Monday, December 23, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. Rajat Sharma’s Blog: राहुल यात्रा पर, हिमाचल में सीएम पद के लिए नेताओं में घमासान

Rajat Sharma’s Blog: राहुल यात्रा पर, हिमाचल में सीएम पद के लिए नेताओं में घमासान

शिमला में जो ड्रामा हो रहा है वह कांग्रेस के लिए नई बात नहीं हैं। इस तरह की तस्वीरें और नारेबाजी हम कर्नाटक और राजस्थान में देख चुके हैं।

Written By: Rajat Sharma
Published : Dec 10, 2022 16:55 IST, Updated : Dec 10, 2022 17:03 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

हिमाचल प्रदेश में नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर तीन दिनों से चला आ रहा सस्पेंस शनिवार को भी जारी रहा। कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायकों ने शुक्रवार रात विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पास किया कि हिमाचल का मुख्यमंत्री कौन होगा, इसका फैसला पार्टी हाईकमान करेगा। अब पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सीएम के नाम पर अंतिम फैसला लेंगे। 

पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने शुक्रवार को राज्यपाल से मुलाकात की। पर्यवेक्षकों ने नेता चुनने के लिए समय मांगते हुए 40 नवनिर्वाचित कांग्रेस विधायकों की सूची राज्यपाल को सौंपी और सरकार बनाने का दावा पेश किया। 

शुक्रवार और शनिवार को शिमला में प्रदेश कांग्रेस दफ्तर के बाहर सीएम पद के लिए दावेदारों की ओर से दमखम दिखाने का दौर जारी रहा। समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की। सीएम पद की रेस में राज्य कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह की विधवा प्रतिभा सिंह भी हैं। उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपने पति की विरासत पर जोर देते हुए कहा कि वीरभद्र सिंह की लोकप्रियता के कारण पार्टी सत्ता में लौटी है। वीरभद्र सिंह की विरासत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

प्रतिभा सिंह ने कहा, 'जब मुझे राज्य का कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, तब सोनिया जी ने मुझसे पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए कहा था। मैंने सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया और जो 40 सीटों की संख्या हमें मिली है, वह हमारी कड़ी मेहनत का परिणाम है।'

सूत्रों का कहना है कि पर्यवेक्षकों को मुख्यमंत्री पद के लिए दिये गये तीन संभावित नामों में प्रतिभा सिंह का नाम नहीं है। सीएम के संभावित तीन नाम हैं- कांग्रेस प्रचार समिति के प्रमुख सुखविंदर सिंह सुक्खू, कांग्रेस विधायक दल के नेता नेता मुकेश अग्निहोत्री और राजिंदर राणा। सूत्रों के मुताबिक, चूंकि प्रतिभा सिंह विधायक नहीं हैं (वह मंडी से सांसद हैं), अगर उन्हें मुख्यमंत्री चुना जाता है तो उपचुनाव कराना होगा। उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह को नई सरकार में अहम पद दिया जा सकता है। शुक्रवार को दो बार विधायक दल की बैठक स्थगित करनी पड़ी और देर शाम पार्टी अध्यक्ष को मुख्यमंत्री चुनने के लिए अधिकृत करने का प्रस्ताव पारित किया गया।

गुरुवार रात को अंतिम परिणाम आने तक कांग्रेस नेताओं को यह डर सता रहा था कि कहीं बीजेपी उनके विधायकों की खरीद-फरोख्त में तो नहीं जुट जाएगी, लेकिन शुक्रवार शाम तक पार्टी लीडरशिप को इस बात की आशंका होने लगी कि कहीं उसके अपने नेता राज्य इकाई में फूट न डाल दें। हालत ये थी कि जब पर्यवेक्षक के तौर पर भूपेश बघेल और भूपेन्दर हुड्डा शिमला पहुंचे तो हैलीपैड पर उतरते ही उनके सामने नारेबाजी शुरू हो गई। जब वे गाड़ी में बैठकर निकले को प्रतिभा सिंह और विक्रमादित्य के समर्थकों ने उनकी गाड़ी को घेर कर नारेबाजी शुरू कर दी। भूपेश बघेल के होटल पहुंचने पर भी प्रतिभा सिंह के समर्थकों ने नारेबाजी जारी रखी।

यह शक्ति प्रदर्शन का राउंड वन था। शक्ति प्रदर्शन का दूसरा राउंड तब शुरू हुआ जब कांग्रेस दफ्तर में विधायक दल की बैठक शुरू हुई। मुख्यमंत्री पद के दावेदार सुखविंदर सिंह सुक्खू को उनके समर्थक कंधे पर बिठाकर कांग्रेस दफ्तर लाए। सुक्खू के समर्थक उनके पक्ष में नारे लगा रहे थे। यह दिखा रहे थे कि मुख्यमंत्री पद की रेस में उनके नेता की अनदेखी ना की जाए। इसके तुरंत बाद विक्रमादित्य सिंह के समर्थक भी अपने नेता को कंधे पर बिठाकर ले आए। ये लोग भी यह दिखाने की कोशिश कर रहे थे कि वीरभद्र सिंह के परिवार को नज़रअंदाज़ नहीं करने देंगे। समर्थक मांग कर रहे थे कि कांग्रेस ने यह चुनाव वीरभद्र सिंह के नाम पर जीता है इसलिए मुख्यमंत्री की कुर्सी भी इसी परिवार के सदस्य को मिलनी चाहिए। विधायक दल की बैठक में सीएम के नाम के लिए पार्टी अध्यक्ष को अधिकृत करने का प्रस्ताव पारित किए जाने के बाद भी पार्टी दफ्तर में नारेबाजी होती रही। 

