गुजरात में इन दिनों चल रहे चुनाव प्रचार में श्रद्धा की बर्बर हत्या के ज़िम्मेदार आफताब पूनावाला का मुद्दा उठाया गया है। अपनी लिव-इन पार्टनर के टुकड़े करने वाले आफताब को लेकर ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुसलमीन के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने गुरूवार को गुस्से का इज़हार किया। ओवैसी ने कहा, इस मामले को धार्मिक नजरिए से न देखा जाय । ओवैसी ने कहा, 'यह लव जिहाद का मुद्दा नहीं है। यह एक महिला के शोषण और अत्याचार से जुड़ा मसला है और इसे इसी नजरिए से देखा जाय। इस घटना की निंदा की जानी चाहिए।'
ओवैसी ने ये बात तब कही जब बीजेपी नेता और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा दिल्ली में पार्टी की एक रैली में कहा था कि भारत को आफताब जैसे लोगों की जरूरत नहीं है, देश में समान नागरिक संहिता की ज़रूरत है और 'लव जिहाद' के खिलाफ कानून बनना चाहिए। ओवैसी ने कहा, 'इस (आफताब) मामले पर बीजेपी की राजनीति पूरी तरह से गलत है। बर्बर हत्या की ऐसी घटनाएं दुखद हैं लेकिन उनको सियासी रंग नहीं देना चाहिए । ऐसे मामलों को हिंदू-मुसलमान के नज़रिये से नहीं देखा जाना चाहिए।'
ओवैसी का कहना था कि बीजेपी आफताब के मुद्दे को सिर्फ इसलिए उठा रही है क्योंकि आफताब मुसलमान है। गोधरा की अपनी रैली में ओवैसी ने बिलकिस बानो का मुद्दा उठाया, कहा, 'आज गुजरात का मुसलमान पूछ रहा है कि आपने बिलकिस बानो के मामले में बलात्कार और हत्या के मुजरिमों को रिहा क्यों किया?'
ओवैसी गुजरात के मुस्लिम वोटरों को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि अगर श्रद्धा का हत्यारा हिंदू होता तो बीजेपी इस मामले को तूल न देती। ओवैसी ने महिलाओं की हत्या करनेवाले हिंदुओं की एक लिस्ट पढ़ी। ओवैसी ने अपने समर्थकों से कहा कि अपराध नया नहीं है। लेकिन आफताब मुसलमान है इसलिए केस को ज्यादा तूल दिया जा रहा है। अगर कोई हिंदू आरोपी होता तो फिर कोई सवाल न पूछता।'
असदुद्दीन ओवैसी के साथ समस्या ये है कि वे बताते कम हैं और गुमराह ज्यादा करते हैं। ओवैसी ये नहीं बताते कि बिलकिस बानो के मुजरिमों को कोर्ट ने जेल की सजा पूरी होने के बाद क्यों रिहा किया। उनकी ये बात सही है कि आफताब और श्रद्धा का मामला लव जिहाद का नहीं है। श्रद्धा पहले से जानती थी कि आफताब मुसलमान है। आफताब अगर अपना मजहब छिपाता और हिंदू बनकर श्रद्धा से दोस्ती करता तो इसे लव जिहाद कह सकते थे।
लेकिन, ओवैसी की यह बात भ्रामक है कि आफताब मुसलमान है, इसलिए इसको ज्यादा तूल दिया जा रहा है। यह मामला देश भर में इसलिए चर्चित हुआ क्योंकि आफताब ने बड़ी बेरहमी से एक बेकसूर लड़की की हत्या की। इस मामले ने लोगों का दिल इसलिए दहलाया क्योंकि जिस लड़की ने आफताब के लिए अपना घर-बार और परिवार को छोड़ दिया, उसके आफताब ने 35 टुकड़े कर दिए। श्रद्धा के शरीर के टुकड़ों को फ्रिज में स्टोर किया। हर रोज आधी रात के बाद जंगल में जाकर शरीर के टुकड़े फेंके। इस बर्बर कांड ने लोगों को रुला दिया। श्रद्धा ने अपने माता-पिता से झगड़ा करके आफताब को जीवन साथी चुना, लेकिन आफताब ने उसका कटा हुआ सिर फ्रिज में रखा। आफताब उसी घर में आराम से खाना ऑर्डर करता रहा और अपना खाना उसी फ्रिज में रखता रहा जिसमें श्रद्धा के शरीर के कटे अंग रखे हुए थे।
ओवैसी को समझना चाहिए कि दरिंदगी करने वाला, इतनी बेदर्दी से लाश के टुकड़े करने वाला इतना पत्थर दिल इंसान, अगर कोई हिंदू होता तो भी इस मामले की इतनी ही चर्चा होती। ओवैसी साहब भूल गए कि 10 साल पहले दिल्ली में निर्भया के साथ गैंगरेप और बर्बरता हुई थी और यह घटना पूरे भारत में मीडिया की सुर्खियां बनी थी। उसके साथ बर्बरता करनेवाले मुस्लिम नहीं थे। इसलिए ऐसे मामले को हिंदू-मुसलमान का मुद्दा बनाने की कोई जरूरत नहीं है।
मैं मानता हूं कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा को आफताब का मुद्दा 'लव जिहाद' कह कर पेश नहीं करना चाहिए था। लेकिन ओवैसी को भी हिंदू हतयारों के नाम नहीं गिनाने चाहिए थे। लेकिन सारा दोष सिर्फ असदुद्दीन ओवैसी को नहीं दिया जा सकता। यह समझने की भी जरूरत है कि ओवैसी जैसे नेताओं को यह सब कहने का मौका तभी मिलता है जब कुछ सिरफिरे तत्व धर्म के नाम पर ऐसे काम करते हैं।
सूरत के भगवान महावीर यूनिवर्सिटी कैंपस में गुरुवार को विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल समर्थकों ने तीन मुस्लिम युवकों की पिटाई कर दी। हमलावर यूनिवर्सिटी के छात्र नहीं थे। वे बाहर से आए थे और उन्होंने मास्क पहन रखा था। उन्होंने मुस्लिम युवकों को हिंदू लड़कियों से दूर रहने की चेतावनी दी और आराम से कैंपस से लौट गए। जब इस घटना का वीडियो वायरल हुआ तो पता चला कि 20 से ज़्यादा लोग भगवान महावीर यूनिवर्सिटी के कैंपस में घुसे थे। इन लोगों ने तीन मुस्लिम युवकों को पकड़कर पीटा था।
यूनिवर्सिटी प्रशासन भी शुरुआत में इस घटना को लेकर ख़ामोश रहा। जिन तीन छात्रों को पीटा गया था उन्होंने भी पुलिस में कोई शिकायत नहीं की। लेकिन, जब वीडियो वायरल हुआ तो विश्व हिंदू परिषद ने मुसलमान छात्रों को मारने की ज़िम्मेदारी ली। वीएचपी के स्थानीय कोषाध्यक्ष दिनेश नवाडिया ने कहा कि यह कदम आत्मरक्षा के लिए उठाया गया । उन्होंने कहा, 'हमें इस बात की जानकारी मिली थी कि सूरत के भगवान महावीर कॉलेज की हिंदू लड़कियों को 'लव जेहाद' में फंसाने की बड़ी साजिश चल रही है। वीएचपी और बजरंग दल ने इस शिकायत की जांच की और हमें इसमें सच्चाई मिली। हमारे कार्यकर्ताओं ने हिंदू लड़कियों की सुरक्षा के लिए ऐसा किया।' यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार ने अब इस मामले की जांच कराने का आश्वासन दिया है।
लड़कियों की सुरक्षा और धर्म के नाम पर सूरत में जिस तरह मारपीट की गई उसकी निंदा की जानी चाहिए। अगर एक मिनट के लिए यह मान भी लिया जाए कि मुस्लिम लड़कों ने हिंदू लड़कियों को बहलाने-फुसलाने की कोशिश की तो भी बजरंग दल के लोगों को कानून हाथ में नहीं लेना चाहिए था। अगर उन्हें कोई शक था या कोई शिकायत थी तो उन्हें पुलिस के पास जाना चाहिए था।
यह शर्म की बात है कि जिन लोगों ने मारपीट की, वे सीना ठोक कर कह रहे हैं कि उन्होंने मुस्लिम युवाओं को पीटा। इसी को कहते हैं चोरी और ऊपर से सीना जोरी। इन धर्म के ठेकेदारों को कम से कम इस बात का लिहाज कर लेना चाहिए था कि यह यूनिवर्सिटी उस भगवान महावीर के नाम पर है जिन्होंने अहिंसा और सद्भाव का संदेश दिया। पुलिस को हिंसा करने वालों के खिलाफ एक्शन लेना चाहिए। (रजत शर्मा)
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