पश्चिम बंगाल के हावड़ा के शिबपुर में गुरुवार को रामनवमी जुलूस के दौरान और बाद में शुक्रवार जो हिंसा हुई वह निंदनीय है। इस मामले में कुल 36 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यहां एक मस्जिद से जुलूस पर पथराव किया गया और उपद्रवी तत्वों ने कई गाड़ियों को जला दिया। इस दौरान उपद्रवियों ने दुकानों में तोड़-फोड़ भी की। रामनवमी के मौके पर विश्व हिंदू परिषद सहित चार हिंदू संगठनों की तरफ से जुलूस निकाला गया। हिंदू संगठनों द्वारा जुलूस निकालने से पहले पुलिस की अनुमति भी ली गई थी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि इस झड़प के पीछे बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद का हाथ है। भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया कि रामनवमी पर निकाली जा रही शोभायात्राओं में एक करोड़ से ज्यादा रामभक्तों ने हिस्सा लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए हिन्दुओं को धमका रही हैं।
ये बात तो सही है कि ममता के रूख को लेकर पश्चिम बंगाल के हिन्दुओं के मन में आशंकाएं हैं। बीजेपी इसीलिए इस मुद्दे को तूल दे रही है। पिछले चार साल से बंगाल में बीजेपी लगातार हिन्दू पर्व और त्योहारों को बड़े पैमाने पर मानने की कोशिश करती है और ममता हर बार सख्त रुख दिखाती हैं। हर बार कोई न कोई गड़बड़ी होती है। तीन साल पहले ममता ने रामनवमी और हनुमान जयंती के मौके पर शोभायात्रा निकालने पर पाबंदी लगा दी थी। फिर दुर्गापूजा के वक्त मूर्ति विसर्जन रोक दिया गया था क्योंकि उसी दिन मुहर्रम था। और अब रामनवमी से पहले जब बीजेपी ने शोभायात्राएं निकालने का ऐलान कर दिया तो ममता ने ये कह दिया कि शोभायात्राएं निकालो लेकिन मुस्लिम इलाकों में मत जाना क्योंकि रमजान का महीना चल रहा है। हिंदू संगठनों ने कहा कि नवरात्रि के कारण वो भी उपवास कर रहे हैं।उनकी धार्मिक भावनाओं की क्यों उपेक्षा की गई? अब बीजेपी इसे मुद्दा बनाएगी। ममता जानती हैं कि बीजेपी के इस रुख से उन्हें राजनीतिक नुकसान होगा। इसीलिए ममता अब डैमज कन्ट्रोल की कोशिश कर रही हैं और कह रही है कि उन पुलिस वालों पर एक्शन होगा जिन्होंने संवेदनशील इलाकों में रामनवमी के मौके पर शोभायात्रा की इजाजत दी।
रामनवमी हिंसा : षड्यंत्रकारियों को पकड़ो
रामनवमी के दौरान महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद) और जलगांव में हिंसा की घटनाएं हुईं। छत्रपति संभाजी नगर के किराडपुरा इलाके में दो गुटों में मारपीट और पथराव की घटना सामने आई है। पुलिस फायरिंग में घायल एक युवक की गुरुवार रात मौत हो गई। झड़प के दौरान सोलह पुलिसकर्मी घायल हो गए। इस दौरान उपद्रवियों ने कई प्राइवेट और पुलिस वाहनों को जला दिया। संभाजी नगर से AIMIM नेता इम्तियाज जलील सांसद हैं। घटना के थोड़ी देर के बाद इम्तियाज जलील मौके पर पहुंच गए। इम्तियाज मंदिर के अंदर गए और फिर वहीं बैठे रहे। उन्होंने मंदिर को उपद्रवियों द्वारा आग लगाने से रोका। जलगांव में एक मस्जिद के सामने से रामनवमी जुलूस के गुजरने पर उस पर पथराव शुरू हो गया। इस मामले में पुलिस ने 56 लोगों को गिरफ्तार किया है। नमाज के दौरान साउंड सिस्टम के इस्तेमाल को लेकर भी झड़प हुई। पथराव में कई वाहनों को नुकसान पहुंचा। गुजरात के वडोदरा में रामनवमी के जुलूस के दौरान हुई झड़प के बाद 24 पत्थरबाजों को हिरासत में लिया गया। दिल्ली में हिन्दू संगठनों ने जहांगीरपुरी इलाके में रामनवमी की शोभायात्रा निकालने की तैयारी की थी। लेकिन पुलिस ने 5 किलोमीटर की जगह सिर्फ 200 मीटर तक ही जुलूस निकालने की इजाजत दी और माहौल को शांत किया।
