दिवाली के बाद दिल्ली की हवा एक बार फिर बेहद ख़राब कैटेगरी में पहुंच गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक़, आनंद विहार का एयर क्वालिटी इंडेक्स 296, पंजाबी बाग़ का 280, और ITO का 263 तक पहुंच गया। वहीं पूसा रोड का AQI 362 और आर.के. पुरम का AQI 290 रिकॉर्ड किया गया। दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस बार दिवाली के बाद दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर 45 परसेंट बढ़ गया। प्रदूषण की वजह पटाखों को बताया जा रहा है। सेंटर फॉर साइंस ऐंड एनवायरमेंट CSE के वैज्ञानिकों ने बताया कि रात दो बजे दिल्ली के कुछ इलाक़ों का एयर क्वालिटी इंडेक्स 900 से एक हज़ार तक पहुंच गया था हालांकि सोमवार को दोपहर बाद इसमें कुछ कमी आई। DPCC की रिपोर्ट के मुताबिक़, दिवाली के बाद दिल्ली की हवा में 2.5 पार्टिकुलेट मैटर्स यानी PM 2.5 33 परसेंट बढ़ गए थे, तो PM 10 का लेवल पिछले साल की दिवाली की तुलना में 45 परसेंट तक बढ़ा हुआ रिकॉर्ड किया गया। PM 2.5 को फेफड़ों के लिए बेहद नुक़सानदेह माना जाता है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने आरोप लगाया कि दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध लगे होने के कारण साज़िश करके हरियाणा और यूपी से पटाखे दिल्ली लाए गए ताकि दिल्ली की हवा को ख़राब किया जा सके। गोपाल राय ने इसमें भी बीजेपी नेताओं का हाथ बताया। बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने राय के आरोपों को बेतुका बताया।
दिलचस्प बात ये है कि इस बार पंजाब सरकार ने दावा किया है कि पूरे पंजाब में दिवाली के बाद एयर क्वालिटी इंडेक्स 2022 की तुलना में लगभग 8 परसेंट सुधर गया। वहीं, 2021 के मुक़ाबले इस बार दिवाली के बाद पंजाब का एयर क्वालिटी इंडेक्स क़रीब 23 परसेंट बेहतर रहा। पंजाब सरकार पिछले आंकड़ों से तुलना करके अपनी पीठ थपथपा रही है, लेकिन सच्चाई ये है कि दिवाली से पहले की तुलना में पंजाब का एयर क्वालिटी इंडेक्स, दिवाली के बाद 30 परसेंट तक ख़राब हो गया। 11 नवंबर को पंजाब के कई शहरों का AQI 100 के आस-पास था लेकिन दिवाली के बाद पटियाला का AQI 169, लुधियाना का 166, अमृतसर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 161 और संगरूर का 167 दर्ज किया गया। साफ है कि पंजाब की भगवंत मान सरकार पिछले दो साल के आंकड़ों से तुलना करके अपनी तारीफ़ कर रही है। मगर,सच्चाई ये है कि पंजाब में भी दिवाली के बाद हवा ख़राब हुई। फिलहाल,आम आदमी पार्टी ने ये नहीं बताया है कि पंजाब की एयर क्वालिटी ख़राब होने के पीछे ज़िम्मेदार कौन है।
ये सोचकर भी अजीब लगता है कि दिल्ली का प्रदूषण सियासी टकराव का मसला बन गया है। दिल्ली में रहने वाले दो करोड़ लोग ज़हरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं और दिल्ली की सरकार के मंत्री इसका हल निकालने की बजाय ये बताने में लगे हैं कि दिवाली की रात पटाखे बीजेपी वालों ने चलाए। दूसरी तरफ के लोग ये समझाने में लगे हैं कि पटाखों और आतिशबाजी पर पाबंदी लगाने का कोई फायदा नहीं हुआ, न दिल्ली में, न मुंबई में। ये भी कहा गया कि पटाखों पर पाबंदी का समर्थन करने वाले हिंदू विरोधी हैं। असलियत है कि किसी को नहीं पता कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की असली वजह क्या है, पंजाब की पराली या दिल्ली की आतिशबाजी? न ही किसी को ये पता है कि वायु प्रदूषण का हल क्या है? आसमान से बरसात हुई तो दिल्ली की हवा साफ हो गई, हवा चली तो प्रदूषण कम हो गया, बरसात बंद हुई, हवा रुकी तो प्रदूषण फिर लौट आया। अच्छा तो ये होगा कि सभी पार्टियों के लोग मिलकर अपना दिमाग लगाएं, मिलकर बैठें और सोचें कि वायु प्रदूषण का समाधान क्या है, ताकि अगले साल फिर इसी तरह की बयानबाज़ी न करनी पड़े। (रजत शर्मा)
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