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Rajat Sharma’s Blog : बाढ़ से तबाह पाकिस्तान ने अगर मदद मांगी तो पीछे नहीं हटेंगे मोदी

भारत ने इससे पहले भी कई मौकों पर पाकिस्तान की मदद की है। वर्ष 2005 में जब पाक के कब्जे वाले कश्मीर में भूकंप आया था उस वक्त भारत ने पाकिस्तान को राहत सामग्री के अलावा दो करोड़ डॉलर की मदद भेजी थी।

Written By: Rajat Sharma
Published on: August 31, 2022 14:09 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

पाकिस्तान में भारी बारिश की वजह से चारों तरफ तबाही का आलम है। बादल फटने की घटना, भूस्खलन और बाढ़ ने पाकिस्तान के एक तिहाई हिस्से में बड़ी तबाही मचाई है। इस प्राकृतिक आपदा में मरनेवालों की संख्या 1,100 के आंकड़े को पार कर गई है और 1,600 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। अभी देश के दुर्गम इलाकों से रिपोर्ट आना बाकी है। 

बलूचिस्तान का एक बड़ा हिस्सा देश के बाकी इलाकों से पूरी तरह कट चुका है। 3.33 करोड़ से ज्यादा लोग इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित हुए हैं। मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र संघ ने बाढ़ पीड़ितों के लिए सभी देशों से मदद करने की अपील की। संयुक्त राष्ट्र संघ ने इन बाढ़ पीड़ितों के लिए कम से कम 35 अरब अमेरिकी डॉलर की मदद मांगी है। बुधवार को अमेरिका ने 30 लाख डॉलर की मदद का ऐलान किया। यूके, कनाडा, तुर्की, ईरान, चीन और कई अन्य देशों ने भी मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। 

बाढ़ और भारी बारिश से 10 लाख से ज्यादा घर या तो क्षतिग्रस्त हो गए हैं या फिर पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं। करीब 7,35,000 पशुओं की भी मौत हो गई है। सिंध प्रांत जिसे पाकिस्तान का अन्नभंडार कहा जाता है, वहां सारी फसलें बाढ़ के कारण नष्ट हो चुकी हैं। भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है। फसलों के साथ-साथ घर, दुकानें, गांव और कस्बे बाढ़ में डूब गए हैं। 

पाकिस्तान के वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने सब्जियों और खाने-पीने के सामानों के आयात के लिए भारत के साथ लगे बॉर्डर को खोलने का आह्वान थी लेकिन मंगलवार को प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस्लमाबाद में विदेशी मीडिया को संबोधित करते हुए भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार को फिर से शुरू करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि जब तक कश्मीर का मसला हल नहीं होता है, भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार शुरू नहीं होगा। 

पाकिस्तान ने ईरान और अफगानिस्तान से प्याज- टमाटर और रूस से गेहूं आयात करने का फैसला किया है। 

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का बयान उनके वित्त मंत्री द्वारा सोमवार को कही गई बात से बिल्कुल अलग है। मिफ्ताह इस्माइल ने कहा था-खड़ी फसलों के व्यापक नुकसान को देखते हुए पाकिस्तान की जनता की मदद के लिए भारत से सब्जियां और अन्य खाद्य पदार्थ आयात किए जा सकते हैं। 

मिफ्ताह इस्माइल का बयान ठीक उसी दिन आया जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर पाकिस्तान में बाढ़ से हुई भारी तबाही पर दुख जताया था। उन्होंने ट्वीट किया, 'पाकिस्तान में बाढ़ से हुई तबाही को देखकर दुखी हूं। हम पीड़ितों, घायलों और इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित सभी लोगों के परिवारों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं और जल्द ही सामान्य स्थिति बहाल होने की उम्मीद करते हैं।'

पाकिस्तान के हालात बेहद खराब हैं। जो लोग इस विभिषिका में जिंदा बच गए हैं उन्हें भोजन की कमी का सामना करना पड़ रहा हैं, क्योंकि खाने-पीने के सामानों और सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही हैं। यहां से दिल को दहलाने वाल दृश्य सामने आ रहे हैं । पहाड़ियों की चोटियों से तेज रफ्तार से निकल रहा लहरों का सौलाब घरों, होटलों और यहां तक कि बड़े-बड़े चट्टानों को अपने साथ बहा ले जा रहा है और चारों ओर तबाही मचा रहा है। सभी चार प्रांतों सिंध, पंजाब, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में बाढ़ और भूस्खलन से बड़ी तबाही हुई है।