दिल्ली पुलिस ने समझदारी दिखाई। लोगों ने भी पुलिस की बात मानी और कोई गड़बड़ी नहीं हुई। लेकिन सवाल ये है कि पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और गुजरात के उन इलाकों में हिसा क्यों हुई जो मुस्लिम बहुल हैं ? जब हर साल इन इलाकों से शोभायात्राएं शान्तिपूर्ण तरीके से निकलती हैं तो इस बार ही हमला क्यों किया गया? क्या कोई साजिश थी? इसके पीछे कौन लोग हैं? उनके इरादे क्या हैं? इसकी पूरी जांच होनी चाहिए। क्योंकि अभी रामनवमी के दौरान हिन्दू संगठनों की शोभायात्राओं पर पथराव किया गया। रामजान चल रहे हैं और अप्रीम में ईद आने वाली है। अगर इस मुबारक मौके पर भी गड़बड़ी हुई तो देश का माहौल खराब होगा। इसलिए पुलिस को जल्दी से जल्दी माहौल खराब करने वालों पकड़कर सख्त एक्शन लेना चाहिए। क्योंकि इस तरह के लोग किसी मजहब को नहीं मानते हैं। ये लोग समाज के दुश्मन हैं। देश की शान्ति के लिए खतरा हैं। इसलिए ऐसे लोगों के खिलाफ उसी तरह के एक्शन की जरूरत है जैसा उत्तर प्रदेश में लिया गया। यूपी में भी पहले रामनवमी, हनुमान जयंती, दुर्गापूजा और मुहर्रम जैसे मौकों पर हंगामा होता था लेकिन गुरुवार को यूपी में हजारों शोभायात्राएं निकलीं और कहीं से भी एक भी पत्थर चलने की खबर नहीं आई। जिस वक्त महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में हंगामा हो रहा था उस वक्त योगी आदित्यनाथ गोरखपुर में निश्चिंत होकर मां भगवती की पूजा कर रहे थे और अयोध्या में लाखों भक्त रामलला के दर्शन कर रहे थे।
कश्मीरियों ने धूमधाम से मनाई रामनवमी
रामनवमी का सबसे अच्छा दृश्य श्रीनगर में देखने को मिला। सैकड़ों कश्मीरी पंडितों और इस्कॉन के श्रद्धालुओं ने 'जय श्री राम' और 'हरे राम, हरे कृष्ण' के जयकारों के बीच हब्बा कदल स्थित राम मंदिर से लाल चौक तक रामनवमी जुलूस निकाला। शोभायात्रा में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग शामिल हुए। शोभायात्रा के दौरान कई बच्चों औऱ नौजवानों ने रामायण के अलग-अलग किरदारों का रूप धरा था। इनका कहना है कि कुछ साल पहले तक तो ये सोचा भी नहीं जा सकता था कि कश्मीर में इस तरह की शोभायात्रा निकलेगी लेकिन अब ऐसा हो रहा है और इसमें शामिल होकर वो बहुत खुश हैं। इन्होंने कहा कि अब आगे भी कश्मीर की फिज़ा में इसी तरह अमन-चैन रहना चाहिए जहां वो अपने त्योहार खुलकर मना सकें। ये तस्वीरें देखकर अच्छा लगा। ये तस्वीरें कश्मीर में बदले हालात का सबूत हैं। कुछ दिन पहले हमने देखा था कि जम्मू कश्मीर में मां शारदा का नया मंदिर बना है। मंदिर के लिए जमीन मुस्लिमों ने दी है। मंदिर बनाने में मुस्लिम भाइयों ने मदद की और मंदिर में देवी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा में भी मुस्लिम भाई बड़ी संख्या में शामिल हुए। गुरुवार को रामनवमी के मौके पर निकली शोभायात्रा में भी श्रीनगर के मुस्लिम शरीक हुए। यही तो कश्मीरियत है। यही तो हिन्दुस्तान की गंगा जमुनी तहजीब है। जिन इलाकों में शोभायात्राओं पर बम और पत्थर फेंके गए। उन इलाकों के लोगों को कश्मीर के लोगों से सबक सीखना चाहिए।
रामदेव की संन्यासियों की सेना
रामनवमी के दिन स्वामी रामदेव ने हरिद्वार में पतंजलि योग पीठ में 100 नए शिष्यों को 'दीक्षा' दी। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। शाम को गृह मंत्री अमित शाह ने पतंजलि विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया। इस मौके पर अमित शाह ने स्वामी रामदेव के कामों की जबरदस्त तारीफ की। अमित शाह ने कहा कि स्वामी रामदेव सनातन की सेवा तो कर ही रहे हैं, इसके अलावा उन्होंने योग, आयुर्वेद और स्वदेशी के विकास के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में जो काम किया है, वह दूसरों के लिए प्रेरणादायी है। इसमें तो कोई संदेह नहीं कि स्वामी रामदेव ने योग और आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार के लिए सराहनीय काम किया है।अब उन्होंने शिक्षा के लिए एक बड़ी योजना बनाई है। अच्छी बात ये है कि शिक्षा का काम, विश्वविद्यालय बनाने की योजना, स्वामी रामदेव के लिए कोई कमर्शियल प्रोजेक्ट नहीं है। वो अपने बाकी बिजनेस से जो कमाएंगे उसका एक बड़ा हिस्सा नौजवानों को आधुनिक और वैदिक शिक्षा देने के लिए किया जाएगा। स्वामी रामदेव इन सारे कामों को संभालने के लिए संन्यासियों की एक बड़ी फौज तैयार कर रहे हैं। गुरुवार को जिन 100 युवाओं को संन्यास की दीक्षा दी गई वो इसी प्रोसेस का हिस्सा हैं। धर्म और सेवा के लिए जो लोग अपना सुख-दुख त्यागकर संन्यासी बने हैं मैं उनकी तारीफ करना चाहता हूं और उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं देना चाहता हूं। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 30 मार्च, 2023 का पूरा एपिसोड