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Rajat Sharma’s Blog : क्या पुतिन कीव पर करेंगे निर्णायक हमला?

रूस उन्नत हथियारों, उपकरणों, विमानों और हथियारों का एक प्रमुख निर्यातक है। रूस पूरी दुनिया को हथियार सप्लाई करता है फिर भी कीव अब तक उसके हाथ में क्यों नहीं आया? 

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: March 08, 2022 15:35 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध का आज 13वां दिन है। मारियुपोल शहर में करीब  2 लाख लोग फंसे हुए हैं और रेडक्रॉस के अधिकारी निर्दोष नागरिकों की जान बचाने के लिए सेफ कॉरिडोर (सुरक्षित गलियारे) का इंतजार कर रहे हैं। शहर में बिजली, पानी और खाने-पीने का सामान नहीं है, साथ ही मोबाइल फोन का नेटवर्क भी ठप पड़ा है। सोमवार को रूसी सेना ने यूक्रेन के कई अन्य शहरों पर रॉकेट और गोले दागे जिससे बड़े पैमाने पर तबाही हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर ज़ेलेंस्की और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दोनों से बात की। उन्होंने दोनों नेताओं से यह आग्रह किया कि नागरिकों के लिए सेफ कॉरिडोर बनाने और युद्ध खत्म करने के लिए वे आपस में बात करें।

 
सोमवार की रात एबीसी न्यूज पर प्रसारित इंटरव्यू में यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने कहा- “समस्या यह है कि यूक्रेन का एक सैनिक है तो उसके बराबर रूस के 10 सैनिक हैं।  यूक्रेन का एक टैंक है तो उसके बराबर रूस के 50 टैंक खड़े हैं।“ उन्होंने कहा अगर रूसी सेना हमारे सभी शहरों में घुस भी जाती है, तो भी उन्हें जबदस्त विद्रोह का सामना करना पड़ेगा। एक शीर्ष अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि कई देश इस बात पर विचार कर रहे हैं कि यूक्रेन को लड़ाकू विमान उपलब्ध कराए जाएं, क्योंकि जेलेंस्की बार-बार इसकी गुहार करते रहे हैं।
 
रूस और यूक्रेन के बीच तीसरे दौर की वार्ता बेनतीजा रही। इस बातचीत में सबसे ज्यादा जोर सेफ कॉरिडोर पर रहा। राजधानी कीव में रहनेवाले लोगों ने रूसी सेना को रोकने के लिए बैरिकेड्स बनाए हैं। रेत की बोरी, पैक किए गए टायर, भारी कंक्रीट स्लैब और नुकीले केबल से इन बैरिकेड्स को तैयार किया गया है। यूक्रेन के सैनिकों और हथियारों से लैस स्वयंसेवकों ने इन बैरिकेड्स को तैयार किया है। यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में भीषण गोलाबारी हुई। रूसी सेना के गोले से बड़े-बड़े अपार्टमेंट कॉम्पलेक्स धाराशायी हो गए। कीव में भीषण लड़ाई चल रही है। खासतौर से इरपिन, बुका, होस्टोमेल और वोरज़ेल में दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे को निशाना बना रही हैं। 
 
पड़ोसी देश पोलैंड में 10.27 लाख से ज्यादा यूक्रेनी नागरिकों ने शरण ली है जबकि 1.8 लाख शरणार्थी सीमा पार कर हंगरी चले गए हैं। 1.28 लाख लोगों ने स्लोवाकिया में शरण ली है। कई लोगों ने मोल्दोवा और रोमानिया में शरण ली है। केंद्रीय मंत्री जनरल (रिटायर्ड) वी.के. सिंह 210 भारतीयों के साथ वायुसेना के सी-17 ग्लोबमास्टर विमान से हिंडन एयरबेस पहुंचे। उनके साथ भारतीय छात्र हरजोत सिंह भी था जिसे गोली लगी थी । वी.के सिंह ने बताया कि अकेले पोलैंड से 3 हजार भारतीयों को निकाला गया है। भारतीय दूतावास के एक ड्राइवर ने दिलेरी दिखाते हुए घायल हरजोत सिंह को कीव से 700 किमी दूर सीमा पार कराया। गोलाबारी, रोड ब्लॉक और ईंधन की कमी के बावजूद उस बहादुर ड्राइवर ने हिम्मत नहीं हारी। 
 
पीएम मोदी के 'ऑपरेशन गंगा' के तहत अकेले सोमवार को यूक्रेन के पड़ोसी देशों से  1,314 भारतीयों को एयरलिफ्ट किया गया।  इसके साथ ही यूक्रेन से अब तक 17, 400 से अधिक भारतीय नागरिकों को निकाला जा चुका है। इनमें से 5,206 लोगों को 73  विशेष असैनिक उड़ानों से वतन वापस लाया गया। 
 
एक सवाल सबके मन में है कि युद्ध कब खत्म होगा? अब तक रूस यूक्रेन पर पूरी तरह से कब्जा क्यों नहीं कर पाया?  युद्ध के 12 दिन गुजर चुके हैं और आज 13वां दिन है। हम कई दिनों से सुन रहे हैं कि रूसी सेना कीव से 12 किलोमीटर दूर है लेकिन अभी तक कीव पर कब्जा नहीं कर पाई। रूस की सेना ने बम बरसाए, तबाही मचाई, खौफ पैदा किया लेकिन अभी तक कीव के अंदर दाखिल नहीं हुई है। 
 
सब जानते हैं कि पुतिन की फौज दुनिया की सबसे ताकतवर मिलिटरी पावर्स में से एक है उनके पास अत्याधुनिक हथियार हैं। रूस उन्नत हथियारों, उपकरणों, विमानों और हथियारों का एक प्रमुख निर्यातक है। रूस पूरी दुनिया को हथियार सप्लाई करता है फिर भी कीव अब तक उसके हाथ में क्यों नहीं आया? राष्ट्रपति जेलेंस्की अभी भी यूक्रेन में हैं। उन्होंने सोमवार को कहा-'मैं कीव में हूं और कहीं छिपा नहीं हूं'। जेलेंस्की जंग को फ्रंट से लीड कर रहे हैं। क्या जेलेंस्की की आर्मी इतनी मजबूत है कि उसने पुतिन की फौज को रोक रखा है? असल में इसकी संभावना कम लगती है। रूस ने शुरुआती हमलों में यूक्रेन की एयर पावर को ध्वस्त कर दिया था और यूक्रेन की फौज की सप्लाई लाइन को भी बाधित कर दिया था। जमीन पर यूक्रेन रूस को नुकसान तो पहुंचा सकता है पर उन्हें रास्ते में रोक नहीं सकता। 
 
इसीलिए ऐसा लगता है कि पुतिन का फिलहाल कीव पर पूरी तरह कब्जा करने का इरादा फिलहाल तो नहीं है। पुतिन की कोशिश है कि दबाव बनाकर यूक्रेन को दो बातों के लिए मजबूर किया जाए। एक तो वह विसैन्यीकरण (डिमिलिटराइजेशन) के लिए तैयार हो और दूसरी बात यह है कि वह वादा करे कि NATO में शामिल नहीं होगा। अगर ऐसा होता है तो पुतिन का मकसद पूरा हो जाएगा। अगर यूक्रेन दबाव में नहीं आया तो फिर पुतिन को फाइनल असॉल्ट लॉंच  (अंतिम और निर्णायक हमला ) करना होगा। इस वक्त लगता है कि पुतिन उस हालात से बचना चाहते हैं। ये उनकी रणनीति लगती है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 07 मार्च, 2022 का पूरा एपिसोड

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