पाकिस्तान की नेशनल डिसास्टर मैनेजमेंट एजेंसी के मुताबिक 3,500 किमी से ज्यादा लंबी सड़कें और 157 ब्रिज बाढ़ में बह गए। देश का करीब 50 प्रतिशत रेल नेटवर्क पानी में डूबा हुआ है। 20 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन बाढ़ के पानी में डूब चुकी है। सब्जियों का हाल ये है कि टमाटर और प्याज यहां 350 से 400 रुपये प्रतिकिलो की दर से बेचे जा रहे हैं। 

पहले से ही महंगाई की मार झेल रही जनता अब खाने-पीने की चीजों और सब्जियों पर ज्यादा खर्च करने को मजबूर है। इसी संदर्भ में पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने कहा कि देश को आपदा की इस घड़ी में पड़ोसी मुल्क भारत से मदद मांगने में संकोच नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, 'हमारा ध्यान लोगों को भोजन उपलब्ध कराने पर होना चाहिए। हमें भारत से सब्जियां चाहिए।' 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान की मदद करना चाहते हैं लेकिन अभी तक पड़ोसी मुल्क की ओर से कोई औपचारिक अनुरोध नहीं भेजा गया है। पाकिस्तान में बाढ़ का संकट इतना बड़ा है कि उसके सारे संसाधन जैसे फौज, सिविल एडमिनिस्ट्रेशन और एनजीओ मिलकर भी बाढ़ प्रभावितों की मदद नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि सारे रास्ते बंद हैं। एक करोड़ से ज़्यादा लोग सैलाब से इस तरह घिरे हैं कि उनके लिए कहीं आना-जाना नामुमकिन है। हालात इतने खराब हैं कि अब लाशें सड़ रही हैं, जिन लोगों की प्राकृतिक मौत हो रही है उन्हें दफन करने के लिए सूखी जमीन नहीं मिल रही है।

दस लाख से ज्यादा घर बह चुके हैं लेकिन सरकार ने अब तक सिर्फ पांच लाख लोगों को राहत शिविरों में शिफ्ट किया है। पाकिस्तान की आर्मी और एयरफोर्स राहत और बचाव के कामों में लगी है। ख़ुद पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल बाजवा भी बाढ़ प्रभावित इलाक़ों का दौरा कर रहे हैं। मंगलवार को राहत और बचाव कार्यों की निगरानी के लिए उन्होंने स्वात घाटी का दौरा किया। जनरल बाजवा ने कहा कि जो हालात हैं उन्हें देखकर लगता है कि उजड़े हुए लोगों को दोबारा बसाने में कम से कम एक दशक का वक्त लग जाएगा।

आम तौर पर एक फौजी इस तरह की बात नहीं कहता लेकिन अगर पाकिस्तान का जनरल यह बात कह रहा है तो समझ लीजिए कि यह आपदा कितनी बड़ी है। पाकिस्तान का करीब 40 प्रतिशत इन्फ्रास्ट्रक्चर बह गया, बर्बाद हो गया है। इस मुश्किल वक़्त में पाकिस्तान के नागरिक भी भारत की तरफ़ देख रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्वीट के बाद पाकिस्तान की जनता की उम्मीदें भारत से बहुत बढ़ गई हैं, लेकिन पाकिस्तान की सरकार अभी तक अपना मन नहीं बना पाई है।

फिलहाल पाकिस्तान में कम से कम साढ़े तीन करोड़ लोगों को मदद की जरूरत है। उन्हें दो वक्त की रोटी, सिर छुपाने के लिए टेंट, कपड़े और दवाओं की जरूरत है। लेकिन पाकिस्तान की सरकार के पास इतने संसाधन नहीं कि वे इन पीड़ितों की बुनियादी जरूरतें पूरी कर सके। तुर्की और चीन के मिलिट्री विमान राहत सामग्री लेकर आए तो हैं लेकिन यह राहत सामग्री ऊंट के मुंह में जीरा के समान हैं। 

