिया कि घोटाला तो हुआ है, अफसरों ने गवाही दी है, ब्लैक लिस्टेड कंपनियों को शराब के ठेके दिए गए। सिद्धू ने कहा कि केजरीवाल ने शराब घोटाले का हुनर केसीआर से सीखा, पहले उसको दिल्ली में लागू किया, फिर पंजाब में, ऐसे में उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी ही चाहिए। जिस वक्त केजरीवाल मध्य प्रदेश में रोड शो कर रहे थे, उस वक्त दिल्ली में केजरीवाल सरकार के मंत्री राजकुमार आनंद के घर पर ED की रेड चल रही थी। राजकुमार आनंद के सरकारी घर समेत कुल 12 जगहों पर छापे पड़े। आनंद पर हवाला के ज़रिए सात करोड़ रुपए का घोटाला करने का इल्ज़ाम है। इस मामले में राजस्व जांच निदेशालय ने जांच करके चार्जशीट दाख़िल कर दी थी। दिल्ली की कोर्ट ने इसका संज्ञान भी ले लिया था। उसके बाद ही ED ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज करके आनंद के ख़िलाफ़ जांच शुरू की। आनंद दिल्ली के पटेल नगर से विधायक हैं और दिल्ली सरकार में सामाजिक न्याय मंत्री हैं।
अगर विरोधी दलों के उन नेताओं की सूची देखें, जिनके खिलाफ ED ने केस फाइल किए हैं तो केजरीवाल की बात ठीक लगेगी कि सरकार विरोधी दलों के सारे नेताओं को जेल में डाल देगी और 2024 का चुनाव अकेले लड़ेगी। केजरीवाल राजनीति के चतुर खिलाड़ी हैं। वो आसानी से हार मानने वालों में नहीं हैं। वो हमेशा बाजी पलटने की कोशिश करते हैं। उनकी पार्टी के लोग कह रहे हैं कि ED ने पिछले 9 साल में 5000 केस फाइल किए, इनमें से 95% केस विरोधी दलों के नेताओं और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ हैं और कन्विक्शन रेट (सज़ा अनुपात) 0.5 प्रतिशत है। ये सब बातें सुनने में विश्वसनीय लग सकती हैं, लेकिन कहावत है- ‘सौ सुनार की, एक लुहार की’। नरेंद्र मोदी ने आज कहा और वो पहले भी कई बार कह चुके हैं कि जो भ्रष्टाचार करेगा, वो जेल जाएगा। मोदी बार बार कहते हैं, ‘न खाऊंगा न खाने दूंगा’, और भ्रष्टाचार के मामले में कोई समझौता नहीं होगा। ये बात सही भी है। नरेंद्र मोदी इस मामले में किसी की नहीं सुनते। वो अपनी राजनीतिक नफा-नुकसान के बारे में भी विचार नहीं करते। उनके लिए भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा है। पहले दिन से ही उन्होंने बैंक लूटने वालों, घोटाला करने वालों, पब्लिक का पैसा जेब में डालने वालों के खिलाफ कार्रवाई की है। और वो साफ साफ कहते हैं कि कोई कितना भी प्रभावशाली हो, अगर वो भ्रष्टाचार करेगा तो वो उसे छोड़ेंगे नहीं। अगर ये मोदी की ताकत है, तो आज के ज़माने में ये मोदी के लिए सबसे बड़ी चुनौती भी है। क्योंकि 2024 के चुनाव के लिए जो विरोधी दल इकट्ठा हुए हैं, उसकी वजह सिर्फ ED और CBI के मामले हैं। इन दोनों एजेंसियों ने बीजेपी के लिए कुछ किया हो या ना किया हो, विपक्ष की बड़ी मदद की है। सारे मोदी-विरोधी दलों को ED के सूत्र में बांध दिया है। अब राजनीति के विशेषज्ञ इस बात का विश्लेषण करने में लगे हैं कि ED और CBI के मामलों से चुनाव में मोदी को फायदा होगा या नुकसान। (रजत शर्मा)
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