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Rajat Sharma’s Blog | पवार परिवार में फूट क्यों पड़ी : अंदर की बात

महाराष्ट्र में एनसीपी में आई दरार की पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी। आखिर पवार परिवार में फूट क्यों पड़ी? जानिए इनसाइड स्टोरी-

Written By: Rajat Sharma
Updated on: July 06, 2023 16:56 IST
Rajat Sharma Chairman and Editor-in-Chief of India TV- India TV Hindi
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

महाराष्ट्र में जो हुआ उसमें अंदर की एक-दो बातें आपके साथ शेयर कर  सकता हूं। दो महीने पहले अजित पवार ने शरद पवार को बताया था कि एनसीपी के ज्यादातर विधायक महाराष्ट्र की बीजेपी शिवसेना सरकार में शामिल होना चाहते हैं। शरद पवार ने स्वीकार किया कि ज्यादातर लोग यही चाहते हैं, पर शरद पवार की व्यक्तिगत आपत्ति थी। वो बीजेपी के साथ नहीं जाना चाहते थे, तो कई बैठकों के बाद ये तय हुआ कि पवार साहब NCP का अध्यक्ष पद छोड़ेंगे, उनकी जगह सुप्रिया सुले को अध्य़क्ष बनाया जाएगा। महाराष्ट्र और केन्द्र में NCP सरकार में शामिल हो जाएगी। अजित पवार उपमुख्यमंत्री बनेंगे और केन्द्र में जो एक मंत्री पद NCP को मिलेगा, वो भी सुप्रिया सुले को दिया जाएगा। महाराष्ट्र की राजनीति अजित पवार चलाएंगे, ये सारी बातचीत पक्की हो गई और इसी प्लान के तहत शरद पवार ने इस्तीफा दिया, लेकिन दो दिन बाद शरद पवार पलट गए। फिर से पार्टी की कमान अपने हाथ मे ले ली और अजित पवार को गच्चा दे दिया। इसके बाद अजित पवार ने प्रफुल्ल पटेल से बात की। दोनों ने तय किय़ा इस ढुलमुल नीति को ज्यादा दिन बर्दाश्त नहीं करेंगे। इन दोनों ने पार्टी के पांच छह वरिष्ठ नेताओं से बात की। उन्होंने आगे विधायकों से चर्चा की, और फैसला किया कि पवार साहब तैयार हों या न हों, NCP को सरकार में शामिल होना चाहिए। ये बात अमित शाह तक पहुंचाई गई और इसके बाद अमित शाह ने पता लगाया कि सचमुच 40 विधायक अजित पवार के साथ हैं या नहीं, और जैसे ही इस बात की पुष्टि हुई, रविवार को खेल हो गया।

मुझे ये भी पता चला कि ये खेल खेलने की तैयारी एक बार पहले भी की गई थी, जब शिन्दे गुट के लोग दो-दो, चार-चार करके गुवहाटी में इक्कठा हो रहे थे। अजित पवार ने अपने विधायकों से बात की। 51 विधायक ऐसे थे जो बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के लिए तैयार थे। अजित पवार ने शरद पवार से कहा कि शिन्दे अपने विधायकों को लेकर आएं। इससे पहले अगर एनसीपी बीजेपी के साथ हाथ मिला ले, तो पवार परिवार मजबूत स्थिति में रहेगा। शरद पवार ने कहा, जाओ बात करो. उस समय भी प्रफुल्ल पटेल ने अमित शाह से बात की थी। देवेन्द्र फडनवीस भी तैयार थे. जब सबकुछ तय हो गया तो ऐन मौके पर शरद पवार ने पलटी मार दी, हाथ पीछे खींचे लिए। अजित पवार बार बार उनसे कहते रहे कि तीसरी बार आपने स्टैंड बदला है, इससे पार्टी को बहुत नुकसान हुआ है, पार्टी कई कदम पीछे चली गई है। NCP के नेताओं को लगता है कि पवार साहब विरोधी दलों की एकता के सूत्रधार बनना चाहते हैं, वो मोदी से इतने चिढ़े हुए हैं कि किसी भी कीमत पर उनको नुकसान पहुंचाना चाहते हैं और विरोधी दलों के बीच लीडरी करना तब तक संभव नहीं होगा जब तक NCP फर उनका कन्ट्रोल न हो, इसलिए पार्टी के बड़े नेताओं की, विधायकों की, पूर्व मंत्रियों की राय जानने के बावजूद वो NCP से कन्ट्रोल छोड़ना नहीं चाहते।

इस बार अजित पावर ने उनसे साफ कह दिया कि आपने अपनी पारी खेल ली, आप एक बार भी NCP की सरकार अपने दम पर नहीं बना पाए, केजरीवाल जैसे नए-नए नेता ने दो-दो राज्यों में सरकारें बना लीं. अगर आपके बस का नहीं, तो अब हमें खेलने दो। उनको ये भी समझाया गया कि 83 साल की उम्र हो चुकी, स्वास्थ्य उनका साथ नहीं देता, अब उन्हें थोड़ा आराम करना चाहिए, लेकिन पवार आराम से बैठने को तैयार नहीं है। अजित पवार की बगावत के बाद वो फिर मैदान में उतर गए हैं। अब वो पूरे महाराष्ट्र में घूमेंगे। उन्हें इसमें मजा भी आता है, पर प्रफुल्ल पटेल और अजित पवार शरद पवार की नस-नस से वाकिफ हैं, उनकी हर चाल को पहचानते हैं, उन्हें कैसे काउंटर करना है, इसे भी समझते हैं। इसलिए महाराष्ट्र में अगले कुछ महीनों में जबरदस्त राजनीतिक युद्ध देखने को मिलेगा, ये पक्का है।

खालिस्तानियों में जंग

अमेरिका और कनाडा में बैठे हिंदुस्तान के दुश्मनों ने एक बार फिर सिर उठाने की कोशिश की है। पाकिस्तानी आकाओं के इशारों पर काम करने वाले खालिस्तानी आतंकवादियों ने फिर भारत को धमकी दी है। सैनफ्रांसिको में खालिस्तानी आतंकवादियों ने भारतीय वाणिज्य दूतावास में घुसने की कोशिश की, वहां आग लगा दी। अमेरिका में भारत के राजदूत और सैन फ्रांसिको में हमारे महावाणिज्यदूत पर हमले की धमकी दी।  इसी तरह की हरकतें कनाडा में भी दिखाई दीं। यहां खालिस्तानियों ने पोस्टर्स जारी करके भारत के उच्चायुक्त और महावाणिज्यदूत को जान से मारने की धमकी दी है। पोस्टर पर भारतीय राजनयिकों की तस्वीरें लगाई गईं । 

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने ने सैन फ्रांसिको में हुए हमले की निंदा की है। हमला करने वाले आतंकवादियों के खिलाफ एक्शन शुरू हो गया है, लेकिन भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि सिर्फ जुबानी जमा खर्च से काम नहीं चलेगा। अमेरिका और कनाडा दोनों देशों से साफ कहा गया है कि भारत के खिलाफ काम करने वालों पर सख्ती करनी होगी वरना आपसी रिश्ते खराब होंगे। कनाडा के ओटावा में आतंकवादियों ने धमकी दी है कि 8 जुलाई को वहां भारतीय उच्चायोग के बाहर खालिस्तान फ्रीडम रैली निकालेंगे।  भारत ने कनाडा से कहा कि इस पर समय रहते एक्शन लिया जाए लेकिन सवाल ये है कि दूसरे मुल्कों में छुपकर बैठे खालिस्तानी दहशतगर्द अचानक इस तरह की हरकतें क्यों करने लगे हैं? उनकी मंशा क्या है? वो इतने बौखलाए हुए क्यों है? क्या वजह है कि अब तक बिलों में छुपे बैठे देश के दुश्मनों को अचानक बाहर निकलने पर मजबूर होना पड़ा? मैं आपको बताता हूं कि विदेशों में छुपे बैठे खालिस्तानी क्यों बौखलाए हुए हैं? क्यों इस तरह की हरकतें कर रहे हैं?

दरअसल गुरपतवंत सिंह पन्नू ने अमृतपाल सिंह के जरिए भारत में खालिस्तान के नारे को हवा देने की कोशिश की थी लेकिन अमृतपाल सिंह और सारे साथी पकड़े गए। अब विदेश में बैठे खालिस्तानी आतंकवादी भी मारे जा रहे हैं। पिछले छह महीनों में कनाडा, ब्रिटेन और पाकिस्तान में बड़े बड़े खालिस्तानी आतंकवादी मारे जा चुके हैं। इससे खालिस्तानी आंदोलन को हवा देने की कोशिश कर रहे आतंकवादी बौखलाए हुए हैं।  20 जून को कनाडा के Surrey शहर में  खालिस्तान टाइगर फ़ोर्स के चीफ हरदीप सिंह निज्जर को गोली मार दी गई थी। जून में ही खालिस्तान लिबरेशन फ़ोर्स के आतंकवादी अवतार सिंह खांडा की, ब्रिटेन के बर्मिंघम शहर में मौत हो गई थी। अवतार सिंह खांडा, अमृतपाल सिंह का हैंडलर था। उसी ने अमृतपाल को 37 दिन तक पुलिस से बचने में मदद की थी। अवतार सिंह खांडा को कैंसर था  लेकिन खालिस्तानी आतंकवादियों को शक है कि उसे अस्पताल में ज़हर देकर मारा गया। 

मई में खालिस्तान कमांडो फ़ोर्स के आतंकवादी परमजीत सिंह पंजवड़ की हत्या कर दी गई थी। परमजीत सिंह पंजवड़ को लाहौर में दो बाइक सवारों ने उस वक़्त गोली मार दी थी, जब वो मॉर्निंग वॉक के लिए अपने घर से निकला था।  इसी साल जनवरी में एक और खालिस्तानी आतंकवादी हरमीत सिंह उर्फ़ हैप्पी पीएचडी की हत्या हो गई थी। उसको भी लाहौर के पास एक गुरुद्वारे में गोली मारी गई थी। हरमीत सिंह  खालिस्तानी आतंकवादियों को ट्रेनिंग देता था और ड्रग्स की तस्करी कराता था।  पंजाब में संघ के नेताओं की हत्या में भी उसका हाथ रहा था।  चूंकि बड़े बड़े खालिस्तानी आतंकवादी मारे जा रहे हैं, इसलिए खालिस्तानियों में दहशत है क्योंकि उन्हें लगता है कि खालिस्तानियों की हत्या के पीछे भारत सरकार का हाथ है। इसीलिए अपने सपोर्टर्स को एकजुट रखने, उन्हें हौसला देने के लिए कनाडा और अमेरिका में भारतीय हाई कमीशन को धमकी दी गई। इन देशों में रहने वाले कई सिख व्द्वानों और सिख समाज के लोगों से मेरी बात हुई। उनका कहना है कि इन हमलों का,  इन खालिस्तानियों का सिख समाज से कोई लेना देना नहीं है।

ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड में रहने वाले ज्यादातर सिख अमनपसंद हैं, भारत को प्यार करते हैं.. मुट्ठीभर लोग पूरे सिख समाज को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उन्हें कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।  इन मुल्कों में रहने वाले सिख समाज की शिकायत है कि वहां की सरकारों ने अपराधियों की शिनाख्त करने में, उनके खिलाफ एक्शन लेने में देरी की, इसी वजह से इन आंतकवादियों की हिम्मत बढ़ती गई। किसी मुल्क में वोटों की कम्पल्शन सामने आई, तो कहीं लापरवाही दिखाई दी। अब भारत सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है, इसका असर जल्दी दिखाई देगा। भारत के लिहाज से एक पॉजीटिव बात ये है कि पिछले कुछ दिनों से  खालिस्तानी संगठन आपस में एक दूसरे से टकराने  लगे हैं। ये लोग अपना-अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए एक दूसरे पर हमले कर रहे हैं। इससे ये लोग कमजोर हुए हैं। इनके कमजोर होने से सबसे ज्यादा परेशानी पाकिस्तान में बैठे इन ग्रुप्स के हैंडलर्स को है. जिन्होंने कई बरस तक इन खालिस्तानी आतंकवादियों को तैयार किया।  इसलिए अब पाकिस्तान की आईएसआई के एजेंट ये फैला रहे हैं कि खालिस्तानियों की हत्या में इंडियन एजेंसीज का हाथ है, लेकिन पूरी दुनिया जानती है कि इन खालिस्तानी आतंकवादियों को पाकिस्तान ने हमेशा समर्थन और संरक्षण दिया है।  (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 4 जुलाई, 2023 का पूरा एपिसोड

 

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