भारत, पाकिस्तान की मदद तो कर दे लेकिन, दिक्कत ये है कि पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति वहां की सरकार को भारत से व्यापार नहीं करने देती। भारत से सहायता मांगना वर्जित माना जाता है। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान के राजनेता घरेलू राजनीति की दुविधा में फंस गए हैं। पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई और ख़ाली ख़ज़ाने को देखकर पिछले साल इमरान ख़ान के वित्त मंत्री ने भी कहा था कि वो सड़क के रास्ते भारत से कारोबार फिर शुरू करेंगे। लेकिन, कुछ दिनों बाद ही इमरान ने इस वित्त मंत्री को ओहदे से हटा दिया था।अब शहबाज़ शरीफ़ के वित्त मंत्री मिफ़्ताह इस्माइल ने मुश्किल वक़्त में अपने मुल्क के लिए भारत से मदद मांगी है।

पाकिस्तान का ख़ज़ाना ख़ाली है और वह दिवालिया होने के कगार पर खड़ा है। पाकिस्तान को दिवालिया होने से बचाने के लिए  उसके प्रधानमंत्री सऊदी अरब, यूएई , तुर्की और अन्य देशों के नेताओं को फोन कर रहे हैं। पाकिस्तान क़र्ज़ हासिल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से भी बातचीत कर रहा है।आईएमएफ पाकिस्तान को 1.1 अरब डॉलर का कर्ज देने पर राजी हो गया है। हालांकि पाकिस्तान ने 10 अरब डॉलर की मांग की थी। 

पाकिस्तान में हालात बहुत खऱाब हैं और इसमें कोई दो राय नहीं कि पाकिस्तानी अवाम अगर भारत से मदद की उम्मीद कर रही है तो इसमें कोई बुरी बात नहीं है। हिन्दुस्तान पाकिस्तान का सबसे करीबी पड़ोसी है, इसलिए भारत को पाकिस्तान की मदद करनी भी चाहिए। भारत ने इससे पहले कई मौकों पर पाकिस्तान की मदद की है। वर्ष 2005 में पाक अधिकृत कश्मीर में भूकंप आया था। उस वक्त भारत ने पाकिस्तान को राहत सामग्री के अलावा दो करोड़ डॉलर की मदद भेजी थी। 

2010 में जब पाकिस्तान में बाढ़ आई थी उस वक्त भी भारत ने सबसे पहले मदद भेजी थी। भारत ने पाकिस्तान को ढ़ाई करोड़ डॉलर की मदद दी थी। उस वक्त हरदीप पुरी संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि थे। हरदीप पुरी ने ही न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव बान की मून की मौजूदगी में पाकिस्तान के विदेश मंत्री को दो करोड़ डॉलर का चेक सौंपा था। 

अब फिर पाकिस्तान मुसीबत में है तो वहां के लोग भारत की तरफ देख रहे हैं। भारत को पाकिस्तान के लोगों की मदद करनी भी चाहिए। लेकिन, मुझे लगता है कि पाकिस्तान के हुक्मरानों और पाकिस्तान की फौज को भारत के प्रति अपना नजरिया और रवैया दोनों बदलने की जरूरत है। भारत अपने पड़ोसियों की हमेशा मदद करता है और इस मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत शानदार है। 

पिछले साल जब अफगानिस्तान के तालिबान शासकों ने भारत से मदद की गुहार लगाई थी तो मोदी ने अफगानिस्तान को आपात स्थिति में मदद भेजी थी। उस समय पाकिस्तान ने राहत सामग्री के लिए रास्ता देने से इंकार कर दिया था। अब समय आ गया है कि पाकिस्तान को अपना रवैया बदलना चाहिए। पाकिस्तान के नेताओं को भारत सरकार से औपचारिक तौर पर बात करनी चाहिए। उन्हें यह बताना चाहिए कि किस तरह की और कितनी मदद चाहिए। मुझे पूरा यकीन है कि प्रधानमंत्री मोदी पड़ोसी की मदद करने में पीछे नहीं हटेंगे। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 30 अगस्त, 2022 का पूरा एपिसोड

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