Saturday, December 28, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. Rajat Sharma’s Blog | टारगेटेड किलिंग्स : कश्मीर में क्यों हताश हैं आतंकी

Rajat Sharma’s Blog | टारगेटेड किलिंग्स : कश्मीर में क्यों हताश हैं आतंकी

कश्मीर में पिछले दिनों जो टारगेटेड किलिंग्स हुई हैं वो कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं है। ये आतंकवादियों की बदली हुई रणनीति का असर है।

Reported by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated : June 06, 2022 11:10 IST

कश्मीर घाटी में आतंकियों द्वारा टारगेटेड किलिंग्स को रोकने के लिए सरकार अब और सख्ती करेगी। घाटी में निर्दोष लोगों की हत्या की घटनाओं से निपटने के लिए शुक्रवार को दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बैक-टू-बैक दो बड़ी मीटिंग हुई। मीटिंग में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल, गृह सचिव अजय भल्ला, खुफिया ब्यूरो, रॉ, सीआरपीएफ, बीएसएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के अधिकारी शामिल हुए। 

बैठक में यह फैसला लिया गया कि सुरक्षा से जुड़ी रणनीति और सुरक्षा तंत्र में बदलाव किया जाएगा। टारगेटेड किलिंग्स रोकने के लिए सिक्योरिटी और ज्य़ादा मजबूत की जाएगी। जमीनी स्तर पर पुलिसिंग को और मजबूत करने और आतंकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए श्रेष्ठ पुलिसकर्मियों की पहचान की जाएगी। इन पुलिसकर्मियों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी और थानों में तैनात किया जाएगा। 

उन हथियारबंद नौजवानों पर नजर रखी जाएगी जो हाइब्रिड आतंकी के तौर पर काम कर रहे हैं। ऐसे नौजवान कश्मीरी हिंदुओं और कश्मीर में काम करनेवाले प्रवासी लोगों की टारगेट किलिंग करते हैं और पहचान से बचने के लिए आम लोगों के बीच शामिल हो जाते हैं।  इनमें से कुछ नौजवानों ने 'कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स' (केएफएफ) नामक एक नए आतंकी ग्रुप का हिस्सा होने का दावा किया है। कश्मीरी हिंदुओं और घाटी में काम करनेवाले प्रवासी लोगों के बीच खौफ पैदा करने के लिए पुलिस द्वारा पहले से पहचाने गए आतंकियों ने हाइब्रिड आतंकियों के साथ मिलकर हत्या के लिए सॉफ्ट टारगेट चुनना शुरू कर दिया है। ये सुरक्षा बलों को निशाना नहीं बनाते बल्कि निहत्थे और अकेले सिविलियन्स को निशाना बनाते हैं। टारगेटेड किलिंग्स रोकने के लिए सुरक्षा और ज्य़ादा मजबूत की जाएगी। संवेदनशील इलाक़ों में गश्त बढ़ाई जाएगी। रिजर्व पुलिस बल की मदद से थानों में पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाई जाएगी। ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे आतंकवादियों का पता लगाकर उन्हें खत्म किया जाएगा। 

वहीं एक अन्य मीटिंग में अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा प्लानिंग पर चर्चा हुई। आतंकी इस यात्रा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं। यात्रा की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त आर्मी यूनिट और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को तैनात किया जाएगा। यात्रा की निगरानी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा। साथ ही यात्रा मार्ग में स्नाइपर्स भी तैनात रहेंगे। इस यात्रा का काफिला बख्तरबंद वाहनों के साये के बीच गुजरेगा। किसी भी हालात से निपटने के लिए आपातकालीन योजनाएं बनाई गई हैं।

मीटिंग में यह बताया कि बड़े आतंकी ग्रुप अपने आकाओं के साथ सरहद के उस पार बैठे हुए हैं और घाटी के हालात में आए व्यापक बदलाव से चिंतित हैं। 31 मई तक घाटी में 9.9 लाख पर्यटक आ चुके हैं और यह सरहद पार बैठे हुए आतंकियों के पाकिस्तानी आकाओं के लिए चिंता का कारण बना हुआ है।

यही मुख्य वजह है कि घाटी में कश्मीरी हिंदुओं और प्रवासी लोगों की टारगेट किलिंग के लिए 'हाइब्रिड' आतंकियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये आतंकी आसानी से आबादी में घुल-मिल जाते हैं। अब आतंकियों की योजना को विफल करने के लिए केंद्र ने यह फैसला लिया कि घाटी में काम कर रहे हिन्दुओं का ट्रांसफर तो नहीं होगा। क्योंकि टारगेट किलिंग के दबाव में आकर ऐसा फैसला लेने से आतंकवादियों का मकसद पूरा हो जाएगा। इसलिए टारगेटेड किलिंग्स रोकने के लिए सुरक्षा और ज्य़ादा मजबूत की जाएगी। कश्मीरी पंडितों और प्रवासी लोग, जो अलग-अलग इलाकों में रह रहे हैं और जहां सिक्युरिटी कम है, उन्हें अस्थाई तौर पर जिला और तहसील मुख्यालयों में सुरक्षित ठिकानों पर ले जाया जाएगा। एक सीनियर अधिकारी ने कहा,  '1990 में जिस तरह का जातीय संहार हुआ था, उस तरह के हालात हम फिर नहीं चाहते। हम बहु-सांस्कृतिक समाज में विश्वास करते हैं।'

अच्छी खबर ये है कि घाटी में टारगेटेड किलिंग्स के खिलाफ कश्मीरी मुलमान भी आवाज उठा रहे हैं। पिछले एक महीने में आतंकियों ने 9 बेगुनाह निहत्थे लोगों की हत्या कर दी है। राजस्थान के एक ग्रामीण बैंक मैनेजर और बिहार के एक मजदूर की हत्या के एक दिन बाद शुक्रवार को आतंकियों ने शोपियां जिले के अगलर जैनापोरा इलाके में प्रवासी मजदूरों पर ग्रेनेड से हमला किया। इस हमले में दो प्रवासी मजदूर घायल हो गए।

इन टारगेट किलिंग्स के ख़िलाफ़ शुक्रवार को श्रीनगर के लाल चौक पर विरोध प्रदर्शन हुआ जबकि अनंतनाग मस्जिद के इमाम ने जुमे की नमाज के बाद कहा कि बेगुनाह लोगों को मारना जिहाद नहीं है। वो इसका कड़ा विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि इस्लाम ने ऐसे जिहाद की इजाजत नहीं दी है कि किसी अल्पसंख्यक पर या किसी और पर जुल्म किया जाए या मजहब की वजह से किसी का कत्ल किया जाए। उन्होंने अपील की कि कश्मीर के मुसलमान बाहर निकलकर इन आतंकवादी हमलों का विरोध करें।

कश्मीर घाटी के ग्रैंड मुफ़्ती ने भी बेगुनाह इंसानों की हत्या की मजम्मत की है। मुफ़्ती नसीर उल इस्लाम ने कहा कि कश्मीरी पंडित हों या फिर डोगरा समुदाय के लोग, ये कश्मीर और कश्मीरियत का अभिन्न हिस्सा हैं। उन्हें कश्मीर छोड़कर नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा-'कश्मीरी मुसलमान अपने पंडित भाइयों के साथ हैं।' 

कश्मीर में जिस तरह से निहत्थे और बेकसूर लोगों की हत्याएं हुई हैं, वो दुखद है। ये बड़ा चैलेंज है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं लगाया जाना चाहिए कि कश्मीर में पिछले तीन साल में हालात नहीं बदले हैं। मुझे तो लगता है कि ये टारगेटिड किलिंग्स कश्मीर में हो रहे बदलाव का सबूत हैं। आतंकवादियों द्वारा बेगुनाह लोगों का खून बहाना इस बात का सबूत है कि कश्मीर में दहशतगर्दी दम तोड़ रही है। अब आतंकवादी मारे जा रहे हैं। अब कश्मीर में आतंकवादी एके-47 लेकर फायरिंग नहीं करते,  सुरक्षा बलों को निशाना नहीं बनाते, वो निहत्थे अकेले सिविलियन्स को निशाना बनाते हैं। अब कश्मीर में पत्थरबाज नजर नहीं आते, वहां टूरिस्ट दिखाई देते हैं। कश्मीर में इन्वेस्टमेंट का रिकॉर्ड बना है। डल लेक में शिकारे फिर आबाद हो रहे हैं। कश्मीर में पिछले दिनों जो टारगेट किलिंग्स हुई हैं वो कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं है। ये आतंकवादियों की बदली हुई रणनीति का असर है। कश्मीरी पंडितों और प्रवासियों में डर पैदा करने की साजिश है। अगर सरकार की कोई कमी है तो वो ये कि उसने आतंकियों की इस बदली हुई रणनीति का अंदाजा नहीं लगाया था।

कश्मीर में टारगेटेड किलिंग्स के ख़िलाफ़ जम्मू में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। कश्मीरी पंडितों के संगठन, अपने परिजनों का घाटी से बाहर ट्रांसफर करने की मांग कर रहे हैं। दरअसल, यह समझना चाहिए कि आतंकवादी और उनके आका यही चाहते हैं। वे सुरक्षाबलों से खुद को बचाने के लिए सॉफ्ट टारगेट चुन रहे हैं। 

असल में आतंकवादी, ऐसे सॉफ्ट टारगेट चुन रहे हैं, जिनको अपने ऊपर हमले का अंदेशा न हो। जो अब तक टेरर टारगेट न रहे हों। जैसे बडगाम में गुरुवार रात आतंकियों ने ईंट भट्ठे में काम करने वाले दो मज़दूरों को गोली मार दी। यह ईंट भट्ठा आबादी से थोड़ी दूरी पर है। रात के वक़्त जब वो ख़ाना बना रहे थे, तो नक़ाबपोश आतंकवादी आए और उन्होंने दो मज़दूरों को गोली मार दी। एक मजदूर दिलखुश कुमार की मौत हो गई। वह बिहार का रहनेवाला था। वह सात दिन पहले ही ईंट भट्ठे पर काम करने के लिए बडगाम पहुंचा था। आतंकवादियों ने दोनों ईंट भट्ठा मज़दूरों को इसलिए निशाना बनाया कि वो निहत्थे थे। वे बाहर से आकर कश्मीर में रह रहे थे।

इसी तरह कुलगाम में आतंकवादियों ने राजस्थान के रहनेवाले बैंक मैनेजर को बैंक के भीतर घुसकर गोली मार दी थी। उससे दो दिन पहले उन्होंने एक गांव में टीचर रजनीबाला की हत्या कर दी थी। इन टारगेटेड किलिंग्स का एक पैटर्न है। अब आतंकवादी बड़े हमले नहीं कर रहे, सिक्योरिटी फ़ोर्सेज़ को निशाना नहीं बना रहे, अब वो गांवों में, दूर-दराज़ की बस्तियों में रह रहे नौकरी पेशा कश्मीरी पंडित या प्रवासी लोगों को टारगेट कर रहे हैं। कश्मीरी हिंदुओं और प्रवासी लोगों के बीच दहशत फैलाने के लिए आतंकवादियों द्वारा इस तरह की हत्याएं की जा रही हैं। हमें आतंकवादियों के नापाक मंसूबों को कभी सफल नहीं होने देना चाहिए। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 03 जून, 2022 का पूरा एपिसोड

 

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement