Friday, November 22, 2024
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Rajat Sharma's Blog : क्या मोदी मुसलमानों का दिल जीत पाएंगे?

2014 में लोकसभा चुनाव से पहले जब मोदी ‘आप की अदालत’ में आए थे, तो उन्होंने कहा था कि वो चाहते हैं मुस्लिम नौजवानों के एक हाथ में कुरान हो और दूसरे हाथ में कंप्यूटर हो। अगर वो प्रधानमंत्री बने तो 'सबका साथ, सबका विकास' के नारे पर काम करेंगे। मोदी ने दस साल तक इसी थीम पर काम किया।

Written By: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: January 04, 2024 6:22 IST
Rajat Sharma, India TV- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

आप सबको नए साल की शुभकामनाएं। 2024 दुनिया के सबसे बड़े चुनाव का साल होगा। एक तरफ बीजेपी और NDA और दूसरी तरफ कांग्रेस और इंडी एलायन्स का मुकाबला। मेरी कोशिश रहेगी दोनों तरफ की रणनीति, दोनो तरफ की तैयारी और इस मुकाबले की खबर सबसे पहले आप तक पहुंचाऊं। मंगलवार को बीजेपी ने एलान कर दिया कि इस बार लोकसभा चुनाव में उसका नारा होगा – ‘तीसरी बार मोदी सरकार, अबकी बार 400  पार।’ इस लक्ष्य को पाने के लिए बीजेपी ने रणनीति भी तय कर ली है। बीजेपी देश भर में ‘सबका साथ सबका विकास’ के नारे को लेकर जाएगी। नोट करने वाली बात ये है कि इस बार बीजेपी, मुस्लिम मतदाताओं का दिल जीतने की कोशिश करेगी। सभी राज्यों में बीजेपी बूथ लेवल तक मुस्लिम परिवारों के पास पहुंचेगी। खासतौर पर उन मुस्लिम परिवारों को टारगेट किया जाएगा, जो किसी न किसी सरकारी योजना के लाभार्थी हैं। सभी राज्यों में प्रधानमंत्री की योजनाओं के साथ बीजेपी के कार्यकर्ता, ज़्यादा मुस्लिम आबादी वाले इलाकों में जाएंगे। उत्तर प्रदेश में ‘शुक्रिया मोदी भाईजान’, बंगाल में ‘मोदी दादा’, महाराष्ट्र में ‘मोदी भाऊ’ और तमिलनाडु में ‘मोदी अन्ना’  अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान की टैग लाइन होगी – ‘न दूरी है, न खाई है, मोदी हमारा भाई है’। बीजेपी की इस नई कोशिश का पहला उदाहरण मिला, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस अभियान की अनौपचारिक  शुरूआत लक्षद्वीप से की। मोदी मंगलवार की रात लक्षद्वीप में ठहरे। बुधवार को उन्होंने लक्षद्वीप में 1150 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का तोहफा दिया। लक्षद्वीप वो चुनावक्षेत्र है, जहां 95 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं। यहां बीजेपी कभी नहीं जीती लेकिन मोदी ने लक्षद्वीप के लोगों से कहा कि वो उनके साथ हैं, उनके साथ रहेंगे, उनकी सभी जरूरतों का ख्याल रखेंगे। जिस वक्त विरोधी दलों के नेता बीजेपी पर राम मंदिर का हवाला देकर हिन्दुत्व की राजनीति को आगे बढ़ाने का इल्जाम लगा रहे हैं, मुसलमानों को मोदी के खिलाफ भड़का रहे हैं, ऐसे वक्त मोदी ने अचानक पैंतरा बदल कर विरोधियों को चौंका दिया।

लक्षद्वीप केन्द्र शासित क्षेत्र है, यहां केवल एक लोकसभा सीट है। वोटर्स की संख्या के लिहाज से सबसे छोटी लोकसभा सीट है, आबादी करीब 70 हजार है लेकिन खास बात ये है कि लोकसभा सीट बनने के बाद 1967 से यहां जनसंघ या बीजेपी कभी नहीं जीती। कांग्रेस के पीएम सईद यहां से दस बार सांसद रहे, जो लगातार एक सीट से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड है। पीएम सईद के निधन के बाद यहां से लोकसभा का चुनाव उनके बेटे अब्दुल्ला सईद ने जीता। इस मुसलिम बहुल चुनाव क्षेत्र में जाकर नरेन्द्र मोदी का लोगों से बात करना, वहां रात भर ठहरना, ये बीजेपी की रणनीति में बदलाव का सबूत है। बीजेपी ने अब तय किया है कि मुस्लिम भाइयों के दिलों में विरोधी दलों ने ,बीजेपी को लेकर जो खौफ पैदा किया है, जो दूरियां बनाने की कोशिश की गई है, उन्हें खत्म करना है। अब बीजेपी खुद मुस्लिम भाइयों के घर जाकर उनकी बात सुनेगी और अपनी बात कहेगी। बीजेपी की माइनॉरिटी सेल के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने बताया कि बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं खुद आगे आ रही हैं, मोदी को शुक्रिया कहकर चिट्ठियां लिख रही हैं, पूरे देश से मुस्लिम बहनों के करीब पांच लाख पत्र प्रधानमंत्री को भेजे गए हैं - उत्तर प्रदेश के अलावा असम, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे कई प्रदेशों से जबरदस्त फीडबैक मिल रहा है। इसलिए अब बीजेपी भी मुस्लिम परिवारों तक खुद पहुंचेगी। अगले दो हफ्तों में देशभर में ये अभियान चलाया जाएगा। उत्तर प्रदेश में शुक्रिया मोदी भाईजान अभियान की शुरूआत 12 जनवरी से होगी। पहला कार्यक्रम 12 जनवरी को लखनऊ में होगा। इसके बाद हर जिले में करीब दो हजार ऐसे सम्मेलन होंगे, जिसमें उज्जवला योजना, आयुष्मान भारत और प्रधानमंत्री आवास योजना की लाभार्थी मुस्लिम महिलाएं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को शुक्रिया भाईजान कहेंगी। यूपी अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने कहा कि विपक्ष की सरकारों के लिए मुसलमान सिर्फ वोटबैंक था लेकिन केंद्र सरकार ने बिना भेदभाव के काम किया, मुस्लिम परिवारों को भी सरकारी योजनाओं का लाभ मिला है। कुंवर बासित अली ने कहा कि मुस्लिम परिवारों को अब समझ में आ गया है कि मोदी ने उनके लिए क्या किया है। इसीलिए मुस्लिम वोटर्स और बीजेपी के बीच जो खाई थी वो अब पट रही है।

बड़ी बात ये है कि मोदी ने दस साल पहले नारा दिया था - सबका साथ सबका विकास। 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले जब मोदी ‘आप की अदालत’ में आए थे, तो उन्होंने कहा था कि वो चाहते हैं मुस्लिम नौजवानों के एक हाथ में कुरान हो और दूसरे हाथ में कंप्यूटर हो। अगर वो प्रधानमंत्री बने तो 'सबका साथ सबका विकास' के नारे पर काम करेंगे। मोदी ने दस साल तक इसी थीम पर काम किया। अब मुस्लिम भाइयों के दिलों में जो शंकाएं थी, आशंकाएं थीं, उनको दूर करने की जो  कोशिश हुई, उसमें कितनी कामयाबी मिली, अब बीजेपी ने जो दोस्ती का हाथ बढ़ाया है, इसका राजनीतिक असर क्या होगा, बीजेपी को इसका कितना फायदा मिलेगा, ये अभी कहना मुश्किल है।  बीजेपी की मंशा तो समझ में आती है,  देश में करीब सौ लोकसभा सीटें ऐसी हैं,जिनमें मुस्लिम मतदाता जीत हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। इसलिए अगर बीजेपी को चार सौ का आंकड़ा पार करना है तो ये मुसलमानों के वोट के बगैर नहीं होगा। लेकिन बीजेपी और मुसलमान वोटर्स के बीच खाई गहरी है। ये तो सब मानते हैं कि सरकार की योजनाओं का लाभ मुसलमानों तक बिना भेदभाव के पहुंचा है, मकान मिले, राशन मिला, बिजली मिली, नल से जल मिला, लोन मिला , हुनर को मौका मिला, पर मोदी को  मुलालमानों का वोट नहीं मिला। मुस्लिम समाज में मोदी को लेकर एक बड़े वर्ग में पर्सेप्शन बदला है, पर बीजेपी की विचारधारा को  लेकर, इसके कई नेताओं की बयानबाजी को लेकर, mob lynching जैसी घटनाओं को लेकर बहुत सारे सवाल हैं, शक है, डर  है। विरोधी दलों के नेता भी इस बात को समझते हैं,वो भी भड़काने और आग लगाने का कोई मौका नहीं छोड़ते, वो जानते हैं कि अगर कुछ मुस्लिम वोट बीजेपी के पाले में चले गए तो उनके सारे सियासी समीकरण बिगड़ जाएंगे। उदाहरण के तौर पर असदुद्दीन ओवैसी ने मौका लगते ही शुरुआत कर दी,वो राम मंदिर का हवाला देकर काम पर लग गए। ओवैसी ने मुस्लिम नौजवानों से कहा कि एक मस्जिद तो छीन ली गई, अब जाग जाओ, दूसरी मस्जिदों को बचाओ। ओवैसी के इस बयान पर बीजेपी, वीएचपी और साधु संतों ने कड़ी नाराजगी जाहिर की। ओवैसी की सारी सियासत राम मंदिर के विरोध पर टिकी है। वो लगातार कहते रहे हैं कि वहां बाबरी मस्जिद थी, बाबरी है और बाबरी मस्जिद ही रहेगी। लेकिन कहने से क्या होता है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला है,ये एक सर्वमान्य सत्य है कि अब वहां राम मंदिर है और राम मंदिर ही रहेगा। तमाम विरोधी दल इस हकीकत को समझ चुके हैं। मुस्लिम भाईयों ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दिल से स्वीकार किया है। ओवैसी जितनी जल्दी इस हकीकत को समझ जाएं, अच्छा है, वरना उनके भड़काऊ बयान से कुछ होने वाला नहीं है। इस पूरे मामले का दूसरा पक्ष देखने समझने की जरूरत है। अयोध्या नगरी का कायाकल्प हो चुका है।  राम मंदिर के उद्घाटन और रामलला की प्राणप्रतिष्ठा की तैयारी पूरे जोर शोर से चल रही है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 02 जनवरी 2023 का पूरा एपिसोड

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