सीएम पद पर जारी सस्पेंस के बीच प्रतिभा सिंह के तेवर भी सख्त होते चले गए। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वीरभद्र सिंह की विरासत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि चुनाव वीरभद्र सिंह के नाम पर जीतें और कुर्सी किसी और को दे दें। प्रतिभा सिंह चाहती हैं कि अगर उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह को यह जिम्मेदारी सौंपी जाए। विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण सीट से चुनाव जीते हैं। विक्रमादित्य भी दावेदारी पेश कर रहे हैं। हालांकि विक्रमादित्य बड़े ही सधे अंदाज में बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसमें तो कोई दो राय नहीं है कि कांग्रेस को जीत उनके पिता वीरभद्र सिंह के नाम पर मिली है। इसलिए उम्मीद है कि पार्टी हाईकमान सही फैसला लेगा।

यह बात तो सही है कि प्रतिभा सिंह ने पार्टी की जीत के लिए मेहनत की। उनके राजनीति में आने के बाद से ही हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की किस्मत बदली है। लगातार हार से कांग्रेस का मनोबल गिरा हुआ था। पिछले साल मंडी लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव हुआ और कांग्रेस ने प्रतिभा सिंह को टिकट दिया। प्रतिभा सिंह ने ये सीट बीजेपी से छीन ली। इसके पांच महीने बाद इसी साल अप्रैल में सोनिया गांधी ने प्रतिभा सिंह को हिमाचल प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया और विधानसभा चुनाव की तैयारियां करने को कहा। प्रतिभा सिंह के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव हुआ और कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला। कांग्रेस के लिए भी उनकी दावेदारी को खारिज करना आसान नहीं होगा।

भूपेश बघेल ने शुक्रवार को शिमला में कदम रखने पर कहा था कि पार्टी आलाकमान किसी को नाराज नहीं करेगा। लेकिन जब वे शहर में पहुंचे तो माहौल की गर्मी देखकर समझ गए कि मामला इतना आसान नहीं जितना वो समझ रहे थे।असल में प्रतिभा सिंह और विक्रामदित्य सिंह के बाद हिमाचल में प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविन्दर सिंह सुक्खू ने भी कह दिया कि चुनाव संगठन ने लड़ा और संगठन को उन्होंने खड़ा किया इसलिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दावेदारी तो उनकी भी बनती है। दावा यह भी किया जा रहा है कि सुखविन्दर सिंह सुक्खू के पास प्रतिभा सिंह से ज्यादा विधायकों का समर्थन है।

शिमला में जो ड्रामा हो रहा है वह कांग्रेस के लिए नई बात नहीं हैं। इस तरह की तस्वीरें और नारेबाजी हम कर्नाटक में देख चुके हैं। बाद में राजस्थान में भी यह देख चुके हैं। अशोक गहलोत के समर्थकों ने हाईकमान के पर्यवेक्षकों को खाली हाथ लौटा दिया था। विधायक दल की मीटिंग ही नहीं हो पाई थी। 

शुक्रवार को ठीक वही हालात शिमला में दिख रहे थे। लेकिन यह भूपेश बघेल और भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की सफलता है कि वो दिनभर की मेहनत के बाद पार्टी के नेताओं को एक लाइन का प्रस्ताव पास करने के लिए मनाने में कामयाब रहे। 

असल में कांग्रेस की यह परंपरा है कि विधायक दल की मीटिंग में एक प्रस्ताव जाता है कि मुख्यमंत्री के नाम का फैसला विधायक हाईकमान पर छोड़ते हैं और फिर दिल्ली से नाम तय होता है। यह परंपरा उस वक्त तो ठीक लगती थी जब तक हाईकमान की लोकप्रियता थी और कांग्रेस में गांधी नेहरू परिवार का दबदबा था। 

लेकिन अब हालात बदल गए हैं। स्थानीय नेता मेहनत करते हैं, पार्टी को जिताते हैं तो वे अपने नेता का फैसला भी खुद करना चाहते हैं। शिमला में शुक्रवार को दिनभर यही दिखा। राहुल गांधी प्रचार के लिए हिमाचल में गए भी नहीं और जीत की बधाई ट्विटर पर दे दी। इसके बाद भी वो चाहते हैं कि हिमाचल में मुख्यमंत्री के नाम का फैसला वो करें। 

वक्त और ज़माना बदल गया है लेकिन गांधी-नेहरू परिवार के तौर-तरीके नहीं बदले। राहुल गांधी ने हिमाचल में प्रचार के लिए भारत जोड़ो यात्रा से छुट्टी नहीं ली लेकिन शुक्रवार को अपनी मम्मी का जन्मदिन मनाने के लिए प्रियंका और रॉबर्ट वाड्रा के साथ राजस्थान के रणथम्भौर नेशनल पार्क पहुंच गए।

उम्मीद है कि गांधी परिवार हिमाचल प्रदेश के सीएम का फैसला जल्द ले लेगा और राज्य का सियासी संकट खत्म हो जाएगा। लेकिन यह स्थाई समाधान नहीं होगा। क्योंकि राहुल गांधी को छुट्टी पर रहने की आदत है और कांग्रेस का मुकाबला नरेंद्र मोदी से है, जो कभी छुट्टी नहीं लेते। उन्हें ना मुख्यमंत्री हटाने में देर लगती है और ना बनाने में। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 9 दिसंबर, 2022 का पूरा एपिसोड